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निधि पाने के लिए प्रस्ताव

के द्वारा फिल बार्टले, पीएच.डी.

दीप्ति राणा द्वारा रूपांतरित


संबंधित प्रलेख

प्रदाता संगठनों से निधि कैसे प्राप्त करें

1. प्रवेशन :

एक परियोजना को अमल में लाने के लिए आर्थिक सहायता के निवेदन को प्रस्ताव कहते हैं | एक सामुदायिक परियोजना में इसका इस्तेमाल सामुदायिक सदस्यों की स्वीकृति प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है (जिसमें समुदाय स्वंय सबसे बड़ा प्रदाता हो) | आप इन दिशा निर्देशों का इस्तेमाल किसी भी प्रदाता से निधि एकत्रित करने के लिए कर सकते हैं| हमारी स्लाह यह है की आप कई निधि के स्रोतों को अपना उद्देश्य बनाएँ | अगर आपके पास एक ही निधि का स्रोत होगा तो आप उस स्रोत के अधीन हो जाएँगे |

एक प्रस्ताव सिर्फ़ आपकी ज़रूरतों की सूची ही नहीं है | प्रस्ताव को उसमें दी गयी हर एक ज़रूरत की चीज़ को साबित करना होगा, ताकि प्रदाता एजेन्सी यह निर्णय ले सके की वो कुछ ही चीज़ें दे पाएगी या सभी चीज़ें देगी | आपको यह पता होना चाहिए(और सूचित करना चाहिए) की आप इन चीज़ों से क्या करोगे, और इसी के लिए आपको परियोजना का अभिकल्प बनाना चाहिए ताकि आप अपने उद्देश्य को पूरा कर सको |

यह बहुत ज़रूरी है की आप अपनी परियोजना को सावधानी से बनाएँ और अभिकल्पित करें | यह भी बहुत ज़रूरी है की आप अपना प्रस्ताव इस तरह से लिखें की वो निधि आकर्षित करे | प्रस्ताव लेखन एक हुनर है जिसके लिए विद्या और अभ्यास की ज़रूरत है|

आपकी परियोजना का प्रस्ताव एक सच्चा 'बिक्री' का प्रलेख होना चाहिए | उसका का काम ही लोगों को बताना और आश्वाशित करना है | उसका काम भाषण देना, लोगों को बहकाना या अपनी बड़ाई करना नहीं है | यदि आप इस परियोजना से आश्वशित हैं तो आपके परियोजना के प्रस्ताव में यह निर्णयकर्ताओं को सच्चाई से दिखना चाहिए क्यूंकी वो इसके गुणों को बाकी दान देने की वचनबद्धता के साथ मापेंगे | प्रस्ताव को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि कैसे और कब परियोजना का अंत होगा, या कब वो अपने आपको संभालने में में सक्षम होगी | प्रस्ताव सॉफ सुथरा होना चाहिए, हो सके तो टाइप किया हुआ हो, और उसमे कोई असंबंधित या अधिक जानकारी नहीं होनी चाहिए |

प्रस्ताव कितना बड़ा होना चाहिए वो इस पर निर्भर करता है कि कितने संसाधनों का निवेदन किया गया है, और कितनी बड़ी परियोजना है | इन दिशा निर्देशों को आप भावी प्रदाता और परियोजना के हिसाब से बदल सकते हो |

आपकी परियोजना के प्रस्ताव में पृष्टभूमि में किया गया कार्य दिखना चाहिए और वो ठीक तरह से प्रस्तुत किया जाना चाहिए | सिर्फ़ एक निवेदन पत्र लिखना ही काफ़ी नहीं है | आपको अपनी ज़रूरत प्रमाणित करनी है और यह भी प्रमाणित करना है कि आपकी परियोजना इस निधि की हकदार है | यह याद रखिए कि निधि पाने के लिए बहुत सारे संगठन और व्यक्ति आपके साथ मुकाबला कर रहें होगें |

आपकी भाषा स्पष्ट और संक्षिप्त होनी चाहिए जो सीधी बात प्रदर्शित करे | ज़रूरी बात कहने के लिए आप चित्रों और नक्शों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं | अपने प्रस्ताव को गिच पिच ना बनाने के लिए और अपने ब्यान के प्रवाह को बनाए रखने के लिए परिशिष्ट का इस्तेमाल करें |संपर्क की गयी एजेन्सी के हिसाब से अपनी प्रस्तुतिकरण बनाएँ | जब प्रदाता एजेन्सी आपके प्रस्ताव या निवेदन को पढ़ ले तो व्यक्तिगत मुलाकात की स्वेच्छा ज़ाहिर करें |

और, ख़ासकर . . .
यदि आपका प्रस्ताव स्वीकृत नहीं होता है तो निराश मत होइए | कारण पता कीजिए, और दूसरी प्रदाता एजेन्सी को संपर्क कीजिए |

2. परियोजना को नियोजित करें (व्यावहारिक दृष्टि):

आप और आपके सहयोगियों के पास काम करने के कई विचार होंगे ; जैसे कि आप लोगों को ज़रूरतें दिखती हैं निरक्षरता कम करने की, ग़रीबी कम करने की, सॉफ पीने का पानी प्रदान करना, स्वास्थ के स्तर को बड़ाने की, विकलांग लोगों के लिए प्रशिक्षण प्रदान करना, और बहुत सारे काम | आप लोगों को ऐसी परियोजना चुननी चाहिए जो बहुत विशिष्ट हो, अपने लक्ष्य को सबसे प्राथमिक समस्या के लिए एक वांछित समाधान तक ही सीमित रखो |

सारे समुदाय को शामिल कीजिए | अपनी परियोजना को चुनने के लिए, एक सभा आयोजित कीजिए और उन लोगों को शामिल करना मत भूलिए जिन्हे पहले कई बार भुलाया गया है जैसे कि, औरतें, विकलांग लोग, बहुत ग़रीब लोग, वो लोग जिनका समुदाय के कार्यों में निर्णय लेने में आज तक कोई भाग नहीं लिया है | यह ज़रूर निश्चित कीजिए कि जो इस परियोजना के लाभभोगी हैं वो यह समझें कि यह उनकी परियोजना है, उनके फ़ायदे के लिए है, और वो इसमें सहयोग दें क्यूंकी यह उन्ही की है |

अपना लक्ष्य चुन लेना ही काफ़ी नहीं है | ज़रूरत है सुनीयोजन की, प्राप्य और भावी संसाधनों को पहचानने की, कई कूट नीतियाँ बनाने की और उनमे से सबसे लाभदायक नीति चुनने की, यह निर्णय लेने की कि किस तरह से इस परियोजना की निगरानी की जाए ताकि वह सही राह पे रहे (मतलब है कि वह आपकी इच्छा के अनुकूल रहे ), सुनिश्चित करें लेखा कार्य पारदर्शी और सही हो, और यह निर्णय करना की कौन सा काम कब करना है | थोड़ी बहुत खोज की ज़रूरत होती है ताकि आप परियोजना की प्रष्टभूमि को क्रमिक रूप से वर्णित कर सकें जैसे की, खोज उस जगह के बारे में, आबादी के गुणों के बारे मैं, वहाँ की स्थिति, मौजूद सुविधाएँ, आदि | इस खोज को सही सिद्ध करने का सबसे अच्छा तरीका है की इसमें दोनों समुदाय और लाभभोगियों को शामिल करें |

समुदाय या लक्ष्य समूह के साथ , विचार विमर्श के सिद्धांत और विधियों का इस्तेमाल योजना की रूपरेखा या परियोजना की रूपरेखा बनाने में कीजिए | बिना किसी आलोचना के समूह के सदस्यों को सामूहिक विचार विमर्श के हर कदम में भाग लेने के लिए कहिए, प्राथमिक समस्या क्या है (सभी की सूची बनाएँ, चाहे वह कितनी ही बुद्धिहीन क्यूँ ना हो, फिर उन्हें प्राथमिकता के अनुसार वर्गित करें), समूह को समझने में सहयता करें, ताकि, लक्ष्य उस चुनी हुई समस्या का समाधान है | साधारण लक्ष्य में से उद्देश्य(सीमाबद्ध, प्रमाण योग्य, विशिष्ट) ढूँदने में उनकी मदद करें |संसाधन और बाधायों को पहचानीए, और फिर कई वैकल्पिक समाधान तैयार करें, और उनमे से सबसे विकासक्षम को चुनें | विचार विमर्श की प्रक्रिया को ब्यान करते हुए कई और प्रलेख हैं किंतु यह उसकी संक्षिप्त रूपरेखा है |

पृष्टभूमिका का कार्य ख़तम होने के पश्चात, अब आप अपने प्रस्ताव को लिखना शुरू करना चाहोगे | हम यही स्लाह देंगें कि आप अपने संसाधन (निधि) कई स्रोतों से प्राप्त करें | अपने समूह या संगठन को किसी एक प्रदाता पर निर्भर मत होने देना |

प्रस्ताव लिखने से पहले, नीम्मनलिखित को ध्यान में रखें :
  • यह बहुत ज़रूरी है कि हम पहले से यह पता कर लें की निधि प्राप्त करने के कौन कौन से स्रोत हैं, सरकार के द्वारा, संयुक्त राष्ट्र की अजेंसियों से, कुछ अंतराष्ट्रीय एन. जी.ओ से या निजी संस्थायों से |
  • बहुत से प्रदाता यह देखना चाहते हैं की परियोजना के प्रस्ताव के लिए स्थानीय कार्यवाही किस हद तक है, देश के भीतर प्राप्त संसाधनों का उपयोग कितना है, और जब निधि ख़तम हो जाएगी तो परियोजना को आत्म निर्भर बनाने के लिए क्या योजनायें हैं |
  • आपकी परियोजना व्यावहारिक होनी चाहिए, बहुत महँगी नहीं होनी चाहिए, और उसमे भावी क्षमता होनी चाहिए कि वह अन्य स्थितियों में भी दौहराई जा सके |
  • अधिकतर, प्रदाता एजेन्सीस विकास परियोजनाओं के लिए एकीकृत प्रयास की राह देख रही हैं | इसका मतलब यह है कि आप यह देखना चाहेंगे की आपकी परियोजना मौजूदा गतिविधियों को किस हद तक समर्धित करता है और जोड़ता है, और वो इस तरह से अभिकल्पित है कि वो पहचानी हुई समस्याओं को प्राजित करता है |
  • लगभग सभी यू. एन. और सरकारी संस्थाएँ, संगठन और निजी स्वैच्छिक एजेन्सीस के अपने प्रस्ताव के संरूप होते हैं, जिन्हे वो चाहते हैं कि आप मानें |यदि आप स्थानीय या क्षेत्रीय प्रतिनिधि के संपर्क में नहीं हैं, तो आप उन्हे चिट्ठी लिख कर पूरी विधि, आवेदन का संरूप, और निधि की आवश्यकताओं की जानकारी के लिए निवेदन कर सकते हो | जब कि संरूप थोड़े बहुत बदलते हैं, सभी एजेन्सीस और संस्थाएँ एक जैसी ही जानकारी माँगते हैं |
  • एजेन्सी की बजट निर्धारण की विधि के बारे में पता कीजिए कि वो वार्षिक है या तिमाही है या चालू है | यह भी पता कीजिए की आवेदन पत्र देने की कोई अंतिम तिथि है की नहीं |

3. परियोजना संरचना (आपके प्रस्ताव का नक्शा ) :

यह (संरचना के) दिशा निर्देश यह बताने के लिए नहीं है कि क्या लिखना चाहिए परंतु वो यह बताते हैं की प्रस्ताव कैसे लिखते हैं | यदि प्रस्ताव लिखने की ज़िम्मेदारी आपकी है तो वो इसलिए की आप इस में निपुण हैं | यदि आप ज़िम्मेदार हैं तो आप जानते हैं कि आप क्या पाना चाहते हैं और वो पाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है | किसी भी हालात में, अपेक्षा से घबराईए नहीं, और उनकी तकनीकी भाषा जो अक्सर इस्तेमाल की जाती है सुनकर परेशान मत होइए |

प्रस्ताव लिखने की कोशिश अकेले ही मत कीजिए | इन सब की मदद लीजिए जैसे, दोस्त, सहकर्मी, प्रबंधक, क्रमादेशक, अधिकारी और वो सभी लोग जो आपकी मदद संकल्पना या भाषा शैली में कर सकते हैं | यह सोचिए कि आपको प्रस्ताव एक लिखित संवाद के रूप में पेश करना है जिसमे हर आने वाला क्रम एक लगातार क्रिया हो |

प्रस्ताव के अध्याय ज़रूरी नहीं है कि उसी क्रम में लिखे जायें जिस तरह से यहा दिए गये हैं, परंतु हर अध्याय में लिखी गयी जानकारी बाकी अध्यायों से संबंधित होनी चाहिए | इस बात का ध्यान रखिए कि आप सही जानकारी सही अध्याय में लिख रहे हैं | यह भी देखिए कि हर अध्याय एक दूसरे से और पूरे प्रस्ताव से भी संबंधित हो |

4. शीर्षक पन्ना :

यह एक ही पन्ना होता है, जो प्रस्ताव का सबसे पहला पन्ना होता है | इस में यह सब होना चाहिए :
  • तिथि ;
  • परियोजना का शीर्षक ;
  • परियोजना का स्थान ;
  • संगठन का नाम ; और
  • बाकी अन्य कोई एक पंक्ति में लिखी जाने वाली जानकारी |

शीर्षक पन्ने के बाद संक्षेप या कार्यकारिणी सार आता है, परंतु प्रस्तावकों को अभी यह नहीं सोचना चाहिए, पहले प्रस्ताव के विभिन्न भागों के बारे में जानिए |

5. पृष्टभूमिका ( समस्याओं के कारण) :

इस भाग में यह बताया जाता है कि आपकी परियोजना की ज़रूरत क्यूँ है| यहाँ आप उस जगह की स्तिथि का वर्णन करोगे और वो सब कारण बताओगे जिन्होने आप को प्रायोजना के प्रस्ताव बनाने और व्यवस्थित करने के लिए उतेज़ित किया | यह भी बताएँ कि परियोजना की ज़रूरत को कैसे पहचाना और कौन कौन लोग इस परियोजना के विकास से जुड़े हुए हैं | अपनी परियोजना के मूल या विषय के बारे में बताएँ |

यह उचित होगा कि आप प्राथमिक समस्याओं को पहचानने में सारे समुदाय को शामिल करें; इसे "साझीदारी खोज" कहते हैं |

पहली चीज़ जो पृष्टभूमि करती है वो है कि समस्या को पहचानना | इस का मतलब है कि समस्या को बताना और ढूंडना | वो लक्षित स्मूह (लाभभोगी), खंड, परिमाण , और अन्य कर्ता बताता है जो इस समस्या के हल में लगे हुए हैं | वो यह भी बताता है कि अन्य कर्ताओं के कारण किस हद तक यह समस्या सुलझ चुकी है, और आपके स्मूह की उपलब्धियाँ क्या हैं |

संबोधित समस्याओं का निरीक्षण करते समय, कई प्रश्‍न उठेंगे | लक्षित स्मूह की स्तिथि कैसी है जो की प्रदाता के दान और शायद भेजे गये अधिकारी को सही साबित करे ? आपके समुदाय,समूह या परियोजना का इतिहास ज़रूरी नहीं है परंतु एक संक्षिप्त रूपरेखा महत्वपूर्ण हो सकती है | सबसे ज़रूरी है यह बताना कि मौजूदा क्या परिस्तिथि है और इसमें क्या बदलाव आने की अपेक्षा है जिससे प्रदाता परियोजना के लिए निधि देने के लिए तैयार हो जाए |

आप चाहो तो यह सब उसमें शामिल कर सकते हो :
  • परियोजना का क्षेत्र ( मुद्दे और समस्याएँ, उनके वर्णन नहीं) ;
  • यह प्रस्ताव बनाने के कारण ;
  • परियोजना तक घटित प्रमुख परिस्तिथियाँ ; और
  • व्यापक स्तर की योजनायें और कार्यनितियाँ जिनका यह हिस्सा है |

यदि आपकी परियोजना नये सीरे से शुरू नहीं हो रही है तो पृष्टभूमिका में आरंभ से लेकर अभी तक आए परिवर्तन बताने होगें |

ध्यान रखिए की पृष्टभूमिका का अध्याय समस्या के उन तत्वों को बताता है जिनको यह परियोजना सुलझाएगी | इस भाग में हर चीज़ परियोजना और उसके लिए निवेदित निधि की सहायता को सही साबित की कोशिश में होनी चाहिए | लंबे इंतिहास और विश्लेषण यहाँ पर अहितकर हो सकते हैं |

6. लक्ष्य और उद्देश्य ( समाधान = उत्पादन) :

आपकी परियोजना का अद्देश्य पृष्टभूमि में दी गयी समस्या या समस्याओं को सुलझाना है | लक्ष्य और उद्देश्य पिछले अध्याय से संबंधित होने चाहिए, पिछले अध्याय की समस्याओं का समाधान बता कर वो संबंधित हो सकते हैं | आपको कुछ स्थापित लक्ष्य (सामान्य) और कुछ उद्देश्य (विशिष्ट) चाहिए हैं |

शुरुआत "लक्ष्य" से कीजिए जो सामान्य, दीर्गविधि और व्यापक ईच्छाएँ हैं| इन लक्ष्यों से विशिष्ट "उद्देश्य " बनाएँ जो की प्रमाण योग्य, मापने योग्य, सीमाबद्ध हो और जिनकी उपलब्धि की विशिष्ट तिथियाँ हों| उदाहरण के लिए : " ग़रीबी कम करना " एक लक्ष्य है ; जबकि " मूल साक्षरता के गुण 20 लोगों को 2 मार्च तक सिखाना" , एक उद्देश्य है |

आप अपनी परियोजना के उद्देश्यों के विवरण में अती विशिष्ट होना चाहोगे | यह इस दृष्टि से लिखे जाने चाहिए कि आप परियोजना के अंत में क्या परिणाम चाहते हैं, नाकी यह परिणाम आप कैसे हासिल करेंगे | वो परिणाम प्रमाण योग्य होने चाहिए ( मतलब कि आप सॉफ बता सको कि आपने क्या पाया है, और बाहर के प्रेक्षक भी उन्हें प्रमाणित कर सकें) |

परियोजना के लक्ष्य और उद्देश्य चुनते समय, यह याद रखिए कि किस प्रकार के प्रदाता से आप माँग रहे हैं; और किस तरह के समाधान आप ढूँढ रहे हैं ? प्रदाता निर्भरता के लिए कभी भी सहयोग नहीं देगा, इसलिय वो उन परोपकारी सेवायों को निधि देने में इच्छुक नहीं होगा जो प्राधिकारी वर्ग से कर्तव्य का दबाव को हटाता है जो इन स्थानीय लोगों के अधिकारों के लिए ज़िम्मेदार है | ज़्यादातर प्रदाता सिर्फ़ रोज मररा के काम करने के लिए ही निधि के स्रोत नहीं हैं | यह उन गतिविधियों को सहयोग देने में दिलचस्पी रखते हैं जो सबसे कमजोर और पीड़ित वर्ग की ज़रूरतों को प्रदर्शित करती हैं, और जो आत्मनिर्भरता, सांस्कृतिक मेल, और विकास को बढ़ावा देती हैं |

7.लाभभोगी (लक्षित समूह) :

इस अध्याय में आप लाभभोगी या लक्षित समूह का विस्तार में विवरण करते हो | आप इसमें अप्रत्यक्ष या अप्रधान लाभभोगी भी बता सकते हैं ( जैसे की वो लोग जो मुख्य लाभभोगियों की मदद के लिए प्रशिक्षित किए गये हैं) | यह पृष्टभूमिका के भाग में बताए गये शीर्षक का विस्तार रूप हो सकता है , उनकी संख्या, अभिलक्षण, कमज़ोरी के कारण, स्थान आदि बताएँ |

ज़्यादा प्रदाता एजेन्सीस आपकी परियोजना में रूचि दिखाएँगी यदि आप उन्हें यह प्रमाणित कर सको की परियोजना के चुनाव और अभिकल्पना में लाभभोगी वर्ग ने भाग लिया है | (एक परिशिष्ट में आप यह सब बता सकते हैं जैसे लाभभोगियों की सभा की सूची, जो यह सब विस्तृत में बता सकती है जैसे तिथियाँ, स्थान, समय, वाद विवाद के शीर्षक, वक्ता, और लभभोगी वर्ग के सदस्यों की सूची जो सभा में उपस्थित थे | इस अध्याय में परिशिष्ट को देखिए, उसे यहाँ शामिल मत कीजिए, अपने प्रस्ताव के अंत में उसे डालिए | )

8. लक्ष्य और गतिविधियाँ (निविष्टियाँ) :

यह अध्याय परियोजना की निविष्टियों को बताता है, जैसे कि आपकी परियोजना में क्या संसाधन लगेंगे ( निधि, कर्मचारी लोग, और कार्य) |

पहले, शुरुआत ऊपर दिए गये उद्देश्यों तक पहुँचने के लिए अपनी कार्यनितियों को जाँचने से कीजिए | हर स्तिथि में आपको पिछले अध्याय से संबंध रखना है | सबसे अच्छा परियोजना का प्रस्ताव वो होता है जो दो, तीन या चार अलग कार्यनितियों की सूची देता है, और एक को छोड़ के सब को नामंज़ूर करते हुए उसका कारण भी बताता है | आगे वो यह बताता है कि, " दी गये उद्देश्य और कार्यनितियों के बावजूद, क्या गतिविधियाँ हमें शुरू या अमल में लानी चाहिए ताकि हम इन कार्यनितियों का इस्तेमाल करके अपने लक्ष्य तक पहुँचे ?"

लक्ष्य का मतलब है, " कितना, किस के लिए, कहाँ और किस के द्वारा? " - सरल शब्दों में, " कौन क्या करता है ?" उदाहरण के लिए , किस तरह का प्रशिक्षण आप प्रदान करेंगे, कितने समय के लिए और कितने लोग उसमे शामिल होंगे ? क्या विशेष कौशल सिखाए जाएँगे, और आगे के लिए किस तरह की गतिविधियों का नियोंजन किया गया है ?

परियोजना में किस तरह के कार्य किए जा रहे हैं उनके बारे में बताएँ | मुख्य कार्यों की व्याख्या के लिए परिशिष्ट का उल्लेख करें | हमेशा उन गतिविधियों को उल्लेखित करें कि वो ऊपर दिए गये उद्देश्यों को किस तरह से प्राप्त केरेंगे | सहयोगी कर्मचारियों की गतिविधियाँ नियोजित होनी चाहिए जिस से कार्यकारी कर्मचारी अपने लक्ष्य प्राप्त कर सकें |

9. सूचीपत्र (हर कार्य कब ) :

इस भाग में आप अपने उद्देश्यों को पाने के लिए गतिविधियों की योजना के क्रम का वर्णन करते हो |

यदि आप थोड़ा विशिष्ट हो सकते हैं तो बेहतर होगा, जैसे कार्यों की अनुमानित तिथि बताना | आप रेखा चित्र का इस्तेमाल विशेष घटनायों को अंकित करने के लिए कर सकते हैं |

अपने कार्य सूची में परियोजना की प्रावस्थाओं को शामिल करें; कि किस तरह से परियोजना की एक प्रावस्था आगे की प्रावस्था तक पहुँचाती है |

कितनी देर तक सहारे की आवश्यकता होगी?
(परियोजना कब शेष होगी, या कब परियोजना स्थानीय रूप से आत्म निर्भर होगी ? )

10. संगठन (रूपरेखा) :

यह भाग ऊपर बताई गयी गतिविधियों को अमल में लाने के लिए संगठन और प्रबंधक संरचना की ज़रूरत को विस्तृत में बताता है | यह "संगठन" " सामुदायिक संगठन" का भाग है | यहाँ पर रेखाचित्र बहुत ज़रूरी हैं |

अपने संगठन के लक्ष्य और उद्देश्यों को संक्षिप्त में बताएँ | इस तरह की समस्याओं के साथ काम करने के तजुर्बे के बारे में विशेष कर बताएँ, कि इस प्रकार की परियोजना को निभाने की उसके पास क्या क्षमता या संसाधन हैं |

आपके संगठन के सदस्यों की क्षमताएँ और तजुर्बे , आपके मानव संसाधन, आपकी सबसे बड़ी संपति हो सकती है | इसकी ओर संकेत करें कि आपका संगठन भावी एकजुट हो कर काम करने वाली संस्थाओं से किस तरह के सहयोग की आशा कर रहा है | अपने संगठन के बारे में अतिरिक्त जानकारी दें, जैसे कि वार्षिक रिपोर्ट अगर है तो |

व्याख्या करें :
  • यह कैसे किया जाएगा ?
  • इस परियोजना के लिए कौन ज़िम्मेदार है ?
  • कौन अमल करेगा (कौन करेगा ) ? और
  • इस परियोजना के परिपालन को कौन निर्देशित करेगा ?

इस परियोजना को कौन चलाएगा ? समस्त रूप से इस संगठन का प्रभारी कौन है ? इसके पूरे परिपालन का कौन ज़िम्मेदार है ( इसके अभिकल्प और निगरानी की ज़िम्मेदारी के विपरीत, और अलग कर्ताओं, विभिन्न एजेन्सीस, और विभिन्न स्तिथियों के विपरीत) ? क्या यह बदलेगा ? यह सब चीज़ें प्रस्ताव में बताई जा सकती हैं | देखें प्रशिक्षण द्वारा संगठित करना संगठन को विकसित करने के लिए भागीदारी तरीके |

स्वयं सेवकों की गतिवधियों को नज़रअंदाज़ ना करें जो परियोजना के लिए सहयोग देते हैं | वैसे वो अवैतनिक कर्मचारी हैं, किंतु वो संसाधन हैं, परियोजना के संसाधनों में सहयोग देते हैं |

11.लागत और लाभ(विश्लेषण) :

प्रस्ताव में, लागत और लाभ का अध्याय और विस्तृत पंक्ति दर पंक्ति वाला आय व्यय पत्र, जो पूरे पैसे का ब्यौरा देता , दोनों एक ही चीज़ नहीं है | (विस्तृत आय व्यय पत्र प्रलेख के अंत में परिशिष्ट में डालना चाहिए, नाकी विषय में ) |

यहाँ परियोजना के प्रस्ताव के विषय में , लागत और लाभ का अध्याय विश्लेषणातमक और कहानी के रूप में होना चाहिए, और पीछले अध्यायों से संबंधित होना चाहिए | इसे उन आय व्यय पत्र के हिस्सों के बारे में चर्चा करनी चाहिए जहाँ स्पष्टीकरण की आवश्यकता है (जैसे क्रय, खर्चे, या ज़रूरतें जो अभी अप्रत्यक्ष हैं या जो स्पष्ट नहीं हैं) |

आपको लागत और लाभ का विश्लेषण करना चाहिए, जैसे कि प्राप्त किए गये उद्देश्यों को पूरी लागत के साथ संबंधित कीजिए, और प्रति इकाई लागत का हिसाब कीजिए (उदाहरण के लिए , पूरी लागत का भाग शिक्षित किए गये बच्चों की संख्या से कीजिए, तो आपको शिक्षित करने की प्रति इकाई लागत पता चल जाएगी) |

नीचे दी गयी जानकारी के सार या जोड़ प्रदाता को निर्णय लेने में मदद कर सकती है :
  • स्थानीय लागत ;
  • बाहरी लागत ;
  • वित्तपोषण वित्तियन के तरीके ;
  • स्थानीय मुद्रा के विपरीत बाहरी मुद्रा की ज़रूरत ;
  • स्थानीय समुदाय द्वारा दिया गया गैर आर्थिक दान ( हर चीज़ का हिसाब उसके नकदी रूप के बराबर किया होना चाहिए) ;
  • सामग्री प्राप्त करने के तरीके (कहाँ और कैसे खरीद की गयी ); और
  • इस प्रस्ताव में निवेदित पूरी लागत का अनुपात |

लागत(प्रस्ताव में निवेदित नकदी को भी शामिल करें) के साथ साथ आप को लागत (निविष्टियाँ) और लाभ (उत्पाद) के मूल्यों के बीच तुलना करनी चाहिए | नीम्मनलिखित का जवाब दे सकतें है :
  • कौन लाभभोगी हैं ?
  • उन्हें लाभ कैसे है ?
  • परियोजना के पक्ष समर्थन क्या हैं ?
  • परियोजना के विशिष्ट उत्पाद क्या हैं ?
  • प्रति लाभभोगी औसत पूरी लागत क्या है ?
  • क्या सुविधाओं या लाभ का मूल्य निविष्टियों की लागत से अधिक होगा (या विपरीतता से) ? और कितने से ?

जब उद्देश्य गुणात्मक रूप में एक दूसरे से अलग हों (जैसे बनाई गयी नई माता- पिता समिति की संख्या और शिक्षित किए गये बच्चों की संख्या) , तो एक स्वेच्छित प्रंतु उचित "प्रति इकाई" लागत का भाग जोड़ना चाहिए |

आय व्यय पत्र का जोड़ इस भाग में बताना चाहिए, और फिर विस्तृत जानकारी के लिए परिशिष्ट का सन्दर्भ दे देना चाहिए | बाकी स्रोत (प्रदाता और उनकी राशि) का भी उल्लेख होना चाहिए | निवेदित की गयी राशि इस कथित विषय में दिखनी चाहिए |

12. प्रबोधन (निगरानी) :

प्रबोधन इन्हें करना चाहिए :

  • प्रभावित समुदाय , जिसका प्रतिनिधित्व स्थानीय समिति करेगी ;
  • आपकी एजेन्सी या संगठन (कौन करेगा उल्लेखित कीजिए ); और
  • आपके प्रदाता |

उपलब्धियाँ कैसे मापी जाएँगी ?
और उन्हें कैसे प्रमाणित करेंगे ?

प्रबोधन और आगे की कार्यवाही परियोजना की गतिविधियों का ही भाग होना चाहिए | कुछ हिस्सा आपका (अमल करने वाली एजेन्सी) अपना निरंतर आत्म मूल्यांकन होना चाहिए|

परियोजना के प्रस्ताव में प्रदाता तक निगरानी और उसकी रिपोर्ट पहुँचने का भी प्रावधान होना चाहिए | हर महीने की रिपोर्ट्स इस तरह से अभिकल्पित और समीक्षित होनी चाहिए जिससे प्रदाता उसका इस्तेमाल पूरे देश भर में चल रहे आयोजन और कार्यक्रम के लिए कर सके |

एक चीज़ तो तय है कि, उत्पाद या नतीजों की सूचना देने पर ज़ोर होना चाहिए , मतलब कि, लाभभोगी या लक्षित समूह पर परियोजना का क्या प्रभाव है| गतिविधियों की सूचना देने में भी कोई हर्ज नहीं है अगर वो संक्षिप्त हैं तो | परियोजना के प्रस्ताव में बताए गये नियोजित उद्देश्यों की तुलना में उपलब्ध किए गये नतीजों की सूचना देना बहुत ज़रूरी है |

देखिए प्रबोधन

13. सूचित करना (निष्कर्ष बताना ) :

किसी भी एजेन्सी द्वारा निधीबद्ध परियोजना में हिसाब और उत्तरदायित्व बहुत महत्वपूर्ण हैं | यह लगभग सभी प्रदाता एजेन्सीस, यू. एन. , सरकारी या एन. जी. ओ. आदि पर लागू होते हैं |

आपके प्रस्ताव में , आपकी सूचना प्रणाली को यह सब बताना चाहिए: " कितनी बार, किसको, क्या शामिल करके ?" इसकी आप भावी प्रदाता एजेन्सी के साथ चर्चा करना चाहेंगे, सूचना और मूल्यांकन की ज़रूरतें हर एजेन्सी की अलग अलग होती हैं, और परियोजना के हिसाब से भी बदलती है |

परियोजना का कार्य जब चल रहा हो तो उसका मूल्यांकन करना आप और आपके प्रदाता को उसकी उपलब्धियाँ और उन्नति देखने में और आगे के कार्य करने में मदद करेगा | अपनी परियोजना के विकास की सावधानी से सूचना देना एक बहुत हो महत्वपूर्ण संसाधन है उन लोगों के लिए जो इस तरह की परियोजना करने की सोच रहे हैं |

आपके प्रस्ताव को यह बताना चाहिए कि किस तरह की रिपोर्ट्स प्रस्तुत की जाएँगी | इसमें नियमानुसार चालू रिपोर्ट्स और अंतिम रिपोर्ट्स शामिल होंगी | संक्षिप्त और बार बार भेजी जाने वाली रिपोर्ट्स में सिर्फ़ गतिविधियाँ और घटनायें ही शामिल होंगी| लंबी रिपोर्ट्स में यह सब शामिल होना चाहिए, परियोजना की गतिविधियों के नतीजे(सिर्फ़ गतिविधियाँ ही नहीं ), एक मूल्यांकन जो यह बताए कि किस हद तक उद्देश्य उपलब्ध कर लिए गये हैं, उपलब्ध ना होने के कारण, और लभभोगियों (लक्षित समूह) पर उसका प्रभाव |

रिपोर्ट्स हर महीने बनाई और प्रस्तुत की जानी चाहिए | प्रस्ताव को यह बताना चाहिए कि क्या रिपोर्ट्स प्रस्तुत की जाएँगी, कितनी आवृति मेंऔर उसका विषय क्या होगा | हर परियोजना (यदि आपका समूह एक से ज़्यादा परियोजना के प्रस्ताव दे रहा है) की एक अलग रिपोर्ट होनी चाहिए (दो या तीन पन्ने का विषय और बाकी ज़रूरी परिशिष्ट) |

एक विस्तृत मासिक रिपोर्ट में ये शामिल होना चाहिए कि अपेक्षित उद्देश्य किस हद तक उपलबद्ध किए गये हैं , उद्देशय पूरी तरह से उपलबद्ध ना होने के क्या कारण हैं, और उद्देश्यों को बदलने के कारण या सुझाव यदि उन्हें बदलने की ज़रूरत महसूस की गयी है | यह कथित रिपोर्ट घटनाओं और गतिविधियों पर जानकारी शामिल कर सकती है (क्या कार्य किए गये के लिए, नीचे देखें ), प्रंतु उसके उत्पाद पर ज़ोर देना चाहिए ( उन कार्यों के नतीजों जिस के कारण दिए गये उद्देश्य उपलबद्ध हुए) | लाभभोगियों के स्थान और संख्या पर ध्यान देना चाहिए | सबसेअच्छा तरीका रिपोर्ट को आयोजित करने का है कि उसके भागों को प्रस्ताव के भागों से संबंधित करें |

एक विस्तृत मासिक वित्तीय रिपोर्ट में यह सब शामिल होना चाहिए कि कितना पैसा मिला और कहाँ से मिला, कितना पैसा खर्च किया, प्रस्ताव में दिए गये आय व्यय पत्र के वर्गों की तरह पंक्ति दर पंक्ति की सूची दें,अधिक या कम खर्चे के कारण, और एक मूल्यांकन जो यह दर्शाए कि किस तरह से इस खर्चे ने परियोजना के उद्देश्यों को प्राप्त करने में योगदान किया |

अंतिम रिपोर्ट में मासिक रिपोर्ट के सभी भाग होने चाहिए, और उसमे एक और भाग होना चाहिए जिसका नाम होगा " सीखे गये सबक" , औरएक भाग होना चाहिए जो इस परियोजना का प्रभाव लक्षित समुदाय और आस पास के क्षेत्र पर बताए | रिपोर्ट संक्षिप्त होनी चाहिए (छोटी परंतु पूरी ) |

रिपोर्ट्स वास्तव में स्वयं आलोचक और विश्लेषक होनी चाहिए | देखें रिपोर्ट लेखन पर प्रतिरूपक |

वित्तीय रिपोर्ट्स पर भी कथित रिपोर्ट्स के नियम और दिशा निर्देश लागू होंगे | मासिक आय व्यय के नतीजे कार्यक्रम के लिए उतने ही ज़रूरी हैं जितने कि विवरण लेखे के लिए | आय व्यय पत्र के नतीजे के साथ नियोजित खर्चे से अलग यदि खर्चे हुए हैं तो उनका स्पष्टीकरण संग होना चाहिए |

14. परिशिष्ट (सन्लगन) :

आपके प्रस्ताव का विषय एक, संक्षिप्त प्रंतु शुरुआत से अंत तक एक पूर्ण विवाद - जो आसानी से पढ़ा जाए | बहुत सारी ज़रूरी जानकारियाँ आपके विषय को बहुत सँवलित और पढ़ने में कठिन बना सकती है, इसीलिय इन्हें परिशिष्ट में अंत में डालना चाहिए |

परिशिष्ट में डाले जाने वाले विशिष्ट प्रलेख :
  • सूचियाँ ;
  • रेखाचित्र ;
  • विस्तृत आय व्यय पत्र ;
  • कार्यों की विस्तृत जानकारी ; और
  • अन्य ज़रूरी विस्तृत प्रलेख |

जब आपने अपने प्रस्ताव का पहला प्रतिरूपक लिख लिया हो तो ध्यान से देखिए कि विषय में कोई विस्तृत जानकारी तो नहीं है जो विषय के सरल विवाद से पाठक का ध्यान मिटा रहा हो | उन्हे परिशिष्ट में डालें और उसकी जगह एक संक्षिप्त वर्णन लिखें और अधिक जानकारी के लिए पाठक को परिशिष्ट में देखने के लिए कहें |

अब प्रलेख को फिर से पढ़ें | विस्तृत जानकारियों को परिशिष्ट में डालने के बाद क्या विवाद का प्रवाह सरल हुआ है, और उसकी गैर हाज़िरी से विषय कमज़ोर नहीं हुआ है ? यदि हान? बहुत अच्छे! आपने परिशिष्ट का एक और उपयोग सीख लिया है |

परिशिष्ट में वो सब जानकारी हो सकती है जो प्रदाता एजेन्सी के अधिकारी को निधि देने या ना देने के निर्णय में मदद करे | परिशिष्ट का उद्देश्य ही वो सब जानकारी शामिल करना है जो बहुत ज़रूरी और महत्वपूर्ण हो ( जो एक समझदार पाठक देखेगा ), किंतु आपके प्रलेख के विषय में नहीं, क्यूंकी वहाँ तो आप एक सरल और संक्षिप्त विवाद चाहते हैं | यह विस्तृत जानकारी को अलग रखता है ताकि आप उसे ज़रूरत पड़ने पर देख सको |

15. विस्तृत आय व्यय पत्र :

पंक्ति दर पंक्ति वाला आय व्यय पत्र परिशिष्ट में डालना चाहिए | आपके विस्तृत आय व्यय पत्र की हर पंक्ति में उस वर्ग की पूरी लागत होनी चाहिए | पंक्तियों को एक जैसे समूह में डालना चाहिए (जैसे वेतन, गाड़ियाँ, ईंधन, संचार व्यवस्था, परिवहन आदि ) |

यदि आप कर सकते हैं तो, व्ययनीय(जो वस्तु इस्तेमाल करने पर शेष हो जाती है) और अव्ययनीय (जो दोबारा इस्तेमाल की जा सकती है) वस्तूयों को अलग कर दीजिए |

आय व्यय पत्र परियोजना को अमल और क्रियाशील बनाने में लगने वाली लागत का सही अनुमान होना चाहिए | अगर हो सके तो आत्म निर्भरता की संभावना प्रदर्शित कीजिए , या जिससे आप निवेदन कर रहे हैं उस से किसी अन्य स्रोत का सहयोग प्रदर्शित करें | लागत का अनुमान विवादी वर्गों में बाँट देना चाहिए जैसे : वेतन, समान और सामग्री, उपकरण, किराया, यात्रा और दैनिक भत्ता, दूरभाष |

आप या आपके संगठन के सदस्यों के द्वारा परियोजना के लिए दिया गया स्वैच्छिक दान की सूची होनी चाहिए और उसका नकद रूप का सही अनुमान होना चाहिए या उसे "निशुल्क" दिखाया जाना चाहिए | भौतिक सुविधाएँ जो परियोजना के लिए प्राप्त हैं या प्राप्त की जाएँगी उनको उल्लेखित कीजिए | इस परियोजना में इस्तेमाल होने वाले आपके संगठन के मौजूदा उपकरण और सामग्री का उल्लेख कीजिए | इस परियोजना में इस्तेमाल होने वाली अन्य निविष्टियाँ, जो सरकारी हों या किसी और संगठन से हों, को भी शामिल कीजिए |

अधिकतर निधि देने वाली एजेन्सीस अनुदान को मापना चाहती हैं या पूरा पैसा देने के बजाए बजट के कुछ हिस्से में सहयोग देना पसंद करती हैं | इसीलिए यह सुझाया जाता है कि निवेदन करते समय आप पूरा आय व्यय पत्र दिखाएँ, और यह भी संकेत करें कि कब आप बाकी नकद सहयोग की आशा रखते हैं या चाहते हैं |

16. संक्षेप ( कार्यकारिणी सार ) :

इस भाग को अंत में लिखें | यह वो भाग है जिसे पढ़ कर भावी प्रदाता एक अहम प्राथमिक निर्णय लेगा, कि वो गंभीरता से इसे सहयोग देने के बारे में सोचे या नहीं |

जब तक ऊपर के भाग लिखे ना गये हों तब तक यह लिखा नहीं जाना चाहिए और ना ही इसे लिखने के बारे में सोचना चाहिए | इसे प्रवेशन के रूप में लिखने की मत सोचिए | इसे एक छोटे सार और निष्कर्ष के रूप में सोचिए |

इसका अनुकूलतम माप आधा पन्ना होना चाहिए ; सबसे अधिक से अधिक एक पन्ना होना चाहिए | इससे ज़रा भी लंबा हुआ तो इसके ना पढ़े जाने का ख़तरा रहेगा | इसमें सबसे मुख्य योग्यताओं का सार होना चाहिए और यह व्यस्त बोर्ड के सदस्यों और अधिकारियों को ध्यान में रख कर लिखा जाना चाहिए जो इस प्रकार के पचास प्रस्ताव पढ़ते हों और शायद शुरुआत में सिर्फ़ परियोजना के प्रस्ताव का कार्यकारिणी सार ही पढ़ पाते हों |

विडंबना की बात यह है, जबकि आप अपना सार सबसे अंत में लिखते हो आप इसे प्रस्ताव के पहले पन्ने या शीर्षक पन्ने के एक दम पीछे डालते हो |

और जब आप इसे लिखना शेष करते हैं : . . .

अब जब आपने अपने प्रस्ताव का प्रारूप लिख लिया है, तो इसे सुझावों और आलोचनाओं के लिए दें | प्रस्ताव को आलोचनात्मक दृष्टि से देखें और उसे दौबारा लिखने या सोचने के लिए तैयार रहें |

17. कुछ अंतिम दिशा निर्देश टिप्पन्नीयाँ :

उन परियोजनाओं का निधीबद्ध होना संभावित है जो समुदायों द्वारा अंकित सबसे अहम ज़रूरत के लिए शीघ्र हैं, दीर्घकालिक हैं, छोटे पैमाने पर हैं, और कम आय व्ययक नियंत्रण वाली हैं |

अधिकतर परियोजनाओं का मूल्यांकन इस तरह से होगा कि वह उस भौगोलिक क्षेत्र के विस्तृत और संकलित दीर्घकालिक विकास में किस तरह से मदद करती हैं |

भावी परियोजना की पहचान में, अमल में और निगरानी में महिलायों की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करना चाहिए | प्रस्ताव को यह सही तरह से बताना चाहिए कि परियोजना के अभिकल्प में, उसके अमल में और लाभभोगियों में कितनी संख्या में महिलाएँ शामिल हैं |

कोई भी परियोजना जो बड़े और लंबे समय की योजनयों में शामिल होती हैं उन्हें निरंतरता और दीर्घकालिकता बनाए रखने के लिए अतिरिक्त निधि के स्रोत बताने चाहिए |

परियोजनाएँ जो उन्नतिशिल होती हैं, आत्म निर्भरता बड़ाती हैं और स्थानीय रूप से दीर्घकालिक होती हैं उनकी निधीबद्ध होने की संभावना अधिक होती है | आपके के प्रस्ताव में आपके अनुसार परियोजना कब आत्म निर्भर हो जाएगी अंकित होना चाहिए |

परियोजना की सफलता के लिए लक्षित समुदाय के हर भाग के सहयोग की आवश्यकता होती है | परियोजनाओं के स्वामित्व का भाव समुदाय में होना चाहिए (इसमें सभी स्थानीय आवासी और वो लोग जो इसके कारण विस्थापित हुए हैं सब शामिल होने चाहिए ) | इसका मतलब है कि शुरुआत में कोई ऐसी गतिविधि होनीचाहिए जैसे कि " सामुदायिक विकास जुटाव" , " सामाजिक उल्लास" या इसी प्रकार की कोई सुविधा जो यह निश्चित करे कि प्रभावी समुदाय के सभी सदस्य परियोजना के प्रस्ताव के निर्णयों में भाग लें | परियोजना के अभिग्यान में,उसके मूल्यांकन में, और उसके अमल में समस्त समुदाय की सक्रिय भागीदारी उसकी स्वीकृति के लिए अती आवश्यक है |

एक अच्छी परियोजना प्रतिरूपक होनी चाहिए | इसका मतलब है कि इसी परियोजना को किसी और समुदाय में अमल करना संभव होना चाहिए |

हिसाब और उत्तर्दायितव अति आवश्यक हैं |

कई लाभभोगियों के संसाधन, हमारी उनकी अवस्था की चिंता के पीछे छिप जाते हैं, प्रंतु यह भ्रमकारी हो सकता है | लक्षित समूह के छिपे संसाधनों में यह सब शामिल हो सकता है जैसे, निपुणता और विवेक, और आश्चर्यजनक रूप से कई आवश्यक संसाधन भी, दोनों पूंजी और सामग्री के रूप में | एक शिक्षक और संग्रहकारी के नाते आपका उद्देश्य यह होना चाहिए की किस तरह से हम लाभभोगियों को प्रोत्साहित करें की उनमें छिपे हुए संसाधन सामने आ जाएँ, और ऐसी सामाजिक विधि को प्रोत्साहित करें जो निर्भरता कम करती है और आत्म निर्भरता बड़ाती है |

निराश मत होइए ! हमारी शुभकामनाएँ!

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© कॉपीराइट १९६७, १९८७, २००७ फिल बार्टले
वेबडिजाईनर लुर्ड्स सदा
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आखरी अपडेट: १९.०८.२०११

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