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लिंग मुद्दे पर सहभागियों के लिए टिप्पणियाँ

के द्वारा फिल बार्टले, पीएच.डी.

अनुवादक: अपर्णा सिंहल


कार्यशाला में दिया गया पत्रक

लिंग संबंधित विषय आपकी सोच को हिलाने के लिए; चर्चा के लिए

लिंग भौतिक या शारीरिक नही है:

स्त्री या पुरुष होना भौतिक है; लिंग सामाजिक है.

जैविक विशिष्टतायें (कद, बनावट, रंग, बाल, गुप्ताँग आदि) प्रजनन के दौरान माता-पिता से मिले अणु (जीन्स) द्वारा प्रसारित होती हैं. सामाजिक विशिष्टतायें (प्रवृत्तियाँ, विश्वास, व्यवहार, नियम, भाषा) संचार और ज्ञान प्राप्ति के चिन्हों द्वारा प्रसारित होती हैं.

स्त्री और पुरुष संबंधी क्या सही या ग़लत है सीखा जाता है (और इसलिए बदला भी जा सकता है).

आर्थिक मुद्दा:

यदि कोई समूह (संस्था, समुदाय, समाज) जानबूझ कर अपनी जनता के पचास प्रतिशत लोगों को आर्थिक गतिविधियों में नही शामिल करता तो उसकी आर्थिक व्यवस्था की पचास प्रतिशत क्षमता खो जाती है.

यदि दोनों स्त्रियों और पुरुषों को शामिल किया जाएगा तो अर्थव्यवस्था में सुधार आएगा.

राजनैतिक मुद्दा:

यदि कोई समूह (संस्था, समुदाय, समाज) जानबूझ कर अपनी जनता के पचास प्रतिशत लोगों को राजनैतिक गतिविधियों (ऐसे निर्णय जो सबको प्रभावित करतें हैं) में नहीं शामिल करता तो उसकी राजनैतिक व्यवस्था कमज़ोर हो जाएगी.

यदि दोनो स्त्रियों और पुरुषों को शामिल किया जाता है तो राजनैतिक व्यवस्था बेहतर होगी (ज़्यादा रचनात्मकता, संभव समाधानों का ज़्यादा विस्तार) , और इससे जो संस्था, समुदाय या समाज है वे मज़बूत होंगें.

तकनीकी मुद्दा:

यदि कोई समूह (संस्था, समुदाय, समाज) जानबूझ कर अपनी जनता के पचास प्रतिशत लोगों को तकनीकी गतिविधियों (आविष्कार, औज़ार, पूंजी) में नहीं शामिल करता तो उसका तकनीकी पहलू कमज़ोर हो जाएगा.

यदि स्त्रियों को शामिल किया जाता है तो तकनीकी बुनियाद ज़्यादा विस्तृत होगी (ज़्यादा रचनात्मकता, संभव समाधानों का ज़्यादा विस्तार) , और इससे जो संस्था, समुदाय या समाज हैं वे मज़बूत होंगें.

मानव अधिकारों का मुद्दा:

सभी लोगों को एक नागरिक समाज में भाग लेने का पूरा अधिकार है चाहे वो किसी भी जाति, संस्कृति, वर्ग, धार्मिक प्रथा, लिंग या एतिहासिक आधार के हों.

सांस्कृतिक मुद्दा:

संस्कृति जीती है. जीवित रहने के लिए और पनपने के लिए, उसे बढ़ कर और अनुकूल बन कर बदलना चाहिए.

उसे बचाना - उसे मारने जैसा है. देखें: तो आप अपनी संस्कृति बचाना चाहते हैं?

यदि एक संस्था, समुदाय या समाज को जीवित रहना, आगे बढ़ना और पनपना है तो कुछ मूल्य जो पहले माने जाते थे जैसे की ये धारणायें की स्त्रियों को पुरुषों की सेवा करनी चाहिए, घर पर रहना चाहिए, और सामाजिक जीवन से दूर रहना चाहिए, बदलने की ज़रूरत है .

किसे फ़ायदा होगा?

छोटे समय मैं कुछ समूहों जैसे की स्त्रियों के लिए समानता बढ़ाने से कुछ लोगों (जैसे की कुछ पुरुषों) के लिए ऐसा प्रतीत होगा की कुछ धन, सुविधाओं, दर्जे और बल की हानि हुई है, जबकि, लंबे समय में, संस्था, समुदाय और समाज ज़्यादा मज़बूत और धनवान बनेंगे, और उनके सारे सदस्यों को फ़ायदा होगा.

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प्रशिक्षण:


प्रशिक्षण

© कॉपीराइट १९६७, १९८७, २००७ फिल बार्टले
वेबडिजाईनर लुर्ड्स सदा
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आखरी अपडेट: २०.०७.२०११

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