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समुदाय प्रबन्धन कार्यक्रम की रणनीति का चित्रके द्वारा फिल बार्टले, पीएच.डी.
अनुवादक - मितेष टान्कसमुदाय प्रबंधन रणनीति के लेख सेइस दस्तावेज़ को संक्षिप्त वर्णन रखने के जानकारी मुख्य मुद्दो के तरीके से प्रस्तुत की गयी है। रणनीति की समझ लेख मे हर मुद्दे की ज्यादा जानकारी दी गइ है।परिचय : इस सीएमपी रणनीति के तीन भाग है, जो एक दूसरे के पूरक का काम करते है। वह तीन भाग इस प्रकार हैं (1) समुदाय की भागीदारी को बढ़ावा देना (सन्साधन जुटाने के चक्र सहित), (2) समुदाय प्रबंधन (संस्थागत पुनर्गठन के लिए प्रबंधन प्रशिक्षण भी इसमे शामिल होता है), और (3) समर्थकारी वातावरण को बढ़ावा देना (जो सरकारी और गैर सरकारी वातावरण जो समुदायों को प्रभावित करता है)। इधर जिस रणनीति का संक्षिप्त वर्णन किया गया है, वह आम तौर से तत्वों का वर्णन के साथ शुरू होते है और उन तीन भागो से बाहरी होते है। इनमे ऎसे तत्व भी शामिल होते है जो रणनीति मे बदलाव लाने के कारक हो सकते है। बाद मे यह इस रणनीति में प्रशिक्षण की विशेष प्रकृति का वर्णन करता है(तीनो भागो को प्रभावित करने वाले)। रणनिती का मुख्य कारक स्त्रि-पुरुष समानता होता है(जागरूकता बढाना और समानता मे सुधार लाना) और यह तीनो भागो के साथ एकीकृत है। उसके बाद यह तीनो भागो के तत्त्व की सूची बनाता है। जानबूझ कर इसे छोटा रखा जाता है जिससे पूरी रणनीति की पूरी तस्वीर प्राप्त हो सके। इसके साथ ज्यादा जानकारी इस लेख मे शामिल है, "रणनीति की समझ." इस रणनीति में अलग अलग स्वरूप : समुदाय को मजबूत बनाने और गरीबी उन्मूलन को प्रभावित करने वाले कारकों को देखकर इस रणनीति को वक्त वक्त पर बदला जाता है। इनमे यह निम्नलिखित कारक शामिल है :
प्रशिक्षण : इस रणनीति के सारे प्रशिक्षण मे एक बात समान थी की वह अपरंपरागत, औपचारिक और मांग संचालित थी। इसमे हर दिन के काम मे आने वाला, संदर्भ उन्मुख, गैर कक्षा, गैर सुविधाजनक और व्याख्यान भागीदारी पर बल दिया जाता था। इस प्रशिक्षण मे रूढ़िवादी प्रयोजनों (जैसे कौशल हस्तांतरण, प्रोत्साहन, सूचना प्रदान करने, और जागरूकता बढ़ाना) जो प्रतिभागी को ध्यान मे होते है और एक अतिरिक्त, अपरंपरागत उद्देश्य: जो समूह का आयोजन या फिर पुन: आयोजन करता है, बाद मे अपनी क्षमता और प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए कार्रवाई शुरु करता है। स्त्रि-पुरुष समानता : सभी तीन प्रमुख तत्वों में और कार्यान्वयन के सभी स्तरों पर, यह रणनीति स्त्रि-पुरुष समानता का समर्थन करता है। यह कई सिद्धांतों पर आधारित है। जिसमे से पहला यह है कि व्यक्तियों के मानव अधिकारों के अनुसार बिना कोई भेद-भाव के कोई भी इस प्रक्रिया मे भाग ले सकता है। राजनीतिक और आर्थिक तर्क भी लागू होते हैं, अगर पचास प्रतिशत जनसंख्या को व्यवस्थित अपवर्जित किया जाता है तो अर्थव्यवस्था ठीक से कार्य नहीं करेंगे, और अच्छे प्रशासन पर भी इसी तरह का प्रभाव होगा। निम्नलिखित तीन भागों: पहला, दूसरा और तीसरा, संक्षेप मे समग्र रणनीति के तीन प्रमुख घटकों की पहचान करवाता है पहला भाग : सामुदायिक भागीदारी : इस रणनीति इस मान्यता पर आधारित है गरीबी में कमी और समुदाय को मजबूत बनाने के लिए समुदाय के सभी सदस्यों की भागीदारी आवश्यक है। इस रणनीति के तहद भागीदारी का मतलब समुदाय के किसी एक गुट ना हो कर पूरे समाज की भागीदारी होनी चाहिए और सब को स्थिति का मूल्यांकन करने, प्राथमिकता समस्याओं और लक्ष्यों को निर्धारित करने, कार्रवाई की योजना बनाने मे और, उन्हें निगरानी और उनके परिणामों के मूल्यांकन मे साथ देना चाहिए। इसका मतलब यह है कि समुदाय विकास के लिए अपनी पूरी जिम्मेदारी लेता है (वह किसी और पर इस चिज के लिये निर्भर नही रहता)। हालांकि संसाधनों का योगदान (जैसे की साम्प्रदायिक श्रम, आपूर्ति, दान) भागीदारी का एक पहलू है और जबकि संवाद और बाहरी सन्गठनो के साथ परामर्श करने को प्रोत्साहित किया जाता है, लेकिन हम चाहते हैं कि "भागीदारी" अधिक व्यापक हो और या "योगदान" या "परामर्श" से कही ज्यादा हो। सामुदायिक भागीदारी को बढावा देना : एक समुदाय को खुद के विकास संबंधी निर्णय लेने में प्रोत्साहन करने की प्रक्रिया एक चक्र समान है जिसे दोहराया जाता है। उसे आम तौर से सन्साधन जुटाने का चक्र या समस्या हल करने का चक्र या सामुदायिक विकास चक्र कहा जाता है। निम्नलिखित सूची मे इस चक्र में मुख्य कदम बताये गये है :
[* यह नीचे वर्णित प्रबंधन प्रशिक्षण का भी हिस्सा है।] उपरोक्त गतिविधियों मे सारे गतिविधियों शामिल नही है। हर कदम उससे पहले और बाद मे आने वाले कदम से संबंधित होता है, और पूरे चक्र के साथ भी जुडा होता है। हर कदम का एक तार्किक क्रम होता है। जब भी इस चक्र को दोहराया जाता है तब पिछले चक्र के मूल्यांकन को ध्यान मे लिया जाता है और उस चक्र से समुदाय की बढी मजबूती का भी फायदा मिलता है। परिपक्व समुदाय मे सामाजिक परिवर्तन : रणनीति मे कई अन्य तत्वों भी शामिल होते है जो सामुदायिक सशक्तिकरण और गरीबी में कमी के उद्देश्य से लिये जाते है लेकिन बदलती परिस्थितियों के अनुसार विभिन्न समय पर शुरू की जा सकती है। इसमे यह शामिल हैं :
सन्साधन जुटाने का लक्ष्य हर एक समुदाय के लिए भिन्न होते है। लेकिन कई समान तत्व होते है जैसे की गरीबी उन्मूलन, सुशासन, सामाजिक संगठन (विकास), समुदाय के क्षमता निर्माण में परिवर्तन, कम आय वाले लोगों और स्त्रि-पुरुष समानता। दूसरा भाग : सामुदायिक प्रबंधन : रूढ़िवादी सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने और सामुदायिक विकास कार्यो पर आधारित रणनीति समुदाय प्रबंधन की शुरुआत के साथ आगे ले जाता है। हालांकि इस प्रशिक्षण की मुख्य विशेषता, प्रशिक्षण के रूढ़िवादी उद्देश्य, प्रशिक्षार्थियों के लिए कौशल का हस्तांतरण, से परे चला जाता है। अर्थात्. प्रबंधन का प्रशिक्षण जागरूकता को भी बढ़ाता है, जानकारी का स्थानांतरण और प्रोत्साहन भी शामिल है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उसमे संगठन को मजबूत करना शामिल है। जहाँ संगठन अस्तित्व में नहीं है, यह नई संरचनाओं बनाकर समुदाय द्वारा वांछित परिणाम प्राप्त करने की कोशिश करता है और, जहां कुछ संगठन पहले से ही सक्रिय है उधर उद्देश्य प्राप्त करने और प्रभावशीलता की वृद्धि के लिए, इसे पुन: संरचरित करता है और समुदाय को इसके चुनाव मे शामिल करता है। यह आयोजन या पुन: आयोजन प्रबंधन प्रशिक्षण की उत्पाद है (मिलन का आयोजन व्यापार करने के लिए), और चार कन्द्रिय प्रबंधन सवालों पर बनाया गया है (हम क्या चाहते हैं? हमारे पास क्या है? हम कैसे उसका बेहतर इस्तेमाल कर सकते है? और क्या जब हम ऎसा करेन्गे तब कर क्या होगा?)। समुदाय प्रबंधन प्रशिक्षण : समुदायों को मजबूत बनाने के लिए प्रबंधन प्रशिक्षण को सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने और जुटाना चक्र के साथ एकीकृत किया जाना चाहिए। इस प्रशिक्षण का आयोजन कौशल का हस्तान्तरण और आयोजन मे मदद के लिये किया जाता है। यह निम्नलिखित तत्व इसमे शामिल होते है :
हालांकि यह सारी प्रबंधन प्रशिक्षण मुख्यतः सामुदायिक सशक्तिकरण और समुदाय या सामाजिक स्तर पर गरीबी कम करने के उद्देश्य से कर रहे हैं, लेकिन कई तत्वों सूक्ष्म उद्यम के गठन और मजबूत बनाने के लिये निजी, व्यक्तिगत उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करते है। इसमे यह सारे शामिल हैं :
जुटाना चक्र के विपरीत, इन दो सूचियों के सभी तत्वों का वर्णन की सूची लगभग कार्रवाई के क्रम में है, और ताकत एवम कमजोरियों का सतत मूल्यांकन के अनुसार इस क्रम मे बदलाव लाना होगा। प्रबंधन प्रशिक्षण के उपकरण : प्रबंधन प्रशिक्षण कई समुदायिक समूहों और व्यक्तियों की श्रेणी के लिए आयोजित की जाती है। इस रणनीति मे विकास, स्थानीयकरण और उपकरणो को लक्ष्यों के अनुसार ढालना भी शामिल होता है। इसमे यह सब शामिल होते है :
इन उपकरणों का समुदाय प्रबंधन प्रशिक्षण के विशेष प्रकृति से देखा जाता है, यह कौशल प्रशिक्षण, जानकारी के आदान प्रदान करने, जागरूकता बढ़ाने और प्रोत्साहन देने से कई ज्यादा है। प्रबंधन प्रशिक्षण को आयोजन या पुन: आयोजन या मौजूदा ढांचे को बढ़ाने और बेहतर बनाने में इस रणनीति में प्रयोग किया जाता है। तीसरा भाग : सक्षम करने के लिए अनुकूल वातावरण ; Tबिना किसी चिज के समुदाय सुदृढ़ और गरीबी उन्मूलन मे कोइ तरक्की नही हो सकते। हर समुदाय के आसपास का वातावरण, उसका सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक माहौल उसके सामुदायिक सशक्तिकरण को प्रभावित करता है। इस को ध्यान में रखते हुए इस समुदाय प्रबंधन रणनीति के तीसरा प्रमुख तत्व को शामिल किया जाता है, जो ऎसे वातावरण बनाने मे मदद करता है जिससे स्वयं सहायता सुधार, आत्म निर्भरता, सामुदायिक सशक्तिकरण की दिशा में कार्रवाई, और गरीबी का उन्मूलन के तरफ कदम बढाने मे मदद करता है। जो सरकार समुदाय को सशक्त करने मे मदद करता है, उसके समर्थन मे निम्नलिखित तत्वों शामिल होते है :
समुदाय को मजबूत बनाने तथा गरीबी कम करने को सक्षम करने के लिए पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए एक रणनीति के निम्नलिखित तीन भागो में वर्गीकृत किया जाता हैं: (1) केन्द्रीय सरकार, (2) जिला और स्थानीय परिषद के विभिन्न स्तर और (3) गैर सरकारी सन्स्थाए। केन्द्र सरकार और सक्षम बनाने की प्रक्रिया : सक्षम बनाने की रणनीति सुधार में सहायता पर जोर देती है। जहाँ सरकार केंद्रीकृत है, उदाहरण के लिए, और उसे विकेन्द्रीकरण करना हो तो सहायता को विकेंद्रीकरण की शुरुआत की ओर निर्देशित करना होता है। यदि सरकार पहले ही विकेंद्रीकरण की राह पर है, तो सहायता अधिक व्यावहारिक होती है और विशेष कर देश को ध्यान मे रखकर की जाती है। बाद मे इसे प्रजातंत्रीय बनाने की प्रक्रिया के लिए, वित्तीय अधिकार का हस्तांतरण करने के लिए, विकास मंत्रालयों के विकेंद्रीकरण करने के लिए, और अन्य प्रासंगिक सुधारों, को लागू करने मे होता है और केंद्र सरकार के उपयुक्त संशोधन मदद करता है। निम्नलिखित तत्वों और उपकरणों को रणनीति में शामिल किया जाता हैं :
केंद्रीय सरकार को कानूनों में परिवर्तन करने के लिए अग्रणी, विनियमों और प्रक्रियाओं मे सहायता प्रदान कराना, सामुदायिक सशक्तिकरण और गरीबी उन्मूलन के लिए एक अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देने की रणनीति का ही हिस्सा मात्र है। उसके साथ आपको समुदायों के करीब जो स्थानीय अधिकारियों को और गैर सरकारी संगठनों को पूरक सहायता प्रदान करनी चाहिए क्योकि यह समुदायों की आर्थिक, राजनीतिक वातावरण में सामाजिक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जिला परिषद और स्थानीय सरकारों की भूमिका जब केंद्र सरकार अधिकार, निर्णय लेने और जिलों के लिए वित्तीय नियंत्रण का विकेन्द्रियकरण करता है, उसके साथ जिला प्रशासन और सरकारों के समवर्ती क्षमता को मजबूत बनाया जाना चाहिए. यदि विकेन्द्रीकरण किया जाना है, यह अत्याचार का विकेन्द्रियकरण नहीं होना चाहिए। कौशल बढाने के साथ, जिला अधिकारियों को भागीदारी योजना और प्रबंधन से अवगत करवाना होगा जिससे बातचीत और समुदाय के लिए अनुकुल वातावरण बनाने के मदद मिले। इस रणनीति में यह सारी चिजे शामिल हैं :
जिले स्तर या उसके समकक्ष स्तर पर, तीन किस्म के लोग समुदाय पर प्रभाव डाल सकते है और समुदाय भागीदारी की विधियों मे प्रशिक्षण के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं (1) जिला के सिविल सेवकों, (2) के जिला नेताओं और राजनीतिकों, और (3), तकनीकी विशेषज्ञ। उनके "प्रदाता" से "सहायक" को बदलने की प्रकृति उनकी शक्ति के स्रोत के अनुसार भिन्न होती है। गैर सरकारी वातावरण : हालांकि गैर सरकारी संगठनों को मुख्य रूप से सरकार द्वारा निर्धारित सीमा में कार्य करना चाहिए, वह समुदायों के समग्र परिवेश का एक हिस्सा भी है और इस कानून और व्यवहार पर निर्भर करता है। अगर वह उदार सहिष्णुता के वातावरण में काम कर सकते हैं, वे संभावित भागीदारी के विकास के लिए एक बड़ी ताकत के रूप मे आगे आ सकते है। उन्हे कुछ मार्गदर्शन की थोडी जरूरत होगी। अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन अपने साथ जो संसाधन (मुख्य रूप से वित्तीय और कौशल) लाते है वह उनका मुख्य योगदान होता है, जबकि स्थानीय और राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन नागरिको के बीच की भागीदारी की प्रक्रिया करने के लिए और विशेषकर मानव अधिकारों में योगदान करते हैं। इस रणनीति में यह सब शामिल होता हैं :
इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य है गैर सरकारी संगठनों सरकार, समुदाय और निजी क्षेत्र के सभी स्तरों के साथ भागीदारी करे और उसके सब अपनी अलग अलग शक्तियों पर जोर। इसी से ऎसा वातावरण बनाया जा सकता है जिससे निम्न आय वाले समुदाय सशक्तिकरण और गरीबी उन्मूलन के लिए काम किया जा सकता है। सारांश : सामुदायिक सश्क्तिकरण के रणनिति तहद कम आय वाले समुदायों और गरीबी उन्मूलन को मजबूत बनाने के तीन मुख्य भाग होते है : सामुदायिक सशक्तीकरण, प्रबंधन प्रशिक्षण और एक अनुकूल माहौल। यह सारे एक साथ लागू किया जाते है और एक दूसरे के साथ एकीकृत होते है, लेकिन परिस्थितियों के अनुसार बद्लने जितना लचीला भी होते है। ––»«––प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यशाला : © कॉपीराइट १९६७, १९८७, २००७ फिल बार्टले
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