विधि सशक्तिकरण मापने की
अनुवादित द्वारा
प्रशिक्षक के नोट्स
सुमदाय अथवा संगठन के सदस्य एक उचित स्रोत है मापके के लिए.
भूमिका:
हमारा
लक्ष्य समुदायों को मजबूत बनाना
है. हम यह कैसे जान सकते है की हम सफल
हुए, और किस हद्द तक सफल हुए? समुदाय
का सशक्तिकरण हम कैसे माप सकते है?
उनकी बड़ी हुई क्षमताव से, उनके सशक्त
बन्ने से?
"मापना"
और "परिभाषित" करना आपस में नजदीक
से सम्बंधित है यहाँ पर. दुर्भाग्यपूर्ण,
हमारे पास ऐसा कोई स्वचालित मापक
नहीं मौजूद है जो की, जब यह ६२ से ७९
तक पहुंचे, तो हम समझ जाए की शकते
१७ अंको से बढ गयी है.
सोलह
तत्व:
हम
समुदाय में लगे विभिन "शक्ति" "अधिकार"
और "क्षमता" के धारणाओं का विश्लेषण
करके, पहचान सकते है उन टिप्पणियो
को जो हमें यह बता सके की सशक्तिकरण
हुआ है की नहीं.
यह
सोलह तत्व है, कौशल, परोपकारिता, सामान्य
महत्त्व, सांप्रदायिक सेवाए, संचार,
आत्मविश्वास, प्रसंग, सूचना, व्यवधान,
नेतृत्व, नेटवर्किंग, संगठन, राजनीतिक
शक्ति, विश्वास, एकता, संपत्ति.
देखिये
सुमुदाये
की शक्ति के तत्वों कोइन
सोलह तत्वों का संक्षिप्त विवरण
वहां दिया गया है.
मापने
में होने वाली दिक्कते:
एक
शोधकर्ता, जो एक प्रश्नावली की रचना
करता है, उसके लिए यह बहुत कठिन है
की वेह ताकत के बदलते स्तर को बारीकी
से माप सके. इनका बेहतर अवलोकन अवं
सत्यापन प्रशिक्षक द्वारा विचार
विमर्श के रूप में हो सकता है.प्रशिक्षक
समुदाय के सभी सदस्यों को इकठ्ठा
करके, उनके विचार पूछता है अवं यह
जानने के कोशिश करता है की प्रत्येक
तत्व में कितना परिवर्तन आया है.
एक
चिकित्सालय के भौतिक निर्माण को
जांचना अभिक आसान है; उदहारण के लिए,
वेह विवरण दे सकते है की निर्माण
नींव स्तर पैर पहुंचा है या दीवार
के स्तर पैर. इसकी तुलना में, समुदाय
की बदलती ताकत अवं क्षमता को जांचने
के लिए आपको समुदाय के बदलते सामाजिक
विशेषताओं का समाजशास्त्रीय माप
करना पड़ेगा.
(एक
प्रयोगशाला का तकनीशियन थर्मामीटर
द्वारा रोगी का तापमान पता कर सकता
है, अवं उसका परिणाम बहुत अलग होगा
जब चिकित्सक रोगी से पूछेगा " आपको
कैसा लग रहा है?" तथा रोगी को प्रतिक्रिया
का मौका देता है. रोगी को थर्मामीटर
के सिध्धांतो की जानकारी की जरूरत
नहीं है, परन्तु उसे चिकित्सक द्वारा
पूछे गए सवाल को समझ में आना चाहिए.
दुर्भागय्पूर्ण, समाजशास्त्र में,
थर्मामीटर के मुकाबले, प्रश्नावली
बहुत कम निक्ष्पक्ष और यथार्थ होते
है. ऐसे इसलिए है क्यूंकि प्रतिवादी
अवं साक्षातकर्ता, सवालो के प्रक्रति
या उद्देश्य को नहीं समझ पाते. ना
ही वेह यह समझ पाते है की वेह क्या
मापना चाहते है. अवं शारीर के तापमान
की तरह यहाँ कोई स्वीकृत मापदंड
मौजूद नहीं है. )
इसका
मतलब है के समुदाय के सदस्यों को
अवगत करना होगा सशक्तिकरण के लक्सए
और तत्वों का (अवं तत्काल उद्देश्य
जो की सुविधा का निर्माण है), और यह
केवल शोधकर्ताओं द्वारा नहीं किया
जा सकता.
यह
जरूरी है के समुदाय सहभागी बने अपनी
ताकत के मूल्याकन के दौरान. और उन्हें
अवगत कराया जाए सशक्तिकरण के तत्वों
का. इसलिए प्रशिक्षक को जरूर उन्हें
इन तत्वों की व्याख्या करनी चाहिए
सह-भागिता
द्वारा मापना:
यह
समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है
की वेह अपनी शक्तियों को पहचानने
की प्रक्रिया में शामिल हो, तथा जब
वेह सुनिश्चित किया जा रहा हो की
उनकी शक्ति कितनी बड़ी है. जब किसी
चिकित्सालय का निर्माण हो रहा हो,
तोह यह जानना आसान है की कितना निर्माण
हो चुका. समुदाय की शक्ति अथवा क्षमता
में बढोतरी खुद में एक लचीला लक्ष्य
है, जिसमे कोई निश्चित सिमित अंत
नहीं है.
समुदाय
खुद ही (न सिर्फ कुछ गुट अथवा प्रभावशाली
व्यक्ति) अपनी क्षमता में हुई बढोतरी
की मूल्याङ्कन का हिस्सा होना चाहिए.
समुदाय को यह पता करना चाहिए की किस
(यदि कोई बढोतरी हुई है) तत्व का योगदान
रहा है उनकी क्षमता को बढाने में,
तथा क्या समुदाय अभी भी उस तत्व में
दिलचस्पी रखता है. समुदाय का अवलोकन
को मापना का तरीके अलग होना चाहिए.
याद रखिये की चिकित्सा के निर्माण
की निगरानी करना और समुदाय की बढती
क्षमताओ को मापना दो अलग चीज है.
वेह
मोबिलाइज़र जो समुदाय को स्वं-सहायता
गतिविधिओ में व्यस्त रखता है, ऐसा
उन्होंने "फेसिलिटेटिंग और ना की
कक्षा के मध्यम" से किया. यही दृष्टिकोण,
समस्त समुदाय को साथ में लाना किसी
बैठक में निर्णय लेने के लिए, ज्यादा
उपयोगी है अगर आपको समुदाय की बढती
क्षमताओ को मापना है. मापने का काम
मोबिलाइज़र द्वारा ही किया जा सकता
है. अथवा किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा
जो समुदाय और उसके इतिहास से परिचित
हो.
आदर्शरूप
से, समुदाय को प्रत्येक वर्ष मिलना
चाहिए और वही मोबिलाइज़र को उस बैठक
का नेतृत्व करना चाहिए. मोबिलाइज़र
हर तत्व की व्याख्या करेगा और हर
उस तत्व को समझाएगा, जिसे समझाना
चाहिए. उसके बार सभी चर्चा करंगे
की समुदाय में, पिछले साल के भाँती,
कितना परिवर्तन आया है. इस चर्चा
का अभिलेख लिखा जाएगा जो की यह संकेत
देगा की समुदाय की क्षमताओ में कितनी
वृद्धि हुई है आखरी बैठक की तुलना
में.
वास्तविकता
में, मोबिलाइज़र बदल जाते है, समुदाय
के सदस्य आते है और चले जाते है, समुदाय
के सभी सदस्य बैठक में हिस्सा नहीं
ले पाते, सम्पूर्ण भागीदारी संभव
नहीं होती, और वेह सब परिवर्तन जो
समुदाय में होते है, सदस्यों धारणाओं
अवं महत्वो को प्रभावित करती है.
उदहारण के लिए, प्रारंभिक चरण में
यह उम्मीद की जाती है, की समुदाय के
सदस्य अपनी गरीबी से अवगत है, और जानते
है की समुदाय के बाहर के डोनर की संसाधनों
से ही यह गरीबी समाप्त होगी.
बाद
के चरणों में, जब सदस्यों में आत्मविश्वास
बढता है, उन्हें बहरी दान की इच्छा
कम हो न हो, परन्तु उन्हें इस बात
का भी एहसास होगा की समुदाय में ऐसे
निर्णय लेना महत्वपूर्ण है, और वेह
समुदाय में मौजूद संसाधनों को पहचानने
की कोशिश करेंगे.
तरीका:
समुदाय
आधारित निगरानी की प्रक्रिया को
आरम्भ करने के लिए जरूरत है एक फैसिलिटेटर
की, एक लेखक / रिकॉर्डर की अथवा सामुदायिक
बैठक की. फैसिलिटेटर उन्ही प्रक्रियाओं
से शुरुआत कर सकता है, जिनका इस्तेमाल
उन्होंने सदस्यों को इकठ्ठा करने
के लिए किया था.
इकठ्ठा
करने की तकनीक की शुरुआत होती है
एकता का आयोजन द्वारा, उनसे सवाल
पूछ्के उन समस्याओ के बारे में जो
प्राथमिकता में सबसे ऊपर हो. हर उत्तर
को बोर्ड पैर लिखा जाता है, और किसी
भी जवाब पे कोई भी चर्चा नहीं होती.
जब हर समस्या पर सहमती हो जाती है,
तो फेसिलिटेटर "समस्या" के बदले "लक्ष्य"
लिख देता है.
इसी
तरह, समुदाय के मोनिटरिंग बैठक के
दौरान, फेसिलिटेटर ऊपर लिखे गए सभी
तत्वों को समझाता है, ब्लैकबोर्ड
अथवा अखबारी कागज के पात्र पर. फेसिलिटेटर
सदस्यों से पूछता है की की उनके ख्याल
से कितना परिवर्तन आया है, और उनके
जवाब को बोर्ड पैर लिख देता है.
फैसिलिटेटर
यह पूछता है की कौन सा तत्व सबसे अधिक
प्रभावित हुआ है अवं कौन सा तत्व
सबसे कम, और उसके कारण क्या है. प्रत्येक
विषय फैसिलिटेटर द्वारा बोर्ड पर
लिख दिए जाते है, अवं रेकॉर्डर उन्हें
अपनी पत्रिका में लिख देता है उन
अन्य विवरण के साथ जो बोर्ड पर नहीं
लिखी जाती. इसके बाद साड़ी प्रतिक्रियाओं
को बोर्ड पैर लिखा जाता है जो यह संकेत
देती है किस्त तत्व में सबसे अधिक
परिवर्तन आया है और किस तत्व में
सबसे कम.
मूल्यांकन
के दौरान फैसिलिटेटर कोशिश करता
है की सदस्यों में आम सहमती हो जाए.
यदि अतीत में एक से अधिक सेशन हुए
है, तो बैठक में यह सुनिश्चित किया
जाना चाहिए की किस चरण में परिवर्तन
का दर सबसे ज्यादा था. यह सुनिश्चित
कीजिये की बैठक में मौजूद सभी सदस्यों
को सभी तत्वों की परिभाषा पता है.
रिपोर्ट
का पहला प्रारूप, बैठक के पहले दिन
बन जाना चाहिए. इसकी समीक्षा फैसिलिटेटर
और रिकॉर्डर द्वारा की जाने चाहिए.
अगर समय की कमी नहीं है, तो फैसिलिटेटर
रिपोर्ट तो कुछ चयनित सदस्यों को
सत्यापन के लिए दिखा सकता है.
रिपोर्ट
में ऊपर कहे गए सभी तत्वों की व्याख्या
होनी चाहिए, तथा सुमुदय के सदस्यों
के द्वारा उनकी समीक्षा होनी चाहिए.
यहाँ पर यह लग सकता है की परिवर्तन
का स्तर मापना मुश्किल है, परन्तु
यहाँ कई विभिन्न व्याख्या मिलेंगी,
परिवर्तन की प्रक्रति के ऊपर.
सालाना
आयोजित समुदाय की इस बैठक को मोबीलाइज़ेशन
के दौरान हुई बैठक की तरह आयोजित
करे. फेसिलिटेटर को अन्य प्रकार
की विधि अपनानी चाहिए जिससे सदस्य
ज्यादा शामिल हो सके. रेकॉर्डर सभी
सुझावों के विवरण को रिकॉर्ड करता
है, जब फेसिलिटेटर मुख्य अंको को
बोर्ड में लिखता है.
हर
तत्व को समझाने के बाद समूह में आम
सहमती के लिए पूछे.
- वर्तमान में संबंधित ताकत,
- पिछले बारह महीनो में हुआ परिवर्तन,
- पिछले चार सालो में हुआ परिवर्तन,
अलग
अलग व्याख्या की अनुमति दे, तब आम
सहमती की तरफ बड़े. शर्मीले अवं नम्र
लोगो को बोलने के लिए प्रोत्साहित
करे.
मुखे
अंको को बोर्ड में लिखे जब तक रेकॉर्डर
सारा ब्यौरा लिखता है.
प्रक्रिया
को आसान बनाने के लिए, आप प्रयोग कर
सकते है कार्यशाला में इस्तेमाल
किये गए कागजो का. सशक्तिकरण
को मापने के फॉर्मजहाँ
पर प्रतिभागी अपने खुद के आंकलन
लिख सकते है, जो बाद में समूह की बैठक
में जोड़े जा सकते है.
फॉर्म
में ऐसा भी भाग है जहाँ अशिक्षित
प्रतिभागी भी, अपने शब्दों में, लिख
सकते हैं उन कारणों के बारे में जो
हर तत्वों के आंकलन में इस्तेमाल
किये गए है. बैठक ख़तम होने के बाद
इन्हें गौर से पड़ा जा सकता है.
अतिरिक्त
सुचना:
एक
औपचारिक, अनुर्वर, बाह्य उन्मुख,
प्रश्नावली, दृष्टिकोण, आप को देगा
गलत और विकृत परिणाम की तरफ. यह इसलिए
होता है क्यूंकि ऐसी खोज के निर्माता
समुदाय से दूर होने की जवाह से समुदाय
से कम परिचित होते है.
समुदाय
के सदस्य भी सुचना को विकृत कर सकते
है, क्यूंकि उनको लगता है की सुर्खियों
में उन्हें सबसे अच्छे जवाब ही देने
चाहिए, न की सही जवाब.
उप्रयुक्त
कहे गए भागीदारी के तरीके से भी ऐसा
परिणाम निकल सकता है जो की सही नहीं
हो और एक दृष्टिकोण की तरफ झुका हुआ
हो. इसे संतुलित करने के लिए, आपको
अतिरिक्त सुचना इकठ्ठी करनी चाहिए
सभी सोलह तत्वों के लिए.
यह
तरह तरह की होंगी और यह निर्भर कार्नेगी
सुचना पे जो मौजूद है, जो इस बात पर
निर्भर करेगी की हर तत्व में कितनी
शक्ति है. सामान्य रूप में, समुदाय
में जितनी ज्यादा शक्ति होगी, उतनी
की क्षमता उसमे होगी, और उन्ती ही
सुचना उनसे उपलब्ध होगी.
विभिन
तत्व भी अपने आप में अलग होंगे. यह
निर्भर करेगा की कितने हद तक वो प्रयोग
में आते है उद्देश्य को प्राप्त
करने में.
सूचनाउदहारण
के तौर पर, आसान नहीं है मापना, पर
जांचा जा सकता है उन रेकॉर्ड्स को
देख कर जो यह दर्शाता है की किनते
लोग तयार है कान करने के लिए समुदाय
के लिए धन इकठ्ठा करने के लिए, या
कितने निवासी तयार है सांप्रदायिक
श्रम गतिविधि करने के लिए.
सामान्य
महत्त्व को
रिकॉर्ड किया जा सकता है भागीदारी
मानवविज्ञानं के तरीको द्वारा; बहुत
कम ऐसे समुदाय होंगे जिन्होंने अपने
महत्वो को लिख कर रखा होगा.
सांप्रदायिक
सेवाए को
मापना कुछ आसान है, अगर आप रिकॉर्ड
करे कितने चिकित्सालय, सड़के, बाज़ार,
विद्यालय, पानी की आपूर्ति अवं स्वच्छता
की व्यवस्था हुई है. इनमे सालो में
अवं दशको में कितना परिवर्तन आया
है, यह पता करने से आप इस तत्व का आप
हिसाब लगा सकते है.
संचारभी
आसान है रिकॉर्ड करने के लिए यदि
सामग्री में कमी हो परंतो बोलने,
लिखनें, सुनने की क्षमता हो. यह प्रकृति
में ज्यादा समाजशास्त्रीय है.
आत्मविश्वास(समुदाय
अवं व्यक्तिगत), इसी तरह एक "नरम" लक्ष्य
है.
प्रसंग का
निष्पक्ष विश्लेषण किया जा सकता
है अगर आप गौर करे औपचारिक कानूनों
पर, विधि निर्माण पर, अवं सरकारी निर्देश
और दिशानिर्देश पर. परन्तु, यहाँ
एक "नरम" पक्ष है जो मौजूद है नेताओ
अवं स्थानीय अधिकारियों के अलिखित
रवैया और व्यवहार के रूप में. सुचना
तभी सही प्रकार से लिखी जा सकती है
जब आप मौजूदा निर्माण की तरफ ध्यान
दे.
हस्तक्षेप तभी
मापी जा सकती है अगर समुदाय में अन्य
कम्युनिटी विकास कार्यकर्ता के
काम का रिकॉर्ड मौजूद हो. यह रिकॉर्ड
एन.जी.ओ. के कर्येकर्ता के लिए मुश्किल
होंगे तुलना में सरकारी कर्येकर्ताओ
के, परन्तु यह अलग भी हो सकता है जब
एन.जी.ओ. के पास रिकॉर्ड सही प्रकार
से रखे गए हो, जो की सरकारी दफ्तरों
में नहीं रखे जाते.
नेतृत्व मापा
जा सकता है औपचारिक और अनौपचारिक
नेताओं की सूची द्वारा, पर उनके द्वारा
कितना काम हो सकता है, यह मापना मुश्किल
है.
नेटवर्किंगमापा
जा सकता है एक सूचि द्वारा जो उन शक्तिशाली
व्यक्तियों का विवरण देगी जिन के
पास समुदाय के सदस्य जा सकते है. परन्तु
यह सूचि यह नहीं बता सकती की इन व्यक्तिओ
से नाता किनता नजदीकी का है.
संगठनात्मक औपचारिक
रूप से, यह रिकॉर्ड किया जा सकता है
अवं इसकी तुलना की जा सकती है पहले
से मौजूद रिकॉर्ड द्वारा, यह जानने
के लिए की यदि कोई परिवर्तन आया है
या नहीं.
राजनैतिक
क्षमताऔपचारिक
रूप से मापी जा सकती है (जैसे की नेतृत्व)
परन्तु गुणात्मक चर, जैसे की पारदर्शिता
अवं समर्थकारी, किसी भी रिकॉर्ड
में मौजोद नहीं होंगे.
कौशल अधिक
आसन है मापना औपचारिक रूप से. परन्तु
एक सूचि बनाना जिसमे सभी व्यक्तिओ
के नाम मौजूद है जिन्होंने किसी
प्रकार के ट्रेनिंग में हिस्सा लिया
है, यह नहीं दर्शाता की वेह व्यक्ति
कितना समर्पित, प्रेरित और भरोसेमंद
है.
विश्वास सामूहिक
दृष्टिकोण अवं महत्व का मामला है,
जो समुदाय में मौजूद लोगो पर निर्भर
करता है. यह समाजशास्त्रीय अवं "नरम"
चर है जिन्हें अंको मेंन मापना मुश्किल
है. (भागीदारी की प्रक्रिया के परिणाम
से आप इसका आंकलन कर सकते है).
एकताइसी
तरह, समुदाय के मूल्यों का संग्रह
है, जो अलग-अलग नज़रिए से व्यक्त किया
जाता है.
संपत्ति कुछ
हद तक अंको में मापी जा सकती है, हालाँकि
ज्यादातर लोग अपनी आय और सम्पति
की सुचना किसी को नहीं देना चाहए,
और कुछ लोग पूर्ण रूप से इस बारे अवगत
नहीं होते. इसके अलावा, समुदाय की
क्षमता जाने के लिए समुदाय की सम्पति
मालूम होनी चाहिए जो की व्यक्तिगत
सम्पति के जोड़ से अलग होगी. इसके
अतिरिक्त समुदाय की सम्पति मुद्रिकृत
फॉर्म में दर्ज न हो (उदहारण के लिए
किसी चिकिस्ताल्या अथवा सड़क का मूल्य)
समुदाय
के सदस्यों के लिए, बहरी शोधकर्ता
की तरह ही, लगभग मुश्किल है, इन सोलह
तत्वों की वर्तमान में माप करना
भागीदारी
का तरीका, फेसिलिटेटर की मदद से, पुरे
समुदाय को मूल्यांकन के लिए शामिल
करके, अधिक वैध और उपयोगी हो जाता
है, जब उसी बैठक में, समूह मूल्यांकन
करता है उन स्तर का जो मौजूद थे, एक
साल पूर्व अवं पांच वर्ष पूर्व, क्यूंकि
यह मुमकिन है की वेह वाही मापने वाली
छड़ी का प्रोयोग करेंगे सब के लिए.
एक
रूपरेखा:
तरह
एक फार्म का उपयोग करें इसअपने
आप इसे रचे अपनी आवश्यकता और स्थिति
को ध्यान में रखते हुए. कृपया
ध्यान दे की इसे ऐसा बनाये की वेब
साईट पर आ सके.
निष्कर्ष:
यह
कोई अनुसंधान करने के लिए औपचारिक
अवं जटिल दस्तावेज नहीं है (हालाँकि
लेखक ने विश्वविद्यालय स्तर में
सामाजिक विज्ञान से जुडी अनुसंधान
विधि यूरोप, उत्तरी अमेरिका अवं
अफ्रीका में कई वर्षो से सिखाई है).
यह प्रशिक्षण का हिस्सा है जो की
उन कार्येकर्ताओ के लिए है जो समुदाय
के सशक्तिकरण में जुड़े हुए है. दुर्भाग्यपूर्ण,
महत्वपूर्ण विषय जैसी की "समुदाय
का सशक्तिकरण", जो की हमारा प्रमुख
अवं सम्पूर्ण लक्ष्य है, वेह अच्छी
तरह से परिभाषित नहीं है.
इन
सोलह तत्वों, अवं इन्हें मापने की
खासियत, को देखकर (ताकि हम इस बात
का आंकलन कर सके की समुदाय में सशक्तिकरण
हुआ है की नहीं), मोबीलाइसेर अधिक
जागरूक हो जाता है अपने कार्य के
विशिष्ट लक्ष्यों की ऊर, और उसे अपने
कार्य की ज्यादा गहराई से समझ हो
जाती है. इस लिए हम कहते है की हालाँकि
यह किताब मुख्य रूम से फील्ड में
काम कर रहे कार्यकर्ताओ के लिए है,
पर इसे अन्य योजनाकार, प्रशासक, सामंजस्य
अवं प्रबंधकों को भी पड़ना चाहिए.
इस
मॉड्यूल के मुख्य प्रसंग है की, समुदाय
के सशक्तिकरण की तरह ही, समुदाय के
सशक्तिकरण के प्रक्रिया को मापना
भी समुदाय के भागीदारी के साथ होना
चाहिए.
फेसिलिटेटर
के कौशल अनुकूल है इस तरह के मापने
के कार्य के लिए, अवं समुदाय की स्थापना
में सामाजिक बदलाव लाने के लिए अनुसन्धान
करने के लिए.
––»«––
© कॉपीराइट १९६७, १९८७, २००७ फिल बार्टले वेबडिजाईनर लुर्ड्स सदा
––»«––आखरी अपडेट: २६.०८.२०११
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