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समुदाय की आत्मनिर्भर्ता के अनेक पहलू

के द्वारा फिल बार्टले, पीएच.डी.

translated by Monika Krishnan


निर्देश पत्र

क्शमता, आत्मनिर्भर्ता तथा शक्ती के सोलह पहलूओं का वर्णन

सामुदायिक ताकत के मायने, राष्ट्रिय राजनैतिक या अनुशासन सम्बन्धी कार्यों मे भाग लेने से कहीं बढ़कर है. इसमें शामिल है वह सब कुछ करने की क्षमता जो समुदाय के सदस्य करना चाहते है.

आत्मनिर्भर्ता की बढ़त में शामिल हैं क्शमता वृध्दी तथा कई प्रकार के शक्ती मे बढ़त. समुदाय के वे सोलह पहलू जिनमे समुदाय की बढ़ती शक्ती के दौरान बदलाव आता है.

भलाई करने का सिद्धान्त:

किस हद तक और कितने लोग समुदाय की भलाई के लिए अपने निजि फायदे का बलीदान करने को तैयार हैं (जिसका लोगों के बर्ताव से पता चलता है, जैसे की दानशीलता की मात्रा, व्यक्तीगत नम्रता, सामुदायिक गर्व, आपसी सहयोग का भाव, वफादारी, दूसरों की चिन्ता, मित्रता, बन्धु भाव).

जैसे जैसे समुदाय के लोग दूसरों की भलाई करने का जीवन सिद्धान्त ज़्यादा से ज़्यादा अपनाने लगते है, वैसे वैसे समुदाय की क्शमता बढ़ती जाती है. (जब कुछ खास व्यक्तियों, परिवारों या दलों को बिना समुदाय के नुक्सान की परवाह किए लालची और स्वार्थी होने की छूट दे दी जाती है, तब समुदाय में कमज़ोरी आ जाती है. .).

सामान्य मान्यताएं:

किस हद तक समुदाय के सदस्य सामान्य मूल्यों को मानते हैं, खास तौर पर इस बात में दृढ़ विशवास रखना कि वे सभी समुदाय का हिस्सा हैं जिसका हित समुदाय के सदस्यों के व्यकतीगत लाभ से कहीं बढ़कर.

समुदाय के सदस्य जितनी ज़््यादा इन मूल्यों को एक साथ मानेंगे और जितनी ज़््यादा एक दूसरे के आदर्शों और विचारों को समझने का प्रयत्न करेंगे, समुदाय उतनी ही ज़्यादा ताकतवर होगी. (जातिवाद, पक्षपात तथा भेदभाव समुदाय या संगठन को कमज़ोर बनाते है).

सार्वजनिक सुविधाऍं:

मानव बसती से सम्बन्धित सेवाएं तथा सुविधाऍं (जैसे कि, सड़कें, बाज़ारें, पीने का पानी, शिक्षा की प्राप्ती, स्वास्थ्य सम्बन्धित सेवाऍं) उनकी देख-रेख (भरोसेमंद अनुरक्षण तथा मरम्म्त) उनका चालू रहना तथा किस हद तक समुदाय के सभी सदस्य इन सुविधाओं का प्रयोग कर पाते हैं.

समुदाय के सदस्योंं कोे आवश्यक सार्वजनिक सुविधाओं को प्राप्त करने में जितनी ज़यादा आसानी होगीे उतनी ही ज़यादा उनकी आत्मनिर्भरता में बढ़त होगी. (किसी भी संगठन की क्षमता में शामिल हैं दफ्तरी उपकरण, औज़ार, सामग्री, शैचालय जैसे कर्मचारियों के लिए अन्य सुविधाऍं, काम से जुडी आवश्यक सुविधाऍं).

संचार:

समुदाय के भीतर तथा समुदाय और बाहर की दुनिया के बीच, सम्पर्क में शामिल होतीं हैं सडकें, विध्दयुत उपकरण (जैसे कि टेलिफोन, रेडियो, टी.वी., इन्टर नेट), छाप संचार-माध्यम (अखबार, पत्रिका, पुस्तक), सम्पर्क जाल, आपस में समझी जाने वाली भाषाऐं, साकषर्ता तथा सम्पर्क बनाए रखने की इच्छा और क्षमता (जिसके मायने है व्यवहार कौशल, दूसरे के विचारों को बिना चोट पहुंचाऐ अपनी बात कहने की क्षमता, खुद बात करने और दूसरे की बात को सुनने, दोनो की इच्छा रखना) .

समुदाय की सम्पर्क बनाय रखने की क्षमता जितनी बहतर बनेगी, उतनी ही ज़यादा उसकी शक्ती होगी. (संगठन के संदर्भ में इसका अर्थ है, कर्मचारियों को उपलब्ध सम्पर्क सम्बन्धित उपकरण, विधी तथा कार्य प्रणालियाँ). अपर्याप्त सम्पर्क का अर्थ है कमज़ोर संगठन या समुदाय

आत्मविश्वास:

जबकी आत्मविश्वास व्यकतीगत स्थर पर बयान किया जाता है, हमें यह समझना है कि यह भाव किस हद तक समुदाय पर लागू होता है. उदाहरण के लिए, एक आम भरोसा कि समुदाय जो चाहे हासिल कर सकता है.

सकारात्मक भाव, उत्सुक्ता, स्वयं प्रेरित होना उत्साह्, सन्देह रहित सोच, आत्मनिरभरता न की दूसरों पर निर्भर रहना,आपने अधिकारों के लिए लडने को तैयार होना, बेपरवाही या फिर किस्मत के आगे निराष होकर कोशिशों के त्याग से प्रहेज़ करना, भविष्य मे संभव लक्षयों की दृष्टी बनाए रखना. शक्ती में बढ़त का मतलब है आत्मविश्वास में बढ़त.

संदर्भ (राजनैतिक तथा शासन या प्रबंध संबंधी):

समुदाय जिस वातावरण में पलता है वह वातावरण जितना ज़्यादा सहायक होगा, उतनी ही ज़्यादा समुदाय की शक्ती मे बढ़त होगी तथा उतनी ही ज़्यादा यह शक्ती बनी रहेगी. इस वातावरण के दो हिस्से हैं (१) राजनैतिक (इन मे शामिल हैं राष्ट्रीय नेताओं के सिधान्त और उनक आचार-विचार, नियम तथा कानून-विधान.) और (२) प्रबंध-प्रशासन सम्बन्धी (सरकारी कर्मचारीयों और तकनीकी विशेषज्ञों के बर्ताव, साथ में सरकारी नियंत्रण नियमावली और कार्यप्रणाली) कानूनी वातावरण.

जब राजनैतिक नेता, तकनीकी विशेषज्ञ और सरकारी कर्मचारी तथा उनके नियम, दायक या दाता का रूप धारण करते है तब समुदाय कमज़ोर पड़ने लगता है. दूसरी ओर, जब ये लोग सहायक या प्रोत्साहक के नज़रिए से अपना काम सम्भालते है तब समुदाय अपने पैरों पर खडा होने लगता है, अपने ही बल पर आगे बढ़ने लगता है. ऐसे प्रोत्साहक वातावरण मे समुदाय ज़्यादा बलवान बनने लगता है.

जानकारी:

समुदाय कि शक्ती ्केवल जानकारी रखने या पाने से ज़्यादा जानकारी को परखने और बूझने की क्षमता पर निर्भर करती है, यानी जागरुकता का स्थर, समुदाय के खास लोगों तथा पूरे समुदाय में फैला ज्ञान और विवेक.

जब जानकारी ज़्यादा प्रभावशाली और फायदेमंद होगी, न कि केवल ज़्यादा मात्रा में प्रस्तुत होगी, तभी समुदाय की ताकत ज़्यादा होगी.(ध्यान दीजिए कि यह बात ऊपर दिए गए सम्पर्क के पहलू से भिन्न है).

हस्तक्षेप:

सजीवन का फैलाव कहॉ तक हुआ है और यह कितना प्रभावशाली रहा है (चालू करना, प्रबन्धकीय शासन का अभ्यास, जानकारी के स्थर को बढ़ाना, उत्साहित करना) समुदाय को बलवान बनाने मे? क्या बाह्री या अंदर के दान के स्रोत समुदाय की निर्भरता के स्थर को बढ़ाकर उसे और कमज़ोर बनाते हैं या ऐसा है कि ये समुदाय के आत्मसम्मान को चुनौती देकर उसे और ताकतवर बनने पर मजबूर करते हैं?

क्या बाहरी हस्तक्षेप के फलों को जारी रखा जा सकता है या क्या यह बाहर के दाताओं पर निर्भर करता है जिनके अपने लक्ष्य समुदाय के लक्ष्यों से अलग हो सकते हैं? समुदाय के पास विकास की ओर प्रोत्साहन के जितने ज़्यादा स्रोत होंगे, समुदाय उतना हि बलवान होगा.

नेतृत्व :

नेताओं के पास ताकत, प्रभाव तथा समुदाय को हिलाने की क्षमता होती है. उनका नेतृत्व जितना ज़्यादा प्रभावशाली होगा समुदाय उतना ही ताकतवर बनेगा. हमारा मक्सद यहॉ प्रजातान्त्रिक नेतृत्व और सत्तावादी, तानाशाही नेतृत्व पर बहस करना नही है. परन्तु, सबसे प्रभावशाली और लम्बे समय तक सजीव रहने वाला नेतृत्व (जिससे समुदाय ताकतवर बनता है, न कि केवल नेता ताकतवर बनते जाते हैं) वह है जो पूरे समुदाय को अपने साथ लेकर चलता है, सभी फैसले समुदाय की इच्छाओं को नज़र में रखते हुऍ लेता है और एक सहायक के रूप में प्रस्तुत होता है.

नेताओं के पास कौशल, इच्छुक्ता और कुछ मात्रा में आकर्षण होना चाहिए. नेतृत्व जितना ज़्यादा प्रभावशाली होगा, समुदाय या संगठन की क्षमता उतनी ही बढ़ेगी. (अच्छे नेतृत्व के बिना, समुदाय कमज़ोर पड जाता है).

संबन्ध जाल स्थापित करना :

केवल यह ही नही "कि आप क्या जानते है", पर यह भी कि "आप किसे जानते हैं" जो शक्ती का स्रोत बन सकता है. (जैसा कि अक्सर मज़ाक़ में कहा जाता है, यह ही नही कि "जानो-कैसे" पर यह भी कि "जानो-किसे" जो काम दिलाता है). समुदाय के सदस्य, खास तैर पर उसके नेता, किस हद तक ऐसे लोगों को जानते है (तथा इन लोगों की संस्थाओं या संगठनों को) जो समुदाय को फायदेमंद साधन प्रदान कर सकते है जिससे पूरे समुदाय की शक्ति मे बढ़त होगी?

समुदाय के भीतर और उसके लोगों और बाहर की दुनिया के बीच, वर्तमान या सम्भवतः फायदेमंद सम्पर्क. यह सम्पर्क जाल जितना प्रभावशाली होगा, समुदाय उतना ही बलवान बनेगा. (दूसरों से अलग रहना समुदाय के लिए हानीकारक है).

संगठन:

किस हद तक समुदाय के सदस्य अपने आप को समुदाय को मिलकर सम्भालने वालों के रूप में देखते है (न कि केवल अलग-अलग असंबद्धित व्यक्तियों का एक समूह) तथा (सामाजिक नज़रिए से) संगठन की अखंडता, संरचना, कार्यप्रणाली, फैसले लेने की विधि, प्रभावशीलता, कार्य का सही बंटवारा तथा कार्य-भाग और कर्य-उद्देश्य का सही मेल .

समुदाय के कार्य तथा लोग जित्ने ज़्यादा संगठित और व्यवस्थित होंगे, उतनी ही उस समुदाय या संगठन की क्षमता और शक्ती होगी.

राजनैतिक शक्ती :

किस हद तक समुदाय, ज़िला तथा राष्ट्रीय स्थर पर किए जाने वाले फैसलों में भाग ले सकते हैं. जिस प्रकार समुदाय मे अलग-अलग ताकत वाले लोग पाए जाते हैं, किसी भी ज़िला तथा देश में अलग-अलग समुदायों का अलग-अलग प्रभाव होता है.

समुदाय का जितना ज़्यादा राजनैतिक प्रभाव तथा ज़ोर होगा, समुदाय की क्षमता उतनी ही ज़्यादा होगी

कौशल :

लोगों की व्यक्तिगत स्थर पर समुदाय की व्यवस्था में हाथ बॉटने की क्षमता, समुदाय की लक्ष्य प्राप्त करने की क्षम्ता, तकनीकी कौशल, प्रबन्ध-शासन सम्बन्धित कौशल, संगठन व्यवस्था सम्बन्धित कौशल, जन शक्ति जुटाने का कौशल

जितने अलग प्रकार के कौशल (व्यक्तिगत या सामूहिक) समुदाय या संगठन के पास होंगे जिन्हें वे इस्तेमाल कर सकते हैं, उतना ही अधिक आत्मनिर्भर वह समुदाय या संगठन होंगा

भरोसा:

किस हद तक समुदाय के सदस्य एक दूसरे पर विश्वास करते हैं, खास तैर पर समुदाय के नेताओं और कर्मचारियों पर जो इनकी ईमानदारी और अखंड़ता (सच्चाई, भरोसेमंदी, स्पष्टता, स्वच्छता, बिश्वास के लायक) को दर्शाता है.

समुदाय के बीच अधिक मात्रा मे विश्वास तथा भरोसेमंदी समुदाय की बढ़ती क्षमता को दर्शाता है. (बेईमानी, भ्रष्टाचार, चोरी और स्मुदाय के साधनों को अपने मतलब के लिए इस्तेमाल करना, ये सभी समुदाय या संगठन की कमज़ोरी को बढ़ाते हैं).

एकता:

सब मे एक एहसास कि हम सब एक चीज़ का हिस्सा है (यानी, एक समुदाय का हिस्सा है), इसके बावजूद कि हर समुदाय में कई प्रकार के भेद या विभाजन होते है (जैसे कि ध्र्म, ष्रेणी, औधा, आमदनी, उम्र, स्त्री-पुरुष का भेद, जाती, कुल) किस हद तक समुदाय के सदस्य एक दूसरे की तरफ सहनशीलता दिखाते है, मिलकर काम करते हैं, एक सामूहिक लक्ष्य का एह्सास, सामूहिक मूल्य या सिधान्त

जब समुदाय या संगठन एक होकर चलता है तब वह और भी शक्तीशाली बन जाता है .(एकता का मतलब यह नही कि सभी लोग एक-जैसे हों, बल्कि अलग होने के बावजूद एक दूसरे की तरफ सहनशीलता का बर्ताव करें और सब की भलाई के लिए इक्ठे होकर काम करें ).

धन:

किस हद तक पूरे समुदाय का (न कि समुदाय मे रह्ने वाले व्यक्तीयों का) प्रस्तुत और सम्भवतः साधनों पर नियनत्रण है, आम और खास वस्तुओं तथा सुविधाओं का उत्पादन और वितरण, मुद्रा सम्बन्दित और अमैद्रिक, दोनो (जिनमे शामिल हैं दान की गई भूमी, श्रम, उपकरण, साधन, विध्या, कैशल)

समुदाय जितना धनी होगा, उतना ही ताकतवर होगा. (जब लालची व्यक्ती, परीवार या दल समुदाय का धन छीनकर अपने लिए धन इक्ठा करने लगते है तब पूरा समुदाय या संगठन कमज़ोर पड़ जाता है.).

निष्कर्ष:

समुदाय में उपर दिए गए पहलू जित्नी अधिक मात्रा मे प्रस्तुत होंगे, उतनी ही ज़्यादा उसकी क्षमता और उसकी आत्मनिरभर्ता होगी.

समुदाय एक सामाजिक प्राणी है (यहॉं देखिए समुदाय) केवल सुविधाओं को बढ़ाने से समुदाय की शक्ती नही बढ़ती. समुदाय की ताकत को बढ़ाना या उसकी क्षम्ता को बढ़ाने का मतलब है सामाजिक परिवर्तन लाना ─विकास─ जिसका अर्थ है उपर दिए गए शक्ती के सभी सोलह पहलूओं पर ध्यान देना.

इन पहलूओं का मापांकन:

इन पहलूओं मे बदलाव, यानी समुदाय की शक्ती मे बदलाव को मापने की विधियॉं जिसमे सभी हिस्सा ले सकते है, इस अभ्यास माड्यूल में हैंः शक्ती का मापांकन.

इन सोलह पहलूओं के विवरण के लिए इस दो पन्हों के निर्देश पत्र को देखिए सोलह पहलू.

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© कॉपीराइट १९६७, १९८७, २००७ फिल बार्टले
वेबडिजाईनर लुर्ड्स सदा
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आखरी अपडेट: २०.०७.२०११

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