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निरीक्षण के स्तरसमाज, जिला, राष्ट्रीय, दाताके द्वारा फिल बार्टले, पीएच.डी.
अनुवादक निर्मला रामकृष्णनकार्यशाला पुस्तिकानिरीक्षण की प्रणालियाँ अलग अलग स्तर पर अलग होते हैं और एक दूसरे के पूरक हैं.समूह से राष्ट्रीय स्तर तक सरकार और प्रशासन के विविध स्तरों के लिए एक सार्वभौमिक शब्दावली नहीं है. एक देश से दूसरे देश की शब्दावली अलग होती है. समाज सेवा के सिद्धांत और प्रणालियाँ सार्वभौमिक रूप से समान होने के बावजूद एक शब्दकोश का प्रयोग सभी देशों पर लागू नहीं हो सकता है. यह प्रशिक्षण उगांडा के देश के लिए तैयार किया गया था, इसलिए युगांडा की शब्दावली का यहाँ प्रयोग किया जाएगा. जब मुसेवेनी ने अधिकार लिया, यह प्रतिरोध परिषद स्तर 1 (समाज या गाँव) से प्रतिरोध परिषद स्तर 5 (जिला) तक था. हाल ही में, उगांडा ने अपने उपनिवेशी निशान वाले शब्दावली का फिर से प्रयोग करना शुरू किया है: 1=गाँव, 2=पादरी का इलाक़ा, 3=उप काउंटी, 4=काउंटी,5=जिला. यहाँ सही शब्दों का प्रयोग मुख्य नहीं है - यह समझना अनिवार्य है कि निरीक्षण की भूमिकाएँ गाँव से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक मौजूद हैं. आपकी परिस्थिति पर जो लागू होता है उन शब्दों का प्रयोग करें. हर हिस्सेदार द्वारा हर स्तर पर निरीक्षण किया जाना चाहिए. लेकिन हर स्तर पर निरीक्षण के विशिष्ट उद्धेश्य और इस वजह से विशिष्ट भूमिकाएँ होती हैं. निरीक्षण को प्रभावशाली होने के लिए हर स्तर (सामूहिक, जिला, राष्ट्रीय और दाता) पर शामिल हर व्यक्ति को प्रतिपुष्टि (फीडबॅक) देने की एक प्रक्रिया होने की ज़रूरत है. सामूहिक स्तर पर निरीक्षण: सामूहिक स्तर पर परियोजना का कार्यान्वयन और उसके लाभ का प्रयोग होता है. यह ज़्यादातर एक गाँव या पादरी इलाक़े में होता है. इस स्तर पर, निरीक्षण का सबसे बड़ा उद्धेश्य परियोजना के कार्यान्वयन और प्रबंधन को बहतर बनाना है. उदाहरण के लिए, एक समूह का, उसमे एक पाठशाला के निर्माण के निरीक्षण का, उद्धेश्य यह है कि निर्माण योजना के अनुसार पूरा किया जाए. इस स्तर पर निरीक्षण के विशिष्ट लक्ष्य यह हैं: (1) यह निश्चित करना कि परियोजनाएँ समय पर पूरे किए जाएँ, (2) वह अच्छे ढंग से पूरे किए जाएँ और (3) परियोजना के सभी निवेश का भरपूर और सही उपयोग किया गया है. इस स्तर पर निरीक्षण करने में यह शामिल हैं: एक सामूहिक परियोजना की पहचान. यह समूह के सहभागिता के साथ किया जाना चाहिए ताकि समूह की आवश्यकताओं को यह पूरा कर सके और लोगों को कार्यान्वयन और निरीक्षण में भाग लेने के लिए प्रोत्साहन मिले. अगर परियोजना को ठीक तरह से पहचान नहीं किया गया हो और यह समूह के आवश्यकताओं कोप्रतिबिम्बित नहीं करता हो तो उसके कार्यान्वयन के निरीक्षण में उस समूह के भाग लेने संभावना कम है; निरीक्षण का नेतृत्व देने वाले दल (दलों) को पहचानना जो उस समूह के परियोजना का निरीक्षण करेंगे. हर दल की भूमिकाएँ, उन्हें निरीक्षण कैसे करना चाहिए , उससे प्राप्त जानकारी का उस समूह में और अन्य समूह के साथ कैसे उपयोग और आदान प्रदान करना चाहिए - इन सबका विस्तृत रूप से विवरण दिया जाना चाहिए; कार्य योजना तैयार करना जो परियोजना के निरीक्षण का मार्गदर्शक होता है. सभी कार्यों को जिस क्रम में कार्यान्वयन करना है, और किस व्यक्तियों को करना है - यह कार्य योजना में स्पष्ट रूप से विवरित किया जाना चाहिए. इससे निरीक्षण करनेवालों को यह निश्चित करने में मदद मिलती है किएक निर्धारित समय पर किसे कौनसा कार्य करना है. अगर यह कार्य नही किया गये हों, तो निरीक्षण करने वालों को इस समस्या का समदान प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन मिलना चाहिए; प्रमुख कार्य निर्धारित करना - यह कार्य योजना की मदद से किया जाना चाहिए. कार्य योजना में दिए गये सभी कार्य आवश्यक हैं और उनका निरीक्षण किया जान चाहिए लेकिन, मुख्य कार्यों को पहचानने से इनके आधार पर निरीक्षण की प्रक्रिया के उद्धेश्य और संकेतक को थे किया जा सकता है. उदाहरण के लिए, एक पाठशाला के निर्माण के प्रारंभिक कार्यों में - समूह को संघटन करना, पास के गाँव से उपकरण प्राप्त करना, मिट्टी की खुदाई, और ईंठ बनाने के लिए पानी ले आना - शामिल हैं, तो "ईंठ बनाने" का कार्य इन सब कार्यों का सर प्रस्तुत करता है. हर कार्य उद्धेश्य के लिए संकेतक का निर्धारण करनासंकेतकों की मदद से हम यह जान सकते हैं कि हर कार्य के उद्धेश्यों में हम कितने हद तक सफल हुए हैं. हमारे उदाहरण में बनाए गये ईंठ की संख्या एक संकेतक है. और जो हो रहा है उसकी तुलना योजना के साथ करना - यह करना अनिवार्य है ताकि यह पता लग सके कि परियोजना सूचित समय और योजना के अनुसार चल रहा है या नहीं. निरीक्षण करने वालों को संकेतकों का परीक्षण करना चाहिए और इससे यह नापना चाहिए की किस हद तक परियोजना लक्ष्य प्राप्त किए गये हैं. इसमें कार्य की गुणवत्ता भी देखी जानी चाहिए की यह अच्छी है. उन्हें उस कार्य क्षेत्र के एक अभ्यस्त व्यक्ति या विशेषज्ञ को भी शामिल करना चाहिए जो यह निर्धारित कर सके की सभी कार्य अच्छे ढंग से किए गये हैं - उदाहरण के लिए निर्माण कार्यों के लिए, कारीगरों को शामिल किया जा सकता है. इसके बाद निरीक्षण दल को यह तय करना है कि वह कितनी बार परियोजना स्थल को देखेंगे और यह जाँच करेंगे कि वहाँ क्या हो रहा है. एक सामूहिक परियोजना को कार्य सूची के अनुसार चलाने के लिए कम से कम हफ्ते में एक बार निरीक्षण किया जाना चाहिए. परियोजना स्थल पर निरीक्षण के दौरान ध्यान से देखना चाहिए कि वहाँ क्या हो रहा है और परियोजना से संबद्ध हर व्यक्ति के साथ बात करनी चाहिए; निरीक्षण दल को हर कार्य के लिए उसके लक्ष्यों को निर्धारित करना चाहिए. उदाहरण के लिए, पाठशाला के निर्माण में ईंठ बनाने के कार्य का लक्ष्य - फेब्रुवरी महीने के अंत तक 10000 ईंठ बनाना - हो सकता है. जब भी परियोजना स्थल का निरीक्षण किया जाता है, निरीक्षण करने वालों को अपने निष्कर्षों का विवरण लिखकर रखना चाहिए. इसके लिए वे इस निरीक्षण मॉड्यूल में दिए गये फार्म का उपयोग कर सकते हैं या वे कोई भी विवरण प्रारूप पर सहमति प्राप्त कर सकते हैं जो उनके निष्कर्षों को कार्य सूची के सन्दर्भ में विवरण करता है. इन निष्कर्षों की कार्यान्वयन समिति के सभी लोगों के साथ चर्चा करनी चाहिए. इन चर्चाओं से प्राप्त जानकारी का, निरीक्षण और कार्यान्वयन दल मिलकर, परियोजना की समस्याओं को पहचानने और उन्हे सुलझाने के लिए प्रयोग करना चाहिए. निरीक्षण और कार्यान्वयन करने वाले दलों को इस जानकारी को अच्छी तरह से सुरक्षित रखना चाहिए ताकि इसका उपयोग भावी कार्यों मे हो सके और अन्य हिस्सेदारों को यह जानकारी दिया जा सके. हर परियोजना स्थल पर निरीक्षण विवरण के कई प्रतिलिपियों और परियोजना से संबंधित अन्य दस्तावेज़ों की फाइल रखी जानी चाहिए. जिला स्तर पर निरीक्षण: जिला अधिकारियों को यह सामूहिक निरीक्षण(परियोजना द्वारा निवेश किए गये संसाधन का कुछ परिणाम बनने की प्रक्रिया के निरीक्षण) से प्राप्त जानकारी मिलनी चाहिए. उन्हें परियोजना के परिणामों का निरीक्षण भी करना चाहिए ( उदाहरण के लिए, पाठशाला के निर्माण का विद्यार्थी नामांकन की संख्या पर क्या असर हुआ है). जिले को यह भी निरीक्षण करना है कि उस समूह की, अपनी उन्नति को प्रोत्साहित करने की शक्ति, क्षमता और ताक़त में कितनी बढ़ोत्तरी हुई है. इस स्तर पर निरीक्षण के लक्ष्यों में यह शामिल हैं: कार्यान्वयन के संपादन में सुधार लाने को प्रोत्साहन देना और परियोजना की योजना को आँकना कि वह समाज की क्षमता बढ़ाने के लिए कितना लागू है. इस स्तर पर निरीक्षण के यह तरीके प्रयोग किए जा सकते हैं: (1) नित्य निरीक्षण (2) गुणात्मक सहायता या समर्थन. नित्य निरीक्षण और निरीक्षणात्मक सहायता: इसके लिए जिला स्तर पर परियोजना नेता, समाज सेवा के सहायक, अन्य अधिकारी और राजनेता को परियोजना स्थल का ब्योरा करके यह निश्चित करना चाहिए कि वहाँ योजना के अनुसार कार्य संपन्न हो रहे हैं या नहीं. कार्य सूची की एक कॉपी (प्रतिलिपि) और सामूहिक निरीक्षण के दस्तावेज़ परियोजना स्थल पर रखे जाने चाहिए. इससे जिन्हे भी परियोजना की प्रगति का कार्य सूची के साथ तुलना करनी है उन्हे मदद मिलती है और निरीक्षण दल के वहाँ ना मौजूद होने पर भी, उनके विचार और टिप्पणियाँ पढ़ी जा सकती है. नित्य निरीक्षण के दौरान परियोजना के कार्यान्वयन और निरीक्षण करने वाले सभी व्यक्तियों के साथ चर्चाएँ की जानी चाहिए. हर एक दल अपने कार्य किस ढंग से करते हैं इसे ध्यान से देखें (इसके द्वारा समाज की क्षमता कितनी बढ़ती है, इसका जाँच किया जा सकता है). परियोजना के अच्छे और बुरे तत्वों के बारे में टिप्पणियाँ बनाकर, उन्हें लिखित रूप में विवरण करें. समस्याओं के समाधान की सलाह देने के साथ साथ यह भी सूचित करें की इनका उतरदायित्व कौन ले रहा है, किस समय तक इन्हे पूरा करना है, इसमे कितना खर्चा है और इन्हे ना करने से परियोजना पर कैसे प्रतिकूल असर पद सकते हैं. इन टिप्पणियों के विवरण की एक प्रतिलिपि परियोजना स्थल के दस्तावेज़ के साथ रखी जानी चाहिए और दूसरी जिला स्तर पर चर्चाओं के लिए उपयोग की जानी चाहिए और वहाँ दस्तावेज़ों के साथ सुरक्षित रखी जानी चाहिए. महीने में कम से कम एक बार गाँव और जिला स्तर पर परियोजना के प्रगति के बारे में चर्चा आयोजित की जानी चाहिए. इसके अलावा परियोजना के प्रगति का विवरण (रिपोर्ट) जिला और राष्ट्रीय कार्यालय को मासिक विवरण के साथ भेजी जानी चाहिए. गाँव और जिला स्तर पर निरीक्षण के यह मुद्धे हैं:
गुणात्मक पूछताछ: जिले को,गाँव की सहयोग के साथ, साल में कम से कम दो बार समाज और उनसे जुड़े मुख्य लोगों के साथ, चर्चाएँ और भेंट आयोजित की जानी चाहिए. इन चर्चाओं के मध्यम से जिला स्तर पर इनमें मदद मिलती है:
ये गुणात्मक पूछताछ सरल होने चाहिए और इनमे समाज के लोगों की ज़्यादा से ज़्यादा सहभागिता होनी चाहिए. इससे खर्चा कम होगा और लोग ऐसे पूछताछ कैसे करना है यह सीखेंगे, इससे समाज और भी आत्म निर्भर होगा. इस प्रक्रिया के परिणाम का, समूह और जिला स्तर पर प्राप्त जानकारी के आधार पर विश्लेषण किया जाना चाहिए और समस्याओं के समाधान निकालने के लिए प्रयोग किया जाना चाहिए. इस जानकारी को दस्तावेज़ के रूप में सुरक्षित रखा जाना चाहिए और राष्ट्रीय स्तर पर प्रबंधन सूचना तैयार करने में इसका प्रयोग किया जाना चाहिए. गुणात्मक पूछताछ के मुख्य मुद्धे ये हैं:
गुणात्मक पूछताछ को आरंभ करने से पहले जिला और ग्रामीण स्तर पर प्रबंधन सूचना में कोई भी कमियों को पहचानना और उसकी चर्चा करना ज़रूरी है. इन कमियों के आधार पर इस पूछताछ का आयोजन किया जा सकता है ताकि इन्हे पूरा किया जा सके. इस समय पर विशेष ढाँचे भी बनाए जा सकते हैं जिनकी मदद से बाद में पूछताछ किया जा सके. राष्ट्रीय और दाता के स्तर पर निरीक्षण: राष्ट्रीय और दाता के स्तर पर निरीक्षण करने के मुख्य उद्धेश्य हैं - यह निर्धारित करना कि परियोजना के संसाधनों का उचित उपयोग किया गया है या नहीं (यानि जो परिणाम चाहिए वह इस परियोजना द्वारा प्राप्त हो रहें हैं या नहीं) और परियोजना का आयोजन उचित और सही है या नहीं और इनसे सीखने के लिए. इस स्तर पर निरीक्षण के यह लक्ष्य हैं:
इस स्तर पर निरीक्षण के विधि यह हैं: (1) नियमित निरीक्षण (2) कार्यवाई अनुसंधान और गुणात्मक पूछताछ, और (3) सर्वेक्षण. नियमित निरीक्षण: नियमित निरीक्षण परियोजना के कर्मचारियों द्वारा एक त्रैमासिक आधार पर किया जाना चाहिए और मंत्रालय के नियोजन इकाई को गतिविधियों तथा उद्देश्यों के स्तर की जांच करनी चाहिए. चूंकि राष्ट्रीय स्तर को मासिक तौर पर, जिले के प्रगति रिपोर्टों के माध्यम से, परियोजनाओं और गतिविधियों के बारे में जानकारी मिलती है, राष्ट्रीय नियमित निरीक्षण अपने दायरे में सीमित होना चाहिए. जो पहलू समस्याग्रस्त, विरोधाभासी, बहुत संतोषजनक या अद्वितीय दिखाई दें, उन्हें सम्मिलित किया जाना चाहिए. इससे राष्ट्रीय कार्यालय आवश्यक सहायता प्रदान कर सकते हैं और शिक्षा भी प्राप्त कर सकते हैं. कार्यवाई अनुसंधान और गुणात्मक पूछताछ: राष्ट्रीय कार्यालय को साल में एक बार विस्तृत गुणात्मक पूछताछ करनी चाहिए. इनका लक्ष्य परियोजनाओं के आयोजन और कार्यान्वयन के अनुभव से सबक सीखना है जिससे इनको अन्य परियोजनाओं में प्रयोग किया जा सके. इसलिए इस स्तर पर प्रमुख मुद्दों में शामिल हैं:
सर्वेक्षण: कई सर्वेक्षण आयोजित किए जाने चाहिए जिनके द्वारा ऐसे आँकड़े एकत्रित किया जा सके जिनका परिमाण निर्धारित किया जा सके और अन्य विधियों से प्राप्त जानकारी से जोड़ा जा सके. इनका ज़िम्मा शोध संस्थानों को दिया जा सकता है - उदाहरण के लिए, विश्वविद्यालयों में. विभिन्न स्तरों पर निरीक्षण के मुद्दे और प्रक्रियाएँ: हर स्तर के लिए निरीक्षण के मुद्दों और प्रक्रियाओं का वर्णन यहाँ दिया गया है. इस बात पर महत्व देना ज़रूरी है कि परियोजना के हिताधिकारियों को निरीक्षण का नेतृत्व करना चाहिए लेकिन खुद निरीक्षण के सभी कार्यों को चलाना नहीं चाहिए. असल में, विभिन्न हिताधिकारियों के मुद्दे और प्रक्रियाओं में अंशछादन होता है. हर हिताधिकारी को दूसरों को उनके निरीक्षण ज़िम्मेदारियों में सहायता देनी चाहिए. यहाँ जिन मुद्दों का उल्लेख हुआ है यह संपूर्ण तो नहीं हैं पर यह संकेत करते हैं कि क्या किया जाना चाहिए. इसलिए अगर ज़रूरी हो तो, प्रत्येक स्तर पर उनकी विशेष परिस्थितियों के लिए उपयुक्त मुद्दों पर अधिक जानकारी एकत्र करनी चाहिए. इन्हें तीन सारणी में प्रस्तुत किया गया है - (1) समुदाय स्तर (2) जिला स्तर और (3) राष्ट्रीय स्तर - और हर स्तर के महत्वपूर्ण मुद्दों का संकेत दिया गया हैं. सामुदायिक स्तर: समुदाय के स्तर पर तीन मुख्य कर्ता जिनका इस समुदाय को मज़बूत बनाने के कार्य में भाग और दिलचस्पी है, वे यह हैं:
निम्नलिखित तालिका में इन तीन हिताधिकारियों के लिए संबद्ध मुख्य मुद्दे, निरीक्षण के संकेतक, देखरेख के माध्यम, आवृत्ति, और निरीक्षण प्रक्रियाओं के सुझाव दिए गये हैं. |
हिताधिकारी | मुद्दा | निरीक्षण के संकेतक | देखरेख के माध्यम | आवृत्ति | निरीक्षण प्रक्रिया |
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कार्यकारिणी समिति | समय पर परियोजनाओं के कार्यान्वयन | समय पर कार्यान्वायित किए गये परियोजना के गतिविधियों की संख्या | नियमित रूप में परियोजना का दौरा | साप्ताहिक | सदस्य नियमित निरीक्षण फॉर्म का उपयोग करें |
परियोजना के संसाधनों का उचित उपयोग | सामग्री का दुरुपयोग नहीं हुआ हैं | नियमित रूप में परियोजना का दौरा. परियोजना की गुणवत्ता की जाँच | साप्ताहिक | सदस्य नियमित निरीक्षण फार्म का उपयोग करें तकनीकज्ञ के निर्देशों की मदद से गुणवत्ता की जाँच करें |
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परियोजना की जानकारी का उचित संग्रह और भंडारण | जिन परियोजनों की परियोजना स्थल दस्तावेज़ हैं उनकी प्रतिशता; स्थल दस्तावेज़ों में रिपोर्ट की संख्या | परियोजना स्थल दस्तावेज़ों की समीक्षा | साप्ताहिक | परियोजना समिति के सदस्य परियोजना स्थल दस्तावेज़, रिपोर्ट और टिप्पणियों की समीक्षा करें. | |
समुदाय के स्वयंसेवक | यथार्थवादी परियोजना कार्यान्वयन कार्य योजना | उन परियोजना कार्य सूचियों की संख्या जिनमें गतिविधियाँ अच्छे अनुक्रम में आयोजित हैं | कार्य सूची के गतिविधियों का उनके कार्यान्वयन के साथ तुलना करें कि वे कैसे किए जा रहे हैं | मासिक | स्वयमसेवक (1) एक तकनीकी विशेषज्ञ के साथ परियोजना कार्य सूची के अनुक्रम की समीक्षा करें, और (2) मासिक तौर पर परियोजना स्थल के दौरे आयोजित करें |
परियोजना की गतिविधियों में सामुदायिक भागीदारी | जो लोग अपनी भूमिकाओं का निष्पादन कर रहें हैं उनकी संख्या | गतिविधियों की संख्या. समुदाय द्वारा प्रदान किए गये संसाधनों की राशि | मासिक | परियोजना स्थल का दौरा; लोगों के साथ उनके योगदानों के बारे में चर्चाएँ. | |
ग्रामीण विकास समिति | परियोजना के संसाधनों का उत्तरदायित्व | जिन संसाधनों का हिसाब है उनका प्रतिशत | संसाधन उत्तरदायित्व फॉर्म | त्रैमासिक | समिति के सदस्य संसाधन उत्तरदायित्व फॉर्म का उपयोग करें |
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उप काउंटी और जिला स्तर: जिला और उप जिला (एक से अधिक समुदाय) के स्तर पर, समाज को मज़बूत बनाने के कार्य के मुख्य कर्ता यह हैं:
निम्नलिखित तालिका में इन तीन हिताधिकारियों के लिए संबद्ध मुख्य मुद्दे, निरीक्षण के संकेतक, देखरेख के माध्यम, आवृत्ति, और निरीक्षण प्रक्रियाओं के सुझाव दिए गये हैं. |
हिताधिकारी | मुद्दा | निरीक्षण के संकेतक | जाँच के माध्यम | आवृत्ति | निरीक्षण प्रक्रिया |
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सामुदायिक विकास सहायक | स्वयंसेवकों और सामुदायिक समितियों का परिचालन | जो समितियाँ अपनी भूमिकाएँ निभा रहे हैं उनकी संख्या | हर समिति के कार्य की समीक्षा | साल में दो बार | सहायक गुणात्मक पूछताछ के दौरान हर समिति के कार्यों का निर्धारण करें |
जिला परियोजना समन्वयक और योजना इकाई |
जो परियोजनाएँ जिला योजना और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं में शामिल हैं उनकी पहचान | जिला योजना के अंतर्गत परियोजनाओं की संख्या | परियोजनाओं की पहचान की रिपोर्ट की समीक्षा. परियोजना दौरा | साल में दो बार | योजना इकाई उन ग्रामीण योजनाओं की समीक्षा करता है ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि यह परियोजनाएँ जिला योजना और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अंतर्गत आते हैं या नहीं |
सामुदायिक नेताओं का समुदाय प्रबंधन कौशल का अधिग्रहण | जो गाँव परियोजनाओं के आयोजन और कार्यान्वयन में सामुदायिक भागीदारी का प्रयोग कर रहे हैं उनकी संख्या | परियोजना रिपोर्ट की समीक्षा. फोकस समूह चर्चाएँ और अन्य गुणात्मक पूछताछ की प्रणालियाँ. | साल में दो बार | योजना इकाई गुणात्मक पूछताछ आयोजित करता है जिससे यह पता लग सके कि परियोजना के गतिविधियों में समुदायों की भागीदारी हो रही है या नहीं. यह जब किया जा रहा है तब जिला के विशेष प्रक्रियाएँ बनाई जानी चाहिए. |
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राष्ट्रीय और दाता के स्तर पर: राष्ट्रीय स्तर पर दो मुख्य हिताधिकार हैं: (1) मंत्रालय या एजेन्सी जो सामुदायिक परियोजना का कार्यान्वयन कर रहे हैं, और (2) अन्य बाहरी राष्ट्रीय या अंतराष्ट्रीय दाता जो इस परियोजना के लिए योगदान दे रहे हैं. |
हिताधिकारी | मुद्दा | निरीक्षण के संकेतक | जाँच करने के माध्यम | आवृत्ति | निरीक्षण की प्रक्रिया |
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राष्ट्रीय कार्यालय और दाता |
पद्धतियों के बारे में समुदाय का ज्ञान | इस पद्धति की जानकारी रखनेवाले लोगों का अनुपात. | सर्वेक्षण, फोकस समूह चर्चाएँ, मुख्य सूचना साक्षात्कार | सालाना | एजेन्सी या मंत्रालय वार्षिक अध्ययन अयूजित करें |
इस परियोजना के डिजाइन की प्रभावशीलता | जो परियोजना परिणाम प्राप्त किए गये हैं उनका प्रतिशत. जिन परियोजना के पहलुओं को समुदाय ने सराहा उनका प्रतिशत | परियोजना रिपोर्ट, सर्वेक्षण, फोकस समूह चर्चे, मुख्य सूचना साक्षात्कार की समीक्षा | सालाना | एजेन्सी या मंत्रालय वार्षिक अध्ययन अयूजित करें | |
कार्यान्वयन अनुभव का देश में अन्य परियोजनाओं और संस्थाओं द्वारा अनुकूलन | इस परियोजना के जिन डिज़ाइन पहलुओं को अनुकूलित किया गया है उनका अनुपात | राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय चर्चे | सालाना | एजेंसी या मंत्रालय शैक्षणिक संस्थानों और सामुदायिक परियोजनाओं के साथ बैठक आयोजित ताकि यह पता लगाया जा सके कि परियोजना के प्रणालियों की किन पहलुओं को दोहराया गया है |
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––»«––जिला, देश और विदेश के दाताओं को विवरण दिया जा रहा है: © कॉपीराइट १९६७, १९८७, २००७ फिल बार्टले
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मुख्य पृष्ट |
निरीक्षण और मूल्यांकन |