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आय उत्पादन, ग़रीबी और धनके द्वारा फिल बार्टले, पीएच.डी.
अनुवादक: मनीष कपूरइस मॉड्यूल का मुख्य दस्तावेज़यह दस्तावेज़ क्षेत्र कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षक के लिए है जो की इस क्षेत्र में पहली बार प्रशिक्षण ले रहे हैं या अपने कौशल उन्नत कर रहे हैं. यह दस्तावेज़ इस साइट पर दिए गये अन्य दस्तावेज़ों मे वर्णित कौशल, तकनीक और विधियों के पीछे के सिद्धांतों पर ज़ोर देता है.परिचय: क्योंकि आप, एक प्रशिक्षक और सहजकर्ता के रूप में, एक बहुत महत्त्वपूर्ण कार्य करने जा रहे हैं जो कि ग़रीबी उन्मूलन में योगदान देगा, इसलिए आप जो तकनूक और गतिविधियाँ करने जा रहे हैं उनके पीछे के सिद्धांतों का ज्ञान होना चाहिए. आप ग़रीबी के कारणों पर हमला करना सीखेंगे, ना कि उसके लक्षणों पर आप सीखेंगे की दुश्मन ग़रीबी है, ग़रीब लोग नहीं. आप सीखेंगे की ग़रीबी हटाने के लिए धन सृजन आवश्यक है. पैसे (या सिलाई मशीन) एक मालिक से दूसरे मालिक तक पहुँचना सिर्फ़ अस्थाई रूप से दर्द को दूर करता है. आप सीखेंगे की ग़रीबी एक सामाजिक समस्या है और किसी व्यक्ति की सहायता करना सामाजिक समस्या के स्थाई समाधान से अलग है. आपके कुछ ग्राहक हैं और आप उनके जीवन में हस्तक्षेप करने जा रहे हैं. यह एक ज़िम्मेदारी युक्त कार्य है. आर्थिक, सामाजिक कारकों और आपकी गतिविधियों से होने वाले प्रभाव को बिना जाने आप अच्छा करने के बजाय नुकसान कर सकते हैं. हमारा दीर्घकालिक लक्ष्य गरीबी का उन्मूलन है. ग़रीबी के कारण क्या हैं? ग़रीबी द्वारा पैदा की गई दर्द और . को दूर कर के हम ग़रीबी का उन्मूलन नहीं कर सकते. वह तो सिर्फ़ लक्षण हैं. वास्तव में यहाँ पहले नुकसान की क्षमता है. यदि आप लक्षणों से राहत दिलाते हैं तो आप ग़रीबी उन्मूलन में बाधा डाल रहे हैं. एक ज़रूरतमंद व्यक्ति को दान देने से उसकी ग़रीबी कुछ समय के लिए कम हो जाती है लेकिन आप इस व्यक्टो को दान पर निर्भर बना रहे हैं हमें ग़रीबी के कारणों की पहचान करनी चाहिए और उन शक्तिशाली नकारात्मक ताकतों की ओर प्रतिक्रिया करनी चाहिए. ग़रीबी की सामाजिक समस्या के पीछे "मुख्य पाँच" कारणों के बारे में सीखें. ना सिर्फ़ आप यह "मुख्य पाँच" कारण अपने प्रशिक्षुओं को समझाएँगे, आपको इसकी समझ होनी चाहिए कि ग़रीबी उन्मूलन सिद्धांतों मे इन "मुख्य पाँच" का उन्मूलन आवश्यक है. हमें एक स्थाई विकास प्रक्रिया के रूप में वास्तविक धन सृजन करने के लिए विधियाँ ईजाद करनी होंगी. जब कुछ लोग "धन" शब्द देखते हाइयन, तो वे अमीर और ताकतवर लोगों के भारी धन के बारे में सोचते हैं. लेकिन धन का अर्थ है वो वस्तु जिसका कोई मूल्य है, चाहे कितनी भी छोटी हो, जिसे हम पैसों से नाप सकें. अगर हम ग़रीबी की हराना चाहते हैं तो हमें ग़रीबी (ना केवल उसके लक्षणों) और धन के बारे में पता होना चाहिए. धारणाओं को नकारना: हमें पहले कुछ सामान्य धारणाओं को नकारना होगा. ग़रीबी सिर्फ़ पैसे की कमी नहीं है. धन केवल पैसे का अधिकार नहीं है. ग़रीबी और धन पैसे के अभाव या उपस्थिति से कहीं बढ़कर हैं. पैसे को हम कभी-कभी धन के माप के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर धन को रखने के माध्यम के रूप में. लेकिन, पैसा धन नहीं है और ग़रीबी का स्वाभाव पैसे के अभाव से कहीं ज़्यादा दिलचस्प और चुनौतीपूर्ण है. याद रहे, इस पत्रक का उद्देश्य आपको तकनीक सिखाना नहीं है, यह आपको ग़रीबी के कारणों का विश्लेषण करने के लिए प्रोत्साहित करता है और आपको अन्य दस्तावेज़ों मे सिखाए जाने वाली तकनीकों के सिद्धांत समझाता है पैसा एक बहुत उपयोगी उपकरण बन सकता है. धन का इस्तेमाल ग़रीबी से लड़ने और धन सृजन करने में किया जा सकता है. तथापि, पैसा खुद ही, ग़रीबी उन्मूलन नहीं कर सकता. एक मालिक से दूसरे तक धन का हस्तांतरण करने से केवल उसका विस्थापन होता है, ग़रीबी की सामाजिक समस्या का समाधान नहीं होता. आपको ग़रीबी उन्मूलन करने के लिए तीन चीज़ों को आवश्यकता है: (1) अवधारणाओं और सिद्धांतों की समझ (2) प्रशिक्षण, सहज़ीकरण और आयोजन के कुछ कौशल (3) और व्यक्तिगत विशेषताएँ जैसे अखंडता, प्रेरणा और रचनात्मकता. यह पत्रक पहली ज़रूरत पर ज़ोर देता है. धन वास्तव में क्या है? अगर पैसा और धन एक नहीं हैं, और केवल पैसा बढ़ने से ग़रीबी नहीं हटती, तो धन क्या है और वा ग़रीबी से लड़ने में कैसे सहायक होता है? हम ऐसे ही पैसा नहीं छाप सकते. यदि हम किसी अर्थव्यवस्था में ऐसे ही पैसा छापते हैं तो हम मुद्रास्फीति में योगदान देते हैं, जिससे पैसे का मूल्य पहले की तुलना में घट जाता है. मुद्रास्फीति का अर्थ है की वस्तुओं का दाम बढ़ जाता है. हम ग़रीब लोगों ऐसे ही पैसे नहीं दे सकते. यदि हम केवल अमीर लोगों से ले कर ग़रीब लोगों को पैसे देते हैं तो हम ग़रीबी के कारणों पर हमला नहीं कर रहे हैं और धन सृजन नहीं कर रहे हैं. (देखिए "निर्भरता," और देखिए "पैगंबर और रस्सी" का उपाखयान," "कहानियों में" पत्रक). तो पहले हम धन के स्वाभाव को समझते है? वह क्या है? अगर हम एक अर्थशास्त्री की धन की परिभाषा को देखें, हम धन का प्रयोग ग़रीबी से लड़ने के लिए कैसे कर सकते हैं यह जानने के करीब आ जाएँगे. अर्थशास्त्री मूल्य सहित "धन और सेवाओं" के बारे में बात करते हैं, लेकिन "माल" का भी मूल्य उसी सीमा तक है जब तक वह सेवा प्रदान कर सकता है. यहाँ मुख्य अवधारणा है मूल्य. (देखिए "संकेत शब्द.")किसी भी वास्तु का दो विशेषताओं के अनुसार सापेक्ष मूल्य होता है (1) यदि वह आपेक्षित रूप से उपयोगी है (2) यदि वह आपेक्षित रूप से कम है.. धन सृजन (या आय उत्पादन) मूल्य वर्धन के रूप में होता है. इसका मतलब है किसी वस्तु का पहले से कुछ मूल्य है और आपके प्रतिभागियों, प्रशिक्षुओं या ग्राहकों की गतिविधियों से उस मूल्य का वर्धन होता है. वह अतिरिक्त मूल्य जो पैदा होता है उसे हम धन सृजन कहते हैं. हम में से जिसे भी कभी पैसे की कमी रही है, पता है की ग़रीबी क्या होती है. लेकिन व्यक्तिगत ग़रीबी का अनुभव, जो कि कुछ पैसे मिलने से दूर हो जाता है, ग़रीबी की सामाजिक समस्या से बहुत अलग है. यह पूरी अर्थव्यवस्था एर समाज की समस्या है. ग़रीबी की सामाजिक समस्या धन का अभाव है, पैसे का नहीं. कम-आय वाले लोगों के लिए समाज में धन का बँटवारा कैसे किया जाता है, इसका परिणाम ग़रीबी है. अगर आप प्रणाली में पैसे डालते जाएँगे तो आप केवल मुद्रास्फीति को बढ़ावा देंगे, और ग़रीबी का उन्मूलन नहीं होगा. ग़रीबी हटाने के लिए आपको प्रणाली में मूल्य की वृद्धि करनी होगी. ग़रीबी से लड़ने का उत्तर पैसा देना नहीं है, बल्कि धन सृजन और मूल्य वर्धन है. एक सहजकर्ता के रूप में आपका कार्य है की आप ग़रीब लोगों को धन सृजन करने में मार्गदर्शन करें. आप धन के साथ तीन चीज़ें कर सकते हैं: (1) उपभोग , (2) भंडारण, या (3) निवेश. इसे स्पष्ट करनेके लिए हम एक अफ्रीकी किसान का उदाहरण लेते हैं. (आप इस उदाहरण को एक छोटे बर्तन में मकई के बीज लेकर कर सकते हैं). क्योंकि कई किसान लड़कियाँ और महिलाएँ होती हैं, इसलिए हम लड़की का उदाहरण लेंगे, लेकिन हम पुरुषों से कोई भेदभाव भी नही करेंगे. तो हम कहते हैं उस महिला किसान ने अभी-अभी एक मकई की फसल काटी है. अब वो (1) उसका उपभोग कर सकती है, (2) उसका भंडारण सकती है, या (3) निवेश कर सकती है. (बर्तन दिखा कर पूछें की क्या किया जाना चाहिए, या फिर मकई को टीन भागों में बाँट दें). वो मकई को पका कर अपने परिवार और दोस्तों के साथ खा सकती है जिसे (1) उपभोग कहते हैं. (आप मकई को कक्षा में पकाएंगे तो नहीं पर ऐसा कहने से उदाहरण स्पष्ट हो जाएगा). वो मकई को एक बर्तन में रख कर बाद के लिए बचा सकती है जिसे (2) भंडारण कहते हैं. यदि परजीवी और कीड़े भंडारित अनाज का नाश कर देते हैं तो हम इसे अवांछित खपत कहते हैं. वो कुछ मकई को भविष्या में बीज के रूप में इस्तेमाल कर सकती है और इसे बो कर और मकई उगा सकती है. इसे हम कहते हैं (3) धन का निवेश. सिर्फ़ तीसरे विकल्प से नए धन का सृजन होता है. किसी भी अर्थव्यवस्था में धन सृजन करने का तरीका है निवेश करना जिसमें हम तत्काल वर्तमान में उत्पाद की खपत करते हैं जिससे कि हम भविष्या में और ज़्यादा उत्पादन कर सकें. हमारी आधुनिक दुनिया एक किसान के तीन विकल्प में से एक चुनने जैसी सरल नहीं है, लेकिन सिद्धांत वही रहता है - निवेश करने से धन की वृद्धि होती है और ग़रीबी दूर होती है. इस शृंखला में, यह आय उत्पादन योजना का एक महत्त्वपूर्ण सिद्धांत है; और यह ज़रूरी है की काम शुरू करने से पहले आप इसे समझ लें. ग़रीबी एक सामाजिक समस्या के रूप में: ग़रीबी के कारण क्या हैं?? (सामाजिक समस्या - ग़रीबी). पैसे की कमी ग़रीबी का एक लक्षण और माप है. लक्षण का इलाज करने से बीमारी का इलाज नहीं होगा. ग़रीबी की सामाजिक समस्या के कारण कई घटकों में छुपे हैं, मूल रूप से 'मुख्य पाँच': बीमारी, अज्ञानता, बेईमानी, उदासीनता और निर्भरता. बीमारी समाज के श्रमिकों को कम उत्पादक बना देती है. बीमारी और मृत्यु उत्पादन के तीन में से एक मुख्य कारण में कमी लाती है. बीमारी को रोकने की बेहतर समझ से और यह सुनिश्चित करने से कि बीमारी कम करने के लिए दिया गया धन व्यक्तिगत लाभ के लिए इस्तेमाल ना हो , हम बीमारी को कम कर सकते हैं. इस प्रकार ग़रीबी के सभी कारक अपने आप में जुड़े हुए हैं. बेईमानी और अज्ञानता बीमारी में योगदान देते हैं और तीनों मिलकर ग़रीबी में. अज्ञानता, जैसा पहले भी बताया गया है, कोई शर्म की बात नहीं है, केवल एक तथ्य है. यह अलगाव की वजह से होता है कि कुछ लोगों को कुछ चीज़ें पता नहीं होती क्योंकि उन्होंने इनके बारे में कभी सुना नहीं होता (सूचना). ग़रीबी के अन्य कारक भी अज्ञानता में योगदान दे सकते हैं जैसे बीमारी और बेईमानी. यह दोनो कारक शिक्षा और सूचना की कम उपलब्धता में योगदान देते हैं. बेईमानी, ग़रीबी की सामाजिक स्मास्या का एक प्रमुख कारण है. जब एक विश्वसनीय स्थान पर स्थापित एक व्यक्ति, अपने लाभ के लिए प्रति मूल्य की सौ इकाइयों को इस्तेमाल कर लेता है, तब समाज में विकास और ग़रीबी उन्मूलन में योगदान देने वाली सौ से कहीं ज़्यादा इकाइयों का नुकसान हो जाता है. यह वही है जिसे अर्थशास्त्री "गुणक प्रभाव कहते हैं. बेईमानी ऐसे वातावरण में फलती है जहाँ उदासीनता, अज्ञानता और निर्भरता हो. तो यह एक उदाहरण है कि ग़रीबी के सभी कारक आपस में जुड़े हुए होते हैं. कृपया ध्यान दें की यह कोई मूल्यक निर्णय नहीं है. हम ये नहीं कह रहे हैं की उदासीनता, अज्ञानता, बेईमानी और बीमारी बुरे होते हैं. अच्छे और बुरे का फ़र्क सीखना हमारे धार्मिक नेताओं पर है. यह सिर्फ़ ग़रीबी के कारणों का एक वैज्ञानिक विश्लेषण है. ग़रीबी की सामाजिक समस्या से लड़ने के लिए (अगर यह लोगों का निर्णय है तो), ग़रीबी के कारणों को जानना और उनका विश्लेषण करना आवश्यक है. ग़रीबी के और कारण हैं: बाज़ार का अभाव, नेतृत्व का अभाव, सहयोगी संस्थानों का अभाव, भ्रष्टाचार, और बुनियादी सुविधाओं का अभाव. यह कारक भी मुख्य पाँच कारकों के ही परिणाम हैं : उदासीनता, बीमारी, बेईमानी, निर्भरता और अज्ञानता. ग़रीबी, धन की तरह, कई क़िस्मों के स्वामित्व से संबंधित होती है. सांप्रदायिक मानव बस्ती और सेवाओं का अभाव सार्वजनिक या सामूहिक स्वामित्व का है. इनमें स्वास्थ्य सेवाओं, शैक्षिक सवाओं का अभाव, सड़क, बाज़ार, बिजली और फोन जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव, स्वच्चता, पीने योग्य पानी और भरोसेमंद खाद्य आपूर्ति का अभाव शामिल हैं. सांप्रदायिक धन के यह रूप निजी स्वामित्व से अलग हैं जिसमें ग़रीबी के रूप हैं कम मज़दूरी, ज़मीन और अन्य संपत्ति की कमी, निजी पूंजी का अभाव और अन्य मानवीय कैशल की कमी. यह पद्धति निजी लघु उद्योग को प्रेरित करने के द्वारा पूंजी निर्माण और ग़रीबी उन्मूलन पर ज़ोर देती है. निवेश की आवश्यकता: यह पद्धति, एक बहुत ही छोटे तौर पर, निजी निवेश का प्रारंभ करती है जिसे, अगर बढ़ाया जाए तो वा देश भर में धन सृजन हो सकता है और ग़रीबी उन्मूलन में योगदान दिया जा सकता है. एक प्रशिक्षक के नाते, आपको निवेश का अर्थ पता होना चाहिए, और उसकी धन सृजन और ग़रीबी उन्मूलन में होने वाली भूमिका पता होनी चाहिए. मौजूदा धन खपत या निवेश की ओर निर्देशित किया जा सकता है. मकई, भोजन के रूप में खपत का एक अच्छा उदाहरण है. बगीचे की कुदाल, जिसे कि खेत तैयार करने में इस्तेमाल किया जाता है, पूंजी का एक अच्छा उदाहरण है. पूंजी की हम सीधे खपत नहीं कर सकते, लेकिन इसका इस्तेमाल भविष्य में संपत्ति बढ़ाने में किया जा सकता है. निवेश का अर्थ है धन को पूंजी के उत्पादन की ओर निर्देशित करना, जिसकी ज़रूरत समुदाय और समाज में धन की वृद्धि के लिए होती है. जब आप आय सृजन योजना आरंभ करते है, तो आप कम-आय उद्यमियों को धन के इस्तेमाल का खपत से निवेश तक रूपांतरण करने में मार्गदर्शन करते हैं, जो कि धन की वृद्धि और ग़रीबी उन्मूलन में योगदान देता है. लघु उत्पादक व्यापार, विशेष रूप से कृषि उत्पादों का प्रारंभिक प्रसंस्करण, सबसे अधिक प्रभाविक रूप से व्यक्तिगत उद्यमियों द्वारा किया जाता है. इस प्रारंभिक प्रसंस्करण की पूरे महाद्वीक में ज़रूरत होती है और यह व्यापार ग़रीबी उन्मूलन के लिए अति उचित है. एक जुटव कार्यकर्ता के रूप में आपका कार्य है कि आप कम-आय व्यक्तियों, विशेष रूप से महिलाओं, युवाओं, विकलांगों को धन उत्पादक बनाएँ अर्थात् उन्हें व्यक्तिगत कृषि उत्पाद प्रसंस्करण उद्यमियों में बदलें. निष्कर्ष: किसी भी सामुदायिक कार्य की तरह, कम-आय व्यक्तियों के साथ आय उत्पादन करना आँखें मूंद कर एक निर्धारित कार्य करने से अधिक है; आपके लिए इन कार्यक्रमों के पीछे छुपे सामाजिक और आर्थिक सिद्धांतों को समझना ज़रूरी है, जिससे आप सही कार्यवाई कर सकें. उन महत्त्वपूर्ण सिद्धांतों को समझे बिना आप अपने कार्यों, उद्देश्यों और परिणामों के बारे में ग़लत निर्णय ले सकते हैं. ऐसे बहुत लोग होंगे जिनके तर्क उपर से बहुत अच्छे लगेंगे लेकिन वा आपको गुमराह कर सकते है; जिससे आह ख़तरा पैदा हो जाता है की आप ऐसे निर्णय ले लें जिससे लंबे समय में निर्भरता और ग़रीबी को बढ़ावा मिले (शायद कम समय में राहत मिले) जब कि हम चाहते हैं स्थाई ग़रीबी उन्मूलन और असली धन सृजन. इस महत्त्वपूर्ण समझ के लिए, यह हस्तपुस्ता आपको समझाती है धन क्या है (और वा पैसे से कैसे अलग है), ग़रीबी की सामाजिक समस्या की व्यक्तिगत नहीं, सामाजिक प्रकृति, निवेश का अर्थ और आवश्यक प्रायोजन और यह की दान (मुफ़्त चीज़ें), अनुदान या कम दरों का ऋण ग़रीबी की समस्या का समाधान नहीं करके उसे बढ़ता है. ––»«––मूल्य
वृद्धि; © कॉपीराइट १९६७, १९८७, २००७ फिल बार्टले
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