समुदायिक अनुसंधान




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कार्यकर्ताऔ के लिए अनुसंधान

प्रायोगिक , व्यावहारिक और सोद्देश्य

के द्वारा फिल बार्टले, पीएच.डी.

अनुवादक : मितेष टान्क


प्रशिक्षण पर्चा

सशक्तिकरण के सहायता में व्यावहारिक सामाजिक अनुसंधान

भावार्थ:

यह प्रलेख समुदाय के कार्यकर्ता और/अथवा उनके प्रबंधक के लिये है।

सामाजिक विज्ञान अनुसंधान कि पद्धतियाँ मै और शुद्ध विज्ञान जैसे समाजशास्त्र और नृविज्ञान कि पद्धतियाँ में समानता है, किंतु कार्यकर्ता अथवा प्रबंधन प्रशिक्षक द्वारा उपयोग कि गयी पद्धतियाँ से भिन्न है। सामाजिक संदर्श निभाना अनुसंधान के दोनों किस्मो मै अहम है और सुध्ध अनुसंधान के परिणाम व्यावहारिक वैज्ञानिक के लिये मूल्यवान हो सकते हैं।

लेकिन कार्य के समय कार्यकर्ता को उन पद्धतियाँ का उपयोग करना होगा जो उनके उद्देश्यों के उपयुकत हो। उनके उद्देश्य इस प्रकार होने चाहिए - सामुदायिक सशक्तिकरण और संगठन कि क्षमता मै विकास।

प्रायौगिक सामाजिक विज्ञान:

विज्ञान को शुद्ध और व्यावहारिक विभागो मै बाट देना उपयोगी होता है। शुद्ध विज्ञान कैसे चीज़ें काम करती हैं देखता हैं| व्यावहारिक विज्ञान उस ज्ञान का प्रायोगिक उपयोग करता हैं| जब रसायन शास्त्र शुद्ध विज्ञान , रासायनिक अभियांत्रिकी व्यावहारिक विज्ञान है| सामुदायिक सशक्तिकरण और संगठन कि क्षमता मै विकास व्यावहारिक सामाजिक विज्ञानों के दो उदाहरण हैं|

जब अभियान के लिए जन समर्थन ईक्था करना, सशक्तिकरण, क्षमता विकास और प्रबन्धन प्रशिक्षण प्रदान सब व्यावहारिक सामाजिक विज्ञान हैं, लेकिन सामाजिक इंजिनियरिंग .

से भिन्न हैं| शुद्ध और व्यावहारिक का अन्तर वैज्ञानिक अनुसंधान किस प्रकार आयोजित किया जाता है उसे प्रभावित करता हैं|

शुद्ध विज्ञान अनुसंधान , नृविज्ञान के अंतर्गत नौकरीओं सहभागी प्रेक्षण टिप्पणी साधारणत:| उक्त पद्धति , मानवविळ्ाानी में जहाँ संस्कृति भिन्न भिन्न है समुदाय के साथ रहने के लिए जाते है से उनके अथवा उनके जन्म , लेअर्ंस भाषा और रीति रिवाज से और उक्त विदेशज समाज के संस्कृति के बारे में सूचना देते हैं| सहभागी प्रेक्षण टिप्पणी (नृविज्ञान में) मै काफ़ी समय लगता है| कार्यकर्ता के पास अनुसंधान के ईतना वक्त नही होता।

लेकिन समाजशास्त्र साधारणत: मात्रात्मक साक्षात्कार सर्वेक्षण पर आधारित होता है। मात्रात्मक सामाजिक सर्वेक्षण (समाजशास्त्र में) औपचारिक और सम्भवतः सख्त होता है| यह अक्सर सूचकों के उत्तर को प्रभावित करते है। और सर्वेक्षण इन्ही की रायें को महत्व देता हैं| सर्वेक्षण खुद समुदाय अथवा किसी सामाजिक संस्थान की कार्य शैली कि खोज नही करता।

दोनो मै सिर्फ़ थोडी हि समानता है| आम तौर से शुध्ध और व्यावहारिक विज्ञान की प्रणालियाँ भिन्न होती है। लेकिन शुध्ध विज्ञान के परिणाम कार्यकर्ता के लिए काफ़ि मददगार साबित हो सकते है। शुध्ध विज्ञान के प्रकाशन पढने और उसमे प्रयोग किए गये तरीके का अध्यन करने मै कोई हानि नहि होगी। कार्यकर्ता के लिए यह एक अच्छी सलाह होगी।

लेकिन कार्यकर्ता को अगर सही माय्ने मै किसी समुदाय को सशक्त बनाना है, तो उसे ज्यादा जानकारी कि ज़रूरत होगी और उसे कइ अलग तरीके अपनाने होन्गे।

अनुसंधान का उद्देश्य:

शुद्ध विज्ञान के अनुसंधान का उद्देश्य , चीजो की कार्य शैली देखना होता है| जब कि व्यावहारिक विज्ञान के अनुसंधान का उद्देश्य सशक्तिकरण के लिये प्रभावशाली कदम उथाना होता है| चीजो की कार्य शैली अगर पता है तो गौण है।

कार्यकर्ता का लक्ष्य कम आय वाले समुदाय को सशक्त करना है। सामान्य पद्धति मे कार्यकर्ता को समुदाय को आत्मनिर्भरता प्राप्त करने मै मदद करने वाली परियोजनाऔ ,जो उसी समुदाय के सदस्यो द्वारा परिभाषित और सर्वाधिक प्राथमिकता रखने वाला होता है, के लिए प्रोत्साहित करना और मार्गदर्शन देना शामिल होता है।

प्रभावी और सफल होने के लिए कार्यकर्ता को समुदाय का गथन, उसमे हो रहे परिवर्तन और अभी के योग्य संरचनाएँ अथवा नमूनो के वाकिफ होना चाहिए। कार्यकर्ता को अपनी पहल के जवाब मै समुदाय कि क्या प्रतिक्रिया होगी उसका अन्दाजा होना चाहिए। उसे ईस बात का भी अन्दाजा होना चाहिए कि क्या समुदाय किसी एक कार्य के लिए एकत्रित हो पायेगा। कार्यकर्ता को इसके लिए समुदाय कि अर्थव्यवस्था, राजनैतिक प्रक्रियाएँ, प्रौद्योगिकी, आदान प्रदान के तरीके, समुदाय के लोगो के मूल्य और आस्थाऎ, यानि, उसके संस्कृति से वाकिफ होना पडेगा।

यह सारी जानकारी कार्यकर्ता को समुदाय की उन्नति के लिए प्रेरित करने के लिए उचित कार्यनिति बनाने मै मदद करेगी। कार्यक्रम के सन्चालक को इस जानकारी की उतनी ही जरूरत होती है। यह जानकारी मात्र कार्यकर्ता के पास नही रहेगी, लेकिन सन्चालक के पास भि इसकी प्रतिलिपि दी जायेगी।

सामान्य पद्धति:

कार्यकर्ता को यह सारी जानकारी ईस तरह प्राप्त करनी होगी जिस से उसकी समुदाय को कार्य करने के लिए प्रेरित करने मे बाधा ना आये।

आप कार्यकर्ता को मानवविज्ञानी कि तरह एक साल जितना प्रेक्षण अवलोकन करने का समय नही होगा| कार्यकर्ता औपचारिक सर्वेक्षण नही कर सकता क्योकि एक तो उसके पास साधन कि कमी होगी और ऎसे सर्वेक्षण से निवासियों का दृष्टिकोण और व्यवहार भी प्रभावित होगा|

आप, कार्यकर्ता द्वारा सामाजिक अनुसंधान , अनौपचारिक और उल्लेखनीय नही होना चाहिए (जिस से लोगो को कोइ आपत्ति ना)।

भले ही अवलोकन मौके पर आकस्मिक और औपचारिक टिप्पण रहित होना चाहिए लेकिन हर रात को कार्यकर्ता को विभिन्न किस्मो की व्यापक टिप्पणियॉ बनानी चाहिए जिस मे दिन भर के अवलोकन और विश्लेषण कि जानकारी होनि चाहिए। ऐसा सामाजिक अनुसंधान करने के वक्त कार्यकर्ता सुस्पष्टता का आग्रही नही हो सकता। सौभाग्य से सुस्पष्टता कोई तत्काल आवश्यकता नही है और उपयुकत रूपरेखा और रुझान से कार्यकर्ता प्रबन्धक को जिला के अनुरुप रणनीति बनाने मै मदद कर सकता है।

लिखने के लिए समय जरुर निकाले :

दिन मे से एक या अधिक घन्टा मात्र लिखने के लिए निकाल के रखना चाहिए, जिस मै आप अपने अवलोकन और विश्लेषण के बारे मै लिखेन्गे। आप को एक किताब रखनी होगी जिस मै, दिन कि घटनाओं के सहित आप जो देखते और सुनते हो उसके अवलोकन , प्रतिक्रियाएँ , उत्तर और विचार भी लिखने चाहिए।

आपका लिखना सामाजिक अनुसंधान का बहूमुल्य है| लिखना अवस्य मदद करता है|

लिखना आपके विचारे को संगठित करने मे मदद करता हैं| क्योंकि समुदाय एक समाजशास्त्रीय निर्माण है और कभी भी सारी चिजे देखना सन्भव नही होता, लिखने से ईस समुदाय का मान चित्र निर्मित करने मे मदद मिलती है। आप को अपने अवलोकन का विश्लेषण करना होगा और लिखना ईस प्रक्रिया मै मदद करता है। यह आप को समुदाय को, हररोज मिलने वाले लोगो से ऊपर, एक सन्गथन के रुप मे देखने का मौका देता है।

एक बार लिखने के बाद, उसे पढने पर काफ़ि चिजे आप के ध्यान मे आयेगी जिस से आप को अपनी किताब मे सन्सोधन करना चाहिए।

सामाजिक संदर्श कि जरूरत:

समुदाय को व्यक्तियों का संग्रह न हो कर उससे कई ज्यादा होना, आप के अनुसंधान आयोजित करने और कार्यकर्ता कि हैसियत मे कामयाब होने के लिए अनिवार्य है।

आप को सामाजिक परिप्रेक्ष्य समझना पडेगा।यह आप के समुदाय के व्यक्तियों के बीच के अवलोकन करने के तरीको का भावार्थ होना चाहिए। उसके बाद आप किताब मे अपने अवलोकन और विश्लेषण के बारे मे विस्तार से लिख सकते है। आप कभी भी समुदाय के सारे रुप एक साथ नही देख सकते लेकिन सदा उसे एक इकाई कि तरह देखना चाहिए। (कृपया देखिए हाथी कि कहानी ).

लिखने से आप समुदाय को एक ईकाइ कि तरह देख सकते हो और उस पर पुन:विचार कर सकते हो। बेहतर समझ के लिये आप को समुदाय और समाज को संपूर्ण ईकाइ का विचार अपने परिदृश्य मे रखना होगा। याद रखिए कि समुदाय समाजशास्त्रीय निर्माण है और व्यक्तियों से परे है। आप को यह बडा चित्र दिमाग मे रखना होगा।

समुदाय सदा परिवर्तित होने वाली कार्यप्रणाली (जिस मे कभी कभी खामिया होती है) है। आप को व्यक्तिगत अवलोकन को समग्र दृश्य के किसी भाग मे देखना होगा और यह तभी सम्भव है जब आप किताब मे विस्तार से लिखते हो। आपके अवलोकन को समाज के ईन छः आयामो मै संगठित करें। यह आपको अनदेखे पहलू से अवगत करायेन्गे और समुदाय को एक ईकाइ कि तरह देखने मे मदद करेगा। आप अपने अवलोकन को भी क्षमता के तत्व से मे विभाजित कर सकते हो।यह आप को सशक्तिकरण के तरीको से समुदाय मे जो बदलाव होने चाहिए उन के प्रत्य जाग्रुक रखेगा।

पुस्तकालय अनुसंधान:

आप को समाजशास्त्रीय सूचना प्राप्त करने के लिए अर्थशास्त्र , राजनीतिशास्त्र , भूगोल , नृविज्ञान और समाजशास्त्र जैसे शुद्ध विज्ञान के कार्यो से परहेज नही करना चाहिए। भले हि यह वैज्ञानिक समझ बढाने के लिए एकत्रित कि गई होगि लेकिन यह जानकारी आप को अपने सशक्तिकरण के उद्देश्य को प्राप्त करने मे मदद कर सकता है।

अगर आप के पास समाजशास्त्रीय , नृशास्त्रीय और भौगोलिक शैक्षणिक पत्रिकाओं की सहूलियत है तो आप इस का पूरा उपयोग करना चाहिए।विश्वविद्यालय पुस्तकालयों और इंटरनेट दो अच्छा स्रोत हैं| जनगणना कि भि अवगणना नही करनी चाहिए|

समान क्षेत्र में समान जातिय समूह में समान ज़िला में सदृश्य समुदाय पर किया गया अनुसंधान उपयोगी हो सकता है, जब तक आप यह याद रखे कि हर एक समुदाय मे समानता के साथ भिन्न्ता भि होती है। प्रत्येक समुदाय अपने आप मे अनोखा होता हे।आप को विस्तार से किताब मे लिखना होगा और कुछ क्षेत्र मे किये गये सामान्य अवलोकन का परीक्षण भी करना होगा।

मानचित्र और और कुछ:

समुदाय में जो देखा-सुना हैं उसकी टिप्पणियॉ मात्र लिखित शब्दों मे बन्धित न हो कर, आप को आरम्भ से , भिन्न भिन्न मानचित्र बनाने चाहिए।

सामान्य भौगोलिक मानचित्र के साथ शुरु करना चाहिए और वहाँ अपनी कोशिष बंद न करें| भौगोलिक मानचित्र तक अपने आप को सिमित ना करते हुए आप को अन्य किस्म के मानचित्र भी बनाने चाहिए। छ सांस्कृतिक आयामों को ईन चिजो को संगठित का माध्यम बनाए|

प्रोद्योगिक आयाम से आप को समुदाय को एक जिवित प्राणी कि तरह पेश करना चाहिए। वह कौन सी चिज़ो का उपयोग करता है और इस प्रक्रिया मे कौन सी चिजे निकालता है? ईस्तमाल की गयी प्रक्रिया के दरम्यान क्या क्या होता है? ईसी तरह आप को अर्थशाश्त्रिय आयाम भि बनाना होगा। धन कहा पर केन्द्रित है? प्रोद्योगिक आयाम से आप को समुदाय को एक जिवित प्राणी कि तरह पेश करना चाहिए। वह कौन सी चिज़ो का उपयोग करता है और इस प्रक्रिया मे कौन सी चिजे निकालता है? ईस्तमाल की गयी प्रक्रिया के दरम्यान क्या क्या होता है? ईसी तरह आप को अर्थशाश्त्रिय आयाम भि बनाना होगा। धन कहा पर केन्द्रित है? धन का बहाव कैसा है? (धन और पैसो मै अन्तर होता है) राजनैतिक आयाम मे, ताकत और प्रभाव के केन्द्र पता करने होन्गे। इस मे, पारम्पारिक, विरासत मे मिलि, निर्वाचित, अनौपचारिक, अपरिचित और अन्य किस्में शामिल भी होने चाहिए। समुदाय मे ताकत कैसे बटी हुई है? उस मे बदलाव कैसे आता है? क्या ईन व्यक्तियों को एक से ज्यादा स्त्रोत से ताकत मिलती है? क्या कोई अपना स्त्रोत बदल रहा है? ऎसा क्यो होता है? दूसरो के विचार से प्रभावित न हो कर आप को खुद सृजनात्मक होना पडेगा।

आप पहले स्वयम मानचित्र बनाये। ईसे अन्य कार्यकर्ताऔ के साथ बाटे और तुलना करे। खुद से यह बात स्पष्ट कर दे कि समुदाय को एक ईकाइ कि तरह देखना होगा जिस मे व्यक्तियो के समूह से परे भी कई विशेषताए है। लेकिन आप को उन ताकतो और तत्वो का अध्यन करना होगा जिन से शामिल व्यक्तियो से परे समुदाय का खुद का एक जीवन होगा।

सूचियों बनाना:

सुनने से भले यह दिलजस्पी पैदा ना कर रहा हो, लेकिन सूचियों बनाना अपने अवलोकन को सन्गथिक करने और विश्लेषण को जाच करने का उपयोगी तरीका है। ईस से सामाजिक परिप्रेक्ष्य के तहत समुदाय की समझ गहरी होती है।

सूचियों बनाना प्रारम्भ करना चाहिए, भले ही यह कार्य उसी दिन सम्पन्न ना हो। किसी भी अवलोकन की सूचि बना सकते है। इसे दौरान आप को उन चिजो के बारे मै पत्ता चलेगा जो अभी तक अनदेखे थे और अगली बार उस चिज़ पर ज्यादा ध्यान देन्गे।

आपको अपनी सूचियो को कई बार देखना होगा और उस मे कई बदलाव करने पदेन्गे। आपको अपनी सूचियो को दूसरे कार्यकर्ता के साथ बाटना चाहिए और तुलना भी करनी चाहिए।

आप उन लोगो कि सूचि भी बना सकते हो जो सांस्कृतिक आयामों संबंधित किसी भूमिका की पूर्ति करते हो; उदाहरण के लिए शक्ति ( राजनैतिक ) आयाम मे, उन व्यक्तियों की सूची बना सकते है जो शक्ति को नियंत्रित करते हैं और/अथवा समुदाय पर प्रभाव कर सकते है।

आर्थिक आयाम के लिए , समुदाय के सारे व्यापारियों की सूची बनायें| उन सब तरीको की सूची बनाये जिस से धन के प्रयोग के अलावा धन स्थानांतरित किया जाता हो| वैसी भी सूची बनाये जिस मै समुदाय में पैसो को धन के मूल्यांकन करने मै उपयोग किया जाता है| मूल्यवान चीजो कि सूचि भी बनाये जिस मै उन मुल्यवान चिजो का उल्लेख हो जिसे धन के साथ मूल्यांकन करने को बुरा माना जाता हो।

सूचियों मात्र लोगो की नही होनी चाहिए| सारे धार्मिक भवनों की भी एक सूची बना सकते है ( गिरजाघर , मसजिदों , यहूदी प्रार्थना भवन , मंदिरों , पुनरुज्जीवन्होंने स्थानिक देवत्व भवनों , वस्तु पूजा घरों) उगायी और बेची गयी सभी नकद फसलो की भी एक सूची हो सकती है। और सांप्रदायिक सुविधाऔ की भी एक सूची बन सकती है ( स्कूल , क्लिनिक , जल आपूर्ति , विद्युत शक्ति , बैठक प्रधान कक्षों , पथों )।

आप अन्त मे सभी सूचियों की सूची बना सकते हैं| ईससे आप वह तथ्य खोज सकते है जिन को आपने जनता में आपके अनौपचारिक विचार विमर्श और अवलोकन के दौरान अनदेखा कर दिया हो। अन्य कार्यकर्ता के साथ आपके सूचियों मिलाये और आपके प्रबंधक के साथ उनकी परिचर्चा करते हैं|

प्रबंधकों , सूचियों बनाने के लिए उनके कार्यकर्ताऔ को प्रोत्साहित करते हैं और प्रत्येक समुदाय के सामाजिक अनुसंधान को सन्गथिक करने के पथ के रूप में प्रयोग करने के तरीको की परिचर्चा करते हैं|

निष्कर्ष:

कार्यकर्ता का सामाजिक अनुसंधान शुद्ध विज्ञान में अनुसंधान, जैसे समाजशास्त्र और नृविज्ञान, से भिन्न हैं| यह भले हि सूक्ष्म ना हो लेकिन वह तेज और जितना हो सके उतना अनौपचारिक होना चाहिए| यह जानकारी को जानकारी मा़त्र के लिए खोजा नही जाता, किंतु प्रत्येक सूचना को समुदाय को सशक्त करने के लिए प्रभावी तरीक़े ईजाद करने में ईस्तमाल किए जाते है।

आपको खुद कि अनुसन्धान कि रणनिति तैयार करनी होगी और उसे समुदाय के परिस्थिति के अनुसार ढालना होगा। आपके ज़िला के अथवा समान संगठन के अन्य कार्यकर्ताऔ के साथ विनिमय विचारों और अनुभव में यह परिचर्चा करनी चाहिए|

ईस लेख मे मात्र दिशानिर्देशों है और कोई औषधि विधि नहीं हैं| मुख्यत: आप को अपने अवलोकन का विश्लेषण एवम छानबीन करनी होगी| दैनिक लिखना इस कार्य मे मदद करेगा| आप का पूरा अनुसन्धान आप को सामाजिक संदर्श के माध्यम से समुदाय समझने के लिए और अनुसन्धान कैसे सन्गथिक किया जाता है, उस मे मदद करेगा। समुदाय मे हो रहे बद्लाव अन्द क्षमता बढ्ने के लिये कौन से तरीके सब से जयादा प्रभावी होन्गे, वह पता करने मे मदद करेगा।

यह लेख (जो अनुसन्धान कैसे करते है उस पर बल देता है) को इस लेख के साथ पढना चाहिए समुदाय अनुसंधान (जो क्या अनुसन्धान करना चाहिए उस पर बल देता है)|

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आखरी अपडेट: १५.०८.२०११

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