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 निरीक्षण




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निरीक्षण और प्रतिवेदन

अवलोकन किए जाने के बाद

के द्वारा फिल बार्टले, पीएच.डी.

अनुवादक निर्मला रामकृष्णन


कार्यशाला पुस्तिका

अवलोकन और विश्लेषणों का कैसे प्रतिवेदन किया जाए

हालाँकि यह दस्तावेज़ निरीक्षण के दौरान किए गये अवलोकन के प्रतिवेदन का विवरण है, अगला मॉड्यूल, रिपोर्ट लेखन, रिपोर्ट लिखने के बारे में विस्तार से विवरण देता है.

प्रतिवेदन परियोजना के निरीक्षण के दौरान एक महत्वपूर्ण गतिविधि है. यह वह माध्यम है जिसके द्वारा परियोजना के हिताधिकारी मात्र गतिविधियों की ही नहीं बल्कि, उनकी प्रक्रियाओं और उत्पादानों की भी जानकारी एक दूसरे से बाँटते है.

एक पाठशाला के निर्माण को ही लीजिए. यह - पाठशाला के दीवारों के निर्माण और ईंट बनाने के लिए समाज के लोग कितनी बार मिलते हैं - इसके उल्लेख के साथ ख़त्म नहीं हो जाता बल्कि यह कितने ईंट और दीवार बनाए गये थे और उन्हें बनाने के लिए किस प्रक्रिया का प्रयोग किया गया इसका भी उल्लेख करता है.

सामुदायिक परियोजनाओं में प्रतिवेदन दो तरीकों से किया जाता है: मौखिक और लिखित.

मौखिक प्रतिवेदन:

यह मौखिक रूप में किया जाने वाला प्रतिवेदन है. यह सबसे सामान्य प्रतिवेदन का तरीका है. समाज के सदस्य, एक दूसरे से बातचीत के रूप में संवाद करना, सबसे आसान और प्रभावशाली मानते हैं.

मौखिक प्रतिवेदन के ये लाभ हैं:

  • समुदाय में अधिक लोग इस तरह से सहभागी हो सकते हैं. समुदाय के कई लोग, ख़ासकर ग्रामीण इलाक़ों में, अशिक्षित होते हैं और लिख-पढ़ नहीं सकते. जो लिख सकते हैं उनके लिए रिपोर्ट लिखना अधिक समय लेता है और इस वजह से परियोजना के निरीक्षण के दौरान वे सभी जानकारी को दस्तावेज़ करने के लिए अनिच्छुक होते हैं.
  • स्पष्टता और सूचना का समय पर वितरण. मौखिक तरीके से प्रतिवेदन हमेशा एक घटना के होने के तुरंत ही किया जाता है. इस वजह से यह जानकारी लिखित दस्तावेज़ों से अपेक्षाकृत मान्य, विश्वसनीय और सामयिक होता है. जो लोग ऐसा प्रतिवेदन करते हैं, उनकें समुदाय से चर्चा करके उनकी राय तुरंत ही जानने का मौका मिलता है. यह निर्णय लेने की प्रक्रिया के लिए सहायक है.
  • कम लागत. मौखिक प्रतिवेदन से समय और अन्य संसाधनों की बचत होती है.

मौखिक प्रतिवेदन के मुख्य चुनौतियाँ ये हैं:

  • ग़लत प्रतिवेदन. अपने हितों की रक्षा के लिए कुछ लोग जानबूझकर ग़लत जानकारी का ज़बानी रूप में प्रसार करते हैं. यह करना बहुत ही प्रलोभी है क्योंकि प्रतिवेदन देने वाले जानते हैं कि कोई भी उनके प्रतिवेदन को अयोग्य नही ठहरा सकता है. कभी कभी जानकारी देने वालों को अपने उत्तर के बारे में सोचने के लिए पर्याप्त समय नही दिया जाता है, जिससे इस जानकारी का ग़लत होने के अधिक संभावना है.
  • भंडारण, नकल और स्थिरता: चूँकि मौखिक प्रतिवेदन के दौरान सूचना ना तो प्रलेखित है ना ही दर्ज़ की गयी है एसलिए, इसे रखना और आयेज पुनः प्राप्त करके इसका उपयोग करना मुश्किल हो जाता है. यह जानकारी केवल इस परियोजना में शामिल लोगों के दिमाग़ में रह जाता है. इसलिए समुदाय के बाहर इस जानकारी को बाँटना मुश्किल हो जाता है ख़ासकर उन लोगों के मौजूदगी में जो यह जानकारी दे नही पाते हैं या देने के लिए तैयार नहीं हैं. जिन मामलों में पिछली जानकारी नयी जानकारी उत्पन्न करने के लिए ज़रूरी होती है, उनमे तो प्रतिवेदन से प्राप्त जानकारी में सामंजस्य होने की संभावना बहुत कम हो जाती है.

लिखित प्रतिवेदन:

निरीक्षण के दौरान गतिविधियों का मात्र उल्लेख करना काफ़ी नही है - उनके परिणामों के बारे में लिखना भी अनिवार्य है. तकनीकी विशेषज्ञों के रिपोर्ट के समीक्षा करने के साथ साथ आप जो देखते हैं उसे दर्ज़ करें.

लिखित प्रतिवेदन के मुख्य लाभ ये हैं:

  • वे प्रबंधन प्रायोजनों के लिए विश्वसनीय जानकारी प्रदान करते हैं (सटीकता सुनिश्चित करने के लिए अन्य जानकारी के साथ इन रेपॉर्टों का तिर्यक जाँच बाद में भी किया जा सकता है);
  • तकनीकी विशेषज्ञों से प्राप्त जानकारी प्रदान करने में यह सहायक है; और
  • लिखित प्रतिवेदन को प्रबन्धित करना आसान है.

लिखित प्रतिवेदन की चुनौतियाँ ये हैं:

  • निरीक्षण के दौरान दैनिक रूप में लिखने को ज़्यादातर उपेक्षित किया जाता है; और
  • लिखित प्रतिवेदन में समय और पूंजी दोनों ही अधिक खर्च होते हैं.

देखें निरीक्षण के स्तर जिससे यहाँ प्रयोग किए गये स्तरों के बारे में ज़्यादा विवरण मिलता है. यूगॅंडा में 1=गाँव, 2=पाद्री इलाक़ा, 3=उप काउंटी, 4=काउंटी और 5=जिला.

मुख्य हिताधिकारियों के प्रतिवेदन में भूमिकाएँ:

सामुदायिक स्तर पर:

परियोजना कमिटी:

  • परियोजना कार्यान्वयन के लिए कार्य सूची को बनाकर उसे (स्वयंसेवकों के सहयोग के साथ) ग्रामीण विकास समिति, स्थानीय परिषद और समुदाय में प्रसार करें;
  • परियोजना की प्रगति का मासिक रिपोर्ट संकलन करके ग्रामीण विकास समिति, स्थानीय परिषदों का गाँव स्तर पर और समुदाय विकास सहायक के साथ बाँटा जाए; और
  • हर परियोजना के लिए परियोजना स्थल के दस्तावेज़ बनाए रखें (जिनमे कार्य सूची, निरीक्षण रिपोर्ट, और परियोजना से संबद्ध अन्य जानकारी शामिल हैं).

सामुदायिक स्वयंसेवक:

  • ग्रामीण स्तर पर जिस प्रक्रिया से परियोजना को पहचाना गया इसके लिए रिपोर्ट तैयार करके उसकी प्रतिलिपि ग्रामीण विकास समिति और समुदाय विकास सहायक को प्रस्तुत करें;
  • उस समुदाय और उनके विशिष्ट लोगों के बारे में जानकारी एकत्र करके रिपोर्ट प्रस्तुत करें; और
  • समुदाय में किए गये सभी प्रशिक्षण के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत करें.

ग्रामीण विकास समिति:

  • स्थानीय परिषद की बैठक में गाँव में चल रहे परियोजनाओं के बारे में अद्यतन करें;
  • समुदाय और समुदाय विकास सहायक को प्रतिवेदन करें कि हर परियोजना में कौँसे संसाधन कैसे उपयोग किए जा रहे हैं;
  • सामुदायिक परियोजनाओं के मुख्य कर्ताओं के बारे में एक वार्षिक रिपोर्ट समुदाय विकास सहायक को प्रस्तुत करें.

स्थानीय परिषद 1 और 2:

  • परिषद और कार्यकारी बैठक की कार्यवाही का संक्षिप्त विवरण तैयार करें और इसका उपयोग उप-काउंटी, जिला और राष्ट्रीय दलों में करें.

उप-काउंटी और जिला स्तर:

सामुदायिक विकास सहायक:

  • परियोजना के प्रगति के रेपॉर्टों का एक सारांश मासिक तौर पर जिला को प्रस्तुत करें;
  • सामुदायिक स्वयंसेवकों, परियोजना समिति और ग्रामीण विकास समिति की स्थिति और परिचालन के बारे में प्रतिवेदन करें;
  • स्वयंसेवकों द्वारा और स्वयंसेवकों के लिए किए गये प्रशिक्षण गतिविधियों का सारांश प्रस्तुत करें;
  • समुदाय के परियोजनाओं को मुख्य योगदान देने वालों के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत करें.

सामुदायिक विकास अधिकारी (जिला समन्वयक):

  • परियोजना के प्रगति के रेपॉर्टों का एक सारांश मासिक तौर पर राष्ट्रीय कार्यालय को प्रस्तुत करें.

राष्ट्रीय कार्यालय:

राष्ट्रीय समन्वयक:

  • राष्ट्रीय संचालन समिति, मंत्रालय और दाताओं को देश में परियोजनाओं के प्रगति रिपोर्ट छह महीने में एक बार प्रस्तुत करें;
  • परियोजना की गतिविधियों और परिणामों का अद्यतन तैयार करें और इसकी प्रतिलिपि हर जिले को प्रस्तुत करें, और वे इस रिपोर्ट का उप-काउंटी और गाँवों में प्रसार करेंगे.
  • परियोजना की योजना के गुण और कमज़ोरियों के बारे में स्वॉट (बाल, कमज़ोरी, अवसर, ख़तरा) रिपोर्ट साल में कम से कम दो बार प्रस्तुत करें. कार्यान्वयन के अच्छे और बुरे अनुभवों को शामिल करें. इसे 6-महीने के रिपोर्ट में शामिल करें;
  • जब भी ऐसे अध्ययन करें, सर्वेक्षण और गुणात्मक पूछताछ के अनुसंधान का संकलन और प्रसार करें.
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रिपोर्ट लेखन की कार्यशाला:


रिपोर्ट लेखन की कार्यशाला

© कॉपीराइट १९६७, १९८७, २००७ फिल बार्टले
वेबडिजाईनर लुर्ड्स सदा
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आखरी अपडेट: २०.०७.२०११

 मुख्य पृष्ट

 निरीक्षण और मूल्यांकन