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सार्वजनिक संवाद

सार्वजनिक सभा का संचालन कैसे कर

के द्वारा फिल बार्टले, पीएच.डी.

translated by Shilpa Sharma


शिक्षण हेन्ड्आऊट

एक समाज सेवक के पास समाज के लोगो से संवाद करने के गुण होना आवश्यक है

अभिज्ञता बढ़ाने के लिये और समाज के निर्माण, दोनो के लिये आपका मुख्य औजार सार्वजनिक सभा है और इसमे चर्चा आपकी प्रमुख मुखाकृति है.

यहा बहुत जरुरी है के पूरी तरह से समाज सेवक के लक्ष्यो के बारे मे जानकार और परिचित रहे, जैसे के उपर दर्शाया गया है, मुख्य सिद्धान्तो को भी अच्छी तरह से जानना जरुरी है, जैसे दिखाया गया है मुख्य शब्द.

और इससे ज्यादा, व्याख्याओ को रटे नहि, इन सब विचारो का अर्थ वैसेहि निकालें जैसे आप उनको समझते है, और उनपर बहस करें अपनी जर्नल मे और अपने सहयोगियो के साथ.

एक पाद्री कि तरह उपदेश मत दो, एक नेता कि तरह भाषण मत दो, एक प्रोफेसर कि तरह व्याख्यान मत दो, किसी पर उंगली मत उठाये, किसीको डांट ना लगाये ओर आदेश भी ना दें. सरलीकरण कर. सवाल पूंछें. मार्ग दर्शन करें.

आपका आदर्श ग्रीस के मशहूर शिक्षक सोक्रेटेस होने चाहिये, जो हमेशा सवाल पूंछ और कभी जवाब ना बतल कर सिखाते थे, वह एक महान सुकारक थे, जो लोगो का मर्गदर्शन करते थे ताकि वह खुद सोच सकें (विश्लेशण और अवलोकन कर सकें ).

शांत और जानकार प्रतीत हो. सभ्यो से सवाल उभारे.

ख़ास तौर पर जो लोग चुप रेहते है और शरमाते है उनसे उनकि राय पूछिये. जो लोग आत्मविश्वासी औरे प्रबल है उनको चर्चा का नियंत्रण करने से रोकें.

इन सार्वजनिक सभाओ मे आपको प्रस्तुत करना होगा "उन्माद" का सत्र, जो आप दोबारा प्रबंधकारिणी सभा कि नियोजना सत्र मे इस्तमाल करेंगे. सभ्यो को समझाये के अलग अलग सत्रो के लिये अलग अलग नियम होते है. एक खुला संवाद, जहा आप मार्गदर्शन देकर सवालो को प्रोत्साहन देते है और सरलीकरण करते है, वह बहस और वादविवाद को संभव बनाता है, "उन्माद" यह नहि कर सकता.

जोर दिजिये के उन्माद मे बहस, वाक् युद् या आलोचना नहि होती. आप सभ्यो से सुझाव पूंछेंगे और उन्हे एक काले बोर्ड पे लिखेंगे, सब सुझाव लिखें चाहे वह कितने भी अनाड़ी हो, बाद मे इस सुझावो कि सूची को प्राथमिकता दे. "उन्माद" सत्र बहुत ज्यादा संरचित और केंद्रित होता है और सभ्यो को इसके नियमो को समझना होगा और इसमे कैसे हिस्सा लिया जाय यह सिख्नना होगा.

समाजिक समूह को कभी भी यह ना बताये के आप क्या सोचते है या उनहे क्या करना चाहिये. आप शायद ये करना चाहेंगे क्योकि आपका लक्ष्य है उनका अधिकारिकरण, उदासीनता, अज्ञानता, निर्भरता, बीमारी और बेईमानी से लडना (क्योकि यहि सब गरीबी के कारण है).

मगर आपको उनको मदद करनी होगी ताकि उन्हे अपनी समझ मिले और वह अपने निर्णय खुद ले सकें. अगर आप लोगो को शक्तिमान और बलवान बनाना चाहते है तो आपको सरलीकरण का रास्ता अपनाना होगा (व्याख्यान और उपदेश से दूर रहें).

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समाजिक सभा:


समाजिक सभा:

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© कॉपीराइट १९६७, १९८७, २००७ फिल बार्टले
वेबडिजाईनर लुर्ड्स सदा
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आखरी अपडेट: १९.०८.२०११

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