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समाज की व्यवस्थ



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अधिकारी समिति की स्थापना (CIC)

समाज की कार्य-कर्ता समिति स्थापित करना

के द्वारा फिल बार्टले, पीएच.डी.

translated by Parveen Rattan


प्रशिक्षणलेख

समाज को स्वयं अपनी योजनायें पूरी करने का सामर्थ्य देने के लिये ज़रूरी है कि एक अधिकारी समिति का चयन हो. इस समिति के सदस्य खुद समाज को ही चुनने चाहिये. पूरे समाज को सहज ग्यान होना चाहिये कि वह ऐसे सदस्य चुनें जो विश्वास-योग्य हों और अपना उत्तर्दायित्व भली-भांति निभा सकें. ध्यान रहे आपका कार्य उनके चुनाव को सुगम करना है, उनके लिये चुनाव नही करना है

अधिकारी समिति का चुनाव समस्त समाज की सहमति से होना चाहिये ─ ना कि कुछ लोगों या किसी एक गुट की मर्जी से. (इसी लिये एकाई संगठन बहुत ज़रूरी है, देखिये एकाई संगठन). अधिकारी समाज का ही हिस्सा है, और उनका उत्तर्दायित्व समाज की ओर है

समाज सेवक की भूमिका में आपको यह बात सभी को पूरी तरह समझा देनी है. इसके लिये आपको अपनी पूरी शक्ति लगानी है. उचित होगा कि आप बात को दोहरा कर, अलग अलग रूप में पेश करें, ताकि हर एक दल, हर एक जुट इस बात को समझ ले.

इस चरण में आपको अपने अनुमानों को भी फिर एक बार जांच लेना चाहिये. जैसे कोषाध्यक्श का चुनाव करते समय कई अनुमान मन में हो सकते हैं. खास रूप से ग्रामीण इलाकों में. जहां पढे लिखे लोग कम हों, एक विचार हो सकता है कि सबसे पढा-लिखा व्यक्ति ही इस भूमिका के लिये उप्युक्त है.

यह किसी विद्यालय का शिक्षक हो सकता है. किन्तु हमारे अनुभव में शिक्षक अक्सर किसी दूर जगह से होते हैं, कम वेतन पाते हैं, समाज की ओर उनका कोई खास लगाव नही होता, और कभी कभी तो समाज की सम्पति को गबन भी कर जाते हैं.

क्या कोषाध्यक्श का पढा लिखा होना ज़रुरी है? यह सिर्फ़ एक अनुमान है. ..गिनती करने के लिये पढना लिखना ज़रुरी नही है. कोई दादी मां की उम्र की औरत, जो अनपढ है, किन्तु जिसका समाज की ओर लगाव है, और जो विश्ववस्नीय है, भी यह कार्य कर सकती है.

वह अपने पढे-लिखे पडोसियों और अपने रिश्तेदारों की मदद से बही-खाते तैयार कर सकती है. इससे हर एक खर्चे की चर्चा होगी और सब बातें एकदम साफ़ होंगी. कोषाध्यक्श की ज़िम्मेदारी है कि धन का सही उपयोग हो; ज़रुरी नही है कि बही खाते वह खुद बनाये.

तुम्हारा कार्य है कि पूरा समाज मिल कर अधिकारी समिति बनाये. (देखिये "व्यवस्था का प्रशिक्षण"). अधिकारियों का चयन बिल्कुल पारदर्शी और सामूहिक (प्रजातान्त्रिक) रुप से होना चाहिये (यह दोनों मुख्य शब्द देखिये: पारदर्शी और सामूहिक प्रजातान्त्रिक).

यह प्रक्रिया समाज के सदस्यों के लिये उचित और उनकी संस्क्रिति से संगत होनी चाहिये. (इसी लिए शुरु में ही बताया गया था पहले अंश में, कि आपको समाज के विषेश लक्षनों की अत्यधिक जानकारी प्राप्त करनी चाहिये).

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सामाजिक बैठक; प्राथमिकतायें देना:


सामाजिक बैठक; प्राथमिकतायें देना

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आखरी अपडेट: ०५.०८.२०११

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