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'العربية / al-ʿarabīyah |
प्रोत्साहन के तरीकेआलोचना को सहयोगी दिशा-दर्शन में बदलनाके द्वारा फिल बार्टले, पीएच.डी.
translated by Shilpa Sharmaप्रबन्धकोंके लियेसंदर्भकर्मचारी (संचालकों के लिये), एवं समाज के सद्स्य (समाजसेवकों के लिये) दोनों को ही बराबर प्रोत्साहन की ज़रूरत है. आप आलोचना किस तरह करते हैं, इस पर बहुत निर्भर है कि कोई हताश न होएक महत्वपूर्ण बात याद रखें कि सफ़लता (अपने लक्ष्य तक पंहुचने के लिये) की राह में सबसे बढ़ी रुकावट है हताश होना. जब आपके कर्मचारी या समाज के सद्स्य हिम्मत हारते हैं तो अक्सर काम की गति धीमी हो जाती है (या रुक भी जाती है); हम ऐसा होना रोक सकते हैं. अनुभव से हमें मालूम है कि हिम्मत हारने का मुख्य कारण है आलोचना. आलोचना की कभी भी ज़रूरत नही रहती, और अक्सर इसका नतीजा नकारात्मक ही होता है. संचालन प्रशिक्षण में एक कहावत है जो एक महत्वपूर्ण सूत्र को जताती है, " सुधरने के लिये यह ज़रूरी नही कि आप पहले खराब हों.." इसका मतलब है कि कोई भी सुधर सकता है, अगर उसे दिखाया जाय कैसे, और बिना उसे यह मह्सूस कराये कि वह बेकार है. हम सब चाह्ते हैं कि हमारे कर्मचारी, हमारे सद्स्य, हमारे सहयोगी सब अपने कार्य में प्रगति करें. हमारे लिये ज़रूरी है कि हम अपने लोगों का उत्साह बनाये रखें और बिना उनकी गलतियों पर ज़ोर दिये उन्हें सुधरने का अवसर दें. जब हम किसी को लिख कर उसके काम की जानकारी देते हैं तो इस सिद्धान्त का कई तरह से उपयोग हो सकता है. एक तरीका है कि एक सूची बनायें जिसमें उन सब बातों का उल्लेख हो जो कि जब लिख कर जानकारी दी जाय तो ध्यान में रखनी चाहिये: इसमें पांच बातें ज़रूरी हैं. अगर हम किसी को पहले बतायें कि उसने क्या सही किया है तो वह सुधार के लिये हमारे सुझाव अधिक ध्यान से लेगा. हमारे लिये ज़रूरी है कि हम अपने लोगों का उत्साह बनाये रखें और बिना उनकी गलतियों पर ज़ोर दिये उन्हें सुधरने का अवसर दें.
जब कोई समाजसेवक या कर्मचारी या हमारा साथी कुछ ऐसा करता है जिससे हम सहमत नही है, और जो दोबारा नहीं होना चाहिये, हम तब भी कुछ कर सकते हैं. मेरी असभ्य भाषा को नज़रन्दाज़ करें, पर तब हम मेरी असभ्य भाषा को नज़रन्दाज़ करें, पर तब हम (जैसा प्रशिक्षण के दौरान कहते हैं) बहुत ही गंदा और बेकार "(शिट)!सैंड्विच दे सकते हैं." (आपको शायद यह वर्णन अच्छा न लगे, पर अब आपको यह याद रहेगा). ऐसे सैंड्विच की खासियत है कि इसके बीच में जो है वह हमें बिल्कुल भी पसंद नहीं है, पर इसके दोनों तरफ़ डबलरोटी है (जो हमें अच्छी लगती है). यह ऐसे होता है: (a) सच्ची प्रशंसा करें जिसमे सराहनीय बातों को उभारें, (b) सुधार के सुझाव दें और बतायें क्यों ऐसा करना चाहिये (c) और अंत में फिर प्रशंसा करें. इससे आप पायेंगे कि आलोचना सुनने वाले को कटु बातें, जो कि (b) है, मानने की अधिक संभावना होगी अगर वह मीठी बातों, (यानी ’a’ or’ c’) के बीच में सैंड्विच हों ." ––»«––प्रशंसा करें, योगदान मानें, और दिशा दिखायें; आलोचना न करें: अगर
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