Tweet अनुवाद:
'العربية / al-ʿarabīyah |
सामाजिक अधिकारनिकटता को मजबूत बनती हैके द्वारा फिल बार्टले, पीएच.डी.
अनुवाद चेतन अग्रवाल के द्वाराप्रशिक्षण पत्रतर्क वितर्क के पीछे कार्य-प्रणालीसमाज को अधिकार क्यूँ? जब हम शब्दों का उपयोग करते हैं, जिनका अभिप्राय हमे पता नही है और जिन शब्दों का मतलब पता नही है उनको व्यक्त करते हैं. जिन शब्दों का हम उपयोग करते हैं उनके साथ हमारा मनोभाव तथा कल्पना जुड़ी रहती है . हम उदाहरण में "गरीबी" शब्द को लेते हैं. सहयोगी उद्योग में (विकास में सहयोगी ), हम अक्सर अपनेआप को "गरीबी" के खिलाफ होने वाले युद्ध में एक सिपाही मानते हैं. गरीबी वो है जिसके खिलाफ हम लड़ना चाहते हैं. लेकिन गरीबी का उल्टा क्या है ? सम्पत्तिपर हम ये नही स्वीकार करते के हम " सम्पति के लिए होने वाले युद्ध में सिपाही हैं" ,क्यूँ ? क्यूंकि गरीबी और सम्पति प्रावैधिक रूप से उल्टे हैं, यहाँ बहुत सी कल्पना, मनोभाव और छुपे हुए मूल्य इन दो शब्दों से जुड़े हुए हैं, और दोनों शब्द साथ साथ बोले जाते हैं उनके खुले मतलब के लिए. कभी कभी ये नैतिक रूप से सही है गरीबों की मदद लिए, पर हम अपने सचेत विचारों में ये नही सोचते के हमे उनकी मदद करनी चहिये सम्पति प्राप्त कराने में . मापदंड जो आय उत्पत्ति पर है ज्यादा अभ्मित हैं जब उनको "आय उत्पत्ति" का नाम दिया जाए न की "सम्पति उत्पत्ति" , जबकि "सम्पति" ज्यादा विशुद्ध अर्थशास्त्रीय पद है.(जहाँ विषयाश्रित है सम्पति उत्पति, केवल पैसा हस्तांतरित करने की बजाय). पद "सम्पति" में छुपा हुआ भावुक सामान है जिससे लगता है की इसका अर्थ है विशाल धनाढ्यता गरीबी एक समस्या है क्यूंकि यहाँ अंतर है सम्पति में; कुछ के पास बाकियों से ज्यादा है. अगर असल बराबरी सम्भव थी (और ये नही है, तुम शायद खुस होगे ये जान कर) , तो गरीबी कोई समस्या नही होती . "सम्पति" के नजदीक से मिले हुए हैं "शक्ति" और "क्षमता". संप्रदायों (और अलग-अलग) में इनमें से एक सबसे ज्यादा है, ज्यादातर तीनों ही काफी होते हैं, और इसका बिल्कुल उल्टा (वो जिनके पास कम सम्पति होती है, उनके पास अक्सर कम "शक्ति" और "क्षमता" होती है). तो जब हम कम आय वाले संप्रदायों की परिस्थितियों को सुधारना चाहते हैं, गरीब संप्रदाय, अलग संप्रदाय, हमे चाहते हैं की उनके पास ज्यादा सम्पति, शक्ति और क्षमता हो पर जरुरत से ज्यादा नही. ये एक अच्छी बात (हम सोचते हैं) है, गरीबों की मदद करना, पर (हमारी छुपी हुई इच्छा) हम नही चाहते की वो अमीर हो, और कम से कम हम ये तो नही चाहते की वो हमारे बराबर अमीर हो. हम ये मानना भी नही चाहते हैं एक और भावनाओं से लदा हुआ शब्द है जिसे हम आजकल इस्तेमाल करते हैं "लोकतंत्र". हम सब इसके पक्ष में हैं पर ऊपरी तौर से पर क्या हम हैं? जब हम "लोकतंत्र" के शाब्दिक अर्थ को सावधानी से देखते हैं, ये बदल जाता है जब हम हमेशा इसके पक्ष में नही होते हैं, ख़ास तौर से तब जब इसका अर्थ किसी को अपनी संबंधित शक्ति देनी हो( या सम्पति या क्षमता) . बहुत से लोग जो ये कहते हैं की वो लोकतंत्र के पक्ष में हैं, असल में वो उन संस्थाओं के पक्ष में होते हैं जो लोगों को किसी उम्मीदवार को मत देने का अधिकार देते हैं, शक्ति को मिलाते हुए वो जिनके पास ज्यादातर मत होते हैं, उनको जनता का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार होता है. यही "प्रतिनिधित्व लोकतंत्र" है. ये एक बिल्कुल विरोधाभासी पद है. "लोकतंत्र" का अर्थ है "लोगों की शक्ति" (लोक= लोग , तंत्र= शक्ति). प्रतिनिधि चुनने की प्रक्रिया लोगों से शक्ति लेकर उस प्रतिनिधि को देदेती ही जिसको मताधिकार से चुना गया है जब हम कहते हैं की हम चाहते हैं शक्ति देना एक समाज को तो, हमारा अर्थ होता है की लोकतन्त्र, हम चाहते हैं प्रजातंत्रीकरण इसका ये अर्थ बिलकुल नहीं है की हम चाहते हैं की वो मतों के द्वारा प्रतिनिधि चुने (जैसा की ब्रिटेन और अमेरिका की राजनीती में है). इसका अर्थ तो ये है की हम जनता(किसी एक को नहीं) को सारे अधिकार दें. हम ऐसे मार्ग खोजना चाहते हैं जिससे समाज के पास ज्यादा शक्ति, पैसा और सामर्थ्य हो. समाज हमारे सानिध्य क योग्य है, उसके बाद वो जिनके पास कम मात्रा में शक्ति,पैसा और क्षमता है और हमे अपनी छुपी हुई कामनाओं से सावधान रहना चाहिए जो उनको गरीब, शक्तिहीन और सामर्थ्यहीन रखना चाहती हैं, इसके लिए हमे उनको लगातार दान देना चाहिए. अगर हम सचमुच में उनको शक्ति देना चाहते हैं, तो हमे ये जरूर करना चाहिए जिससे वो हमारे दान के काबिल बने, जिससे वो आत्मनिर्भर बने, जिससे वो अपना विकास कर सके बिना हमारी मदद के. हमारी खुद की पैसा और शक्ति पाने की चाहत बिलकुल साधारण और प्राकृतिक है. हमे उसके लिए शर्मिंदा नहीं होना चाहिए . हमे कम से कम ये तो अपने दिमाग में रखना चाहिए की हमें उन लोगों की मदद करनी चाहिए जो गरीब और शक्तिहीन हैं, जो की हम सही में नहीं करते हैं, और असल में हम उनको गरीब और शक्तिहीन रखना चाहते हैं जिससे वो हमारे उपर निर्भेर रहें प्रशिक्षण के दस्तावेज जो इस वेबसाइट पर हैं उनका सबसे अहम् काम समाज को आगे बढ़ाना और तकनीकों से प्रमुख बनाना है न की सिद्धांतों और वैचारिकी पर ध्यान देना. इन उपायों के प्रभावित प्रयोग के लिए, फिर भी, हमको उनके पीछे के कारणों के बारे में सचेत रहना चाहिए, कौनसे सिद्धांत लागू होते हैं, और वो कितने दिन तक असर रखते हैं. सबसे महत्वपूर्ण, हमको जो भी हम कर रहे हैं उसके पीछे का उद्देश्य पता रहना चाहिए.. कसरत के जरिये मजबूत होना: इस वेब साईट के जरिये कई बार, तुमको शक्तिशाली होने के लिए सलाह दी जाती है, बजाय उनके की तुमको निर्भर होना सिखाया जाये. कई बार हम परोपकार का रास्ता "नाम के लिए " प्रयोग करते हैं निर्भरता सहायता पैदा करने के जरिये पैदा करती है. परोपकार बुरा नहीं है, जब तक की ये उदारता पर निर्भर है, एक मान्यता जिसको हम पूरी तरह से सहायता करते हैं. परोपकार तरीके से हमारा मतलब है, फिर भी, एक तरीका जो गरीबों की सहायता करने का और निशक्त लोगों को स्वावलंबी नहीं बनाता है. उपहार जो पाने वाले को देने वाले पर ज्यादा निर्भर बनाता है, एक उदारता का तरीका नहीं है. वो गरीबी को सतत बनाये रखते हैं. वो देने वाले को हमेशा देने की स्थिति में बनाये रखते हैं. अगर तुम किसी व्यक्ति और समूह को जरूरत में कुछ देते हो, तुम अंशतः उनकी जरूरतें कम कर रहे हो. तुम जानते हो कि वो कब फिर से जरूरत में आएंगे, वो फिर से वहां जायेंगे जहाँ से उनको सहायता मिलती है. ये बुरा नहीं है; ये मानवीय प्रकृति है, या किसी भी प्राणी का जीवित रहने कि प्रकृति है. अगर तुम उस व्यक्ति और समूह कि स्वावलंबी बनाना चाहते हो, तुमको तय करना है कि उनकी सबसे पहले क्या चाहिए. तब तुमको उनके लिए काम या संघर्ष करने के तरीके ढूँढने हैं, जिससे कि जब उनको वोह दुबारा चाहिए, तब वोह तुम्हारे पास मांगने नहीं आएंगे. अगर उनको कुछ मुफ्त में मिलता है, उनको जानने चाहिए कि उस हर पैसे कि कीमत क्या होती है. कई बार इस वेब साईट पर, तुम शक्तिकरण के तरीकों की व्याख्या खेल रूप में देखते हो. एक प्रशिक्षक अपने एथलीट्स के लिए दंड बैठक नहीं करता है और ना ही प्रशिक्षक बास्केट बाल के खिलाडी के लिए बास्केट बाल को जाले में डालता है. व्यक्ति जिसे मजबूत बनना है उसे ही काम करना होता है. दूसरा तरीका भौतिक चिकित्सा में मिलता है. अगर तुम अपने आप को चोट पहुंचाते हो और अपनी भुजा का प्रयोग नहीं कर पते हो, तुम भौतिक चिकित्सक के पास जाते हो. भौतिक चिकित्सक तुम्हारी भुजा को उस तरह से हिला सकता है जैसा तुम चाहते हो, लेकिन केवल तुमको ये दिखाने के लिए कैसे व्यायाम करना चाहिए. तुमको खुद इसे हिलाना होगा, और वो एक दर्द भरा और कष्ट भरा तरीका है. तुमको इसे अच्छे तरीके से करना चाहिए. और नतीजा है की तुम अपनी शक्ति वापस प्राप्त करोगे, और तुमको भौतिक चिकित्सक की जरूरत नहीं होगी. अगर प्रशिक्षक एथलीट के लिए दंड बैठक करे तो एथलीट मजबूत नहीं हो सकता है. अगर भौतिक चिकित्सक मरीज के लिए व्यायाम करे तो मरीज मजबूत नहीं हो सकता है. अगर समाज सेवक समाज के लिए सेवा करते रहे तो समाज हमेशा निर्भर बना रहता है और गरीबी स्थायी हो जाती है. कमजोरी. शक्तिकरण जरिया समाज विकास के लिए वो माध्यम है जो पहले ये पता लगाती है की समाज को क्या चाहिए( जैसा कि दिमागी निर्णय के बाद हुआ) और तब ये बताती है कि समाज के सदस्यों को वो कैसे प्राप्त करना है. जो वो चाहते हैं वो प्राप्त करना अभ्यास है जो उनको मजबूत करता है. एक समुदाय को शक्तिशाली बनाने के लिए क्यूँ चुनें? अगर समुदाय को इसकी शक्ति, धन और क्षमता बढ़ाने के लिए यंत्रीकरण करना है तो तुम एक विशेष समुदाय को क्यूँ चुनो, दूसरे को क्यूँ नहीं? संसार एक अच्छी जगह नहीं है. यहाँ असमानताएं हैं. यहाँ झगड़े हैं. यहाँ लोगों द्वारा मानवता के लिए अमानवीय व्यवहार हैं. जिंदगी आसान नहीं है. हमें जीवन मैं कुछ उद्देश्य चाहिए. जिंदगी के गलत तथ्यों को सही करना है; गरीब लोगों को स्वतंत्र और गरीबी से बचाने के लिए सहायता करनी है, कुछ ऐसे उद्देश्य हैं. कुछ लोगों का मकसद केवल खुद के लिए अमीर होना है, लेकिन ये बहुत छिछला और अपूर्ण उद्देश्य है(जितना ज्यादा पैसा बढ़ता है उतनी ही इच्छाएं बढती जाती हैं, कभी संतोष नहीं होता). इसका कोई प्रमाण नहीं है, और ना ही कोई आशा, कि संसार आसान होगा, गरीबी हट जायेगी. लेकिन फिर भी इसके लिए भागते रहना अपने आप में एक पुरस्कार है. इसलिए हमको एक धनी समुदाय को यंत्रीकरण और अपेक्षाकृत अधिक धनवान बनाने में खर्च करनी चाहिए, लेकिन वो एक गरीब समुदाय की सहायता करने की तुलना में कम लाभदायक है. इस वेब साइट पर दिए गए तरीके गरीब और अमीर दोनों समुदायों पर लागू हो सकते है. एक गरीब समुदाय के साथ काम करना तुम्हारे जीवन को ज्यादा उद्देश्य प्रदान कर सकता है. एक समुदाय जहां तुम पैदा हुए, को चुनना बहुत आसान है लेकिन वो कम असरदायक है. इस वेब साइट पर दिए गए परिपत्र मुख्यतया कम आय, कम क्षमता, और बुरी तरह से व्यवस्थित समुदायों पर लागू होते हैं. उनको लिखने के पीछे एक उद्देश्य है; उनको इन्टरनेट पर रखना पैसा कमाने के लिए नहीं है. यह गरीबी से लड़ने के लिए एक हथियार(टुकड़ी, तोपखाना) है. कुछ लोग बोलते हैं, "दान पुण्य घर से शुरू होना चाहिए." वो इस बात को मुख्यतया अपनी स्थानीय समुदाय के गरीब लोगों को देने के उद्देश्य से बोलते हैं(जैसा की हम जानते हैं कि ये उनको गरीबी को दूर नहीं कर सकता है). दुर्भाग्य से ऐसे लोग ना केवल ये मानते हैं कि ये घर से शुरू होना चाहिए बल्कि ये भी ये घर पर ही ख़त्म होना चाहिए. क्या सूक्ष्म और स्वार्थी प्रवृत्ति. सारे संसार में लोग हैं. हम सब लोग एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. हम एक बहुत बड़ी मानवीय परिवार हैं. सुदूर गरीब समुदायों में रह रहे लोग हमारे भाई और बहिन हैं. अगर हम उनकी सहायता कर सकते हैं तो हमारे जीवन में एक मकसद है. अगर हम उनकी सहायता करते है, हम उनको हमारी दया से स्वतंत्र बनाने पर ध्यान देते हैं, तब हम उनको भविष्य में सहायता कर सकते हैं. अगर हमारे पास ये विकल्प है कि हम अपना समुदाय, जिसको यंत्रीकरण करने वाले हैं, खुद चुन सकें तो, हमें सबसे कम आय वाले समुदाय, सबसे कम शक्ति और क्षमता वाले समाज को चुनना चाहिए क्यूँ कि ये ज्यादा अर्थ पूर्ण(और इसका ज्यादा प्रभाव) है. सशक्तिकरण सामाजिक पक्रिया की तरह: इस साइट में कई स्थानों पर, हमने बोला है कि गरीबी एक सामाजिक समस्या है, और धन और संसाधनों कि व्यक्तिगत समस्या से विरोधाभाषित है. हमको अपने विश्लेषण, अपने निरीक्षण में सामाजिक और व्यक्तिगत में अंतर साफ़ करना होगा. एक समुदाय एक सामाजिक संस्था है, न की व्यक्ति विशेष. ये व्यक्तियों के समूह से अलग है. यह एक सत्व है जिसको कई बार "सुपर ओरगेनिक कहा जाता है," जो कि इसके लोगों को उंचा बढ़ाती है जो इसे बनाते हैं. व्यक्तिविशेष को देखना और उससे बातें करना सरल है. एक "समुदाय," वरन,एक वैज्ञानिक ढांचा है, एक अणु या सौर मंडल की तरह, जिसको कि एक बार में एक ही तरीके से देखा जा सकता है, लेकिन कभी सम्पूर्ण नहीं देख सकते. (तुम सात आदमियों और एक हाथी की कहानी जानते हो). एक समुदाय एक व्यक्ति की तरह व्यवहार नहीं करता है. कई बार हम समुदाय को हम मानवीकरण(इससे मानव की तरह सोचते और बातें करते है) का रूप देते हैं लेकिन ये एक समाकिज अमीबा की तरह है न की व्यक्ति विशेष की तरह. हम व्यक्ति को मजबूत बना सकते हैं(शारीरिक, मानसिक) और हम समुदाय को मजबूत बना सकते हैं(क्षमता, संपत्ति, शक्ति); ये समान नहीं हैं. यंत्रक की तरह हमारे काम में, हमें समुदाय के बारे में पूर्वानुमान और धारणाएं लगाने से बचना चाहिए क्यूंकि समुदाय व्यक्ति नहीं है. उस तरीके की मानसिकता में होना बहुत आसान है लेकिन गलत भी. यंत्रक की तरह तुम व्यक्ति को देख सकते हो, उसके साथ काम कर सकते हो, तुम्हारा निशाना समुदाय है, एक सामाजिक संस्थ, जिसे तुम उसके पूरे रूप में नहीं देख सकते हो, और जिसके साथ तुम घुमा फिर कर काम करना होगा. तो समुदाय को सशक्तिकरण करने में सफल होने के लिए, तुमको सामाजिक संस्था की सामाजिक प्रकृति जानना जरूरी है. और व्यक्ति विशेषों के बीच सम्बन्ध, और समुदाय और समाज में सम्बन्ध जानना भी आवश्यक है. जब ये वेब साइट सिद्धांत और विचारधाराओं को कम से कम करने का प्रयास करती है, और प्रायोगिक प्रदर्शक, सिद्धांत और तकनीकों पर जोर देती है, ये तुमको ज्यादा असरदार काम करने के लिए सामाजिक विज्ञान जानने के लिए प्रोत्साहित करती है, समुदाय को प्रकृति को सामाजिक संस्था की तरह लेना. याद रखो, सामाजिक विज्ञान रसायन और खगोल विद्या की तरह छोटी और सीधी नहीं, क्यूँ कि समाज को प्रभावित करने वाले तत्व बहुत सरे हैं. ये और कठिन हो जाती है क्यूंकि एक सामाजिक संस्था, एक समुदाय, एक एन.जी.ओ. कि तरह होने से तुम इसको सीधे नहीं देख सकते हो. तथापि, तुमको अपने आप को सामाजिक नजरिये के बारे में सीखने लिए तैयार करना होगा, और तुमको सामाजिक तत्व जो निर्देशकों से दिखाई देते हैं, को समझने की विद्या सीखनी होगी, जैसे व्यक्ति विशेष का व्यवहार, सामाजिक और आर्थिक सांख्यिकी, कुछ घटनाएँ, और जन सांख्यिकीय डाटा. इस पर तुम्हारी सहायता करने के लिए, यहाँ २ अनुच्छेद हैं जो शक्तिकरण के १६ वे अध्याय हैं. एक मुख्यतया एक संस्था के क्षमता विकास पर जोर देता है( जैसे कि एन.जी.ओ. या सी.बी.ओ.), और दूसरा मुख्यतया समुदाय कि क्षमता के कम या ज्यादा होने को मापता है. ये १६ तत्व, जिनमे से कई व्यक्ति के चरित्र के अलावा देखे नहीं जा सकते, तुमको शक्ति प्रक्रिया को सामाजिक प्रक्रिया की तरह देखने में मदद करेंगे. भागीदारी क्यूँ? समुदाय को शक्तिशाली बनाना वो नहीं है जो तुम समुदाय के साथ कर सकते हों. क्यूंकि शक्तिकरण, क्षमता विकास की प्रक्रिया, एक सामाजिक प्रक्रिया है, यह वो है जिससे खुद एक समुदाय को होकर गुजरना होगा. यहाँ तक कि समुदाय के सदस्य, एक व्यक्ति विशेष कि तरह, समुदाय को विकास नहीं कर सकते, यह एक पूर्ण समुदाय के विकास की प्रक्रिया है, आतंरिक रूप से एक ओर्गेज्म की तरह( सुपर ओर्गेनिज्म या सामाजिक ओर्गेनिज्म). एक दवाब भरा विकास, या सामाजिक परिवर्तन पर दवाब सामाजिक अभियांत्रिकी कहलाता है, और ये अपना असर भी नहीं दिखाता है, बल्कि वो असर आते हैं जो तुम्हारे इच्छित परिणामों से बहुत दूर हैं. हमारा सिद्धांत समुदाय को निर्णय लेने के लिए उकसाना है. हम उसको एक प्रोजेक्ट के नाम से जानते हैं. और एक प्रोजेक्ट करने से , समुदाय शक्तिशाली होता है, ज्यादा क्षमता विकसित करता है. जो ये निर्णय लेता है वो इसको मजबूत करने के लिए अभ्यास होता है. जैसा कि हमने ऊपर पढ़ा कि लोगों को मजबूत होने के लिए संघर्ष करना चाहिए. एक समुदाय यंत्रक के लिए सबसे पहले तरिका है कि उसे पहले ये पता लगाना है कि समुदाय को चाहिए क्या, और तब उसको प्राप्त करने के लिए संघर्ष करने में मदद करना. एक बाहरी व्यक्ति एक समुदाय क्या चाहता है, निर्णय नहीं ले सकता. समुदाय के सदस्यों को सहमत होना होगा कि वो सब लोग क्या चाहते हैं. ये उन कई कारणों में से एक जो बताता है कि उनको निर्णय लेने में भाग क्यूँ लेना है; ये भागीदारी ये पता लगाने के लिए कि सब क्या चाहते हैं, बहुत जरूरी है. गहरा अध्ययन उन बहुत से तकनीकों में से एक है जो इस साइट पर सिखाया गया है जो तुनको उनकी प्राथमिकता जानने में मदद करेगा. जब ये सही तरीके से किया जाता है तो ये सामुदायिक इच्छा को प्राप्त करता है, न कि कुछ लोगों कि इच्छा. उसके बाद है रणनीति का निर्णय, या कि उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए किस रास्ते का अनुसरण करना है. फिर से, एक रणनीति चुनने के लिए बहुत से तरीके हैं, लेकिन ये समुदाय को सदस्यों को एक समूह के रूप में प्रस्तुत करे, वही मान्य है. उनकी भागेदारी ही सफलता का मंत्र है. प्रोजेक्ट कोई भी हो, इसके कुछ इनपुट और आउटपुट होंगे. इनपुट प्रोजेक्ट के संसाधन हैं. आउटपुट इसके लक्ष्य हैं. जब कुछ इनपुट बाहरी लोगों से आ सकते हैं, जैसे कि सरकार, लेकिन समुदाय खुद और इसके सदस्य भी कुछ बलिदान करेंगे. इसी प्रकार से निर्णय लेने मैं भी भागीदारी होनी चाहिए, हमारा सुझाव है कि वो भी संसाधनों की तरह योगदान दें. नियंत्रण किसी भी प्रोजेक्ट का अति आवश्यक तत्व है. समुदाय को भी प्रोजेक्ट नियंत्रण में भागीदारी करनी चाहिए. सदस्यों को ये केवल बाहर के लोगों(दाता और लागू करने वालों) पर नहीं छोड़ देना चाहिए कि सब कुछ कैसे जा रहा है. प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए, समुदाय के सदस्यों को कुछ निपुणताओं का पता लगाना होगा जो उनको नहीं आती हैं. वो खाता बही, सूचना कारन, और तकनीक कौशल हो सकते हैं. अगर तुम उनको ये कौशल सिखाने में मदद कर सकते हो, हम तुमको ये ट्रेनिंग का सुझाव देते हैं. लोग सुनने और देखने कि बजाय करने से ज्यादा सीखते हैं. भागीदारी वाले प्रयोग शक्तिकरण की प्रक्रिया के लिए बहुत आवश्यक हैं. भागीदारी मजबूती प्रदान करती है. राष्ट्रीय विकास: १९५० और १९६० में बहुत सारे देशों से उपनिवेशवाद ख़त्म हुआ. आशाएं बहुत थीं कि गरीबी भी ख़त्म होगी और देश स्वावलंबी और मजबूत होंगे. लेकिन सच्चाई बहुत अलग थी, और हतोत्साहन ने आशा को गरीबी में बदल दिया और गरीब लोगों कि संख्या बढ़ती गयी. इसके कई सरे ऐतिहासिक कारण हैं, नियो उपनिवेशवाद, बहु देशीय कंपनी सम्पूर्ण देश से मजबूत और धनी, निगम संस्कृति का वैश्वीकरण, नेताओ द्वारा ज्ञान और आधुनिकता की कमी और बहुत सारे कारण. गरीबी के . कारणों में सबकी अपनी अपनी मान्यताएं हैं, हमने २ कारण पता लगाए (१) ऐतिहासिक कारण और (२) कारण जो समस्या को जारी रखे हुए हैं. यह एक बहुत प्रायोगिक उद्देश्य है. हम लोग इतिहास में जाकर की हुई गलतियों को सही नहीं कर सकते हैं. हम वर्तमान के कारणों का पता लगा सकते है, और उनको कुछ प्रभावित कर सकते हैं चाहे थोडा ही करें. इस वेब साइट पर दिया गया पर्शिक्षण प्राथमिकता से समुदाय यंत्रकों पर जोर देता है (उनके व्यवस्थापकों पर, विचारकों पर, आयोजकों पर और प्रशासन पर). जाति अनुच्छेद, में हमने नारा दिया है, "बड़ा सोचो लेकिन काम छोटे स्तर पर करो." वो यहाँ भी लागू होता है. हम कैसे एक स्वतंत्र, स्वावलंबी और मजबूत देश बनाने में योगदान कर सकते हैं? अगर वो देश मजबूत, स्वावलंबी और सक्षम समुदाय रखता है तो वो मजबूत हो जायेगा. तुम एक यंत्रक की तरह, देश के राष्ट्रीय लक्षणों को सीधे तरीके से तुम्हारे काम के द्वारा परिवर्तित नहीं कर सकते हो लेकिन तुम एक या अधिक समुदायों को मजबूत बनाने में योगदान दे सकते हो. और इन नियमों और तकनीकों को दूसरों को सिखाकर, तुम अप्रत्यक्ष रूप से समुदाय को मजबूत बनाने में योगदान कर सकते हो. तुम समर्थ हो सकते हो, विधान सभा को, मंत्रालयों को, नियामकों को प्रभावित करने में जिससे एक ऐसे वातावरण को सहारा मिले जो समुदाय को स्वावलंबी बना सके. जैसे जैसे समुदाय मजबूत होते हैं, वैसे देश भी लाभान्वित होता है. जोसफ मेरी ने लिखा, " प्रत्येक देश समर्थ के हिसाब से सरकार रखता है. अगर तुम जैसे समाज चाहते हो, के लिए काम करते हो, तो तुम समर्थ वाली सरकार पाने के लिए योगदान करते हो. राष्ट्रीय विकास केवल सोचते रहने या केवल चर्चा करने से नहीं होता है. जबकि ये बहुत सारे लोगों, जिनका कुछ लक्ष्य है, के द्वारा सैनकणों और हजारों छोटे, निरंतर बदलावों से होता है. तुम भी उनमें से एक हो सकते हो, और ये वेब साइट तुमको उस कठिन परिश्रम में जुड़ने के लिए महत्वपूर्ण हथियार देती है. सबसे उचित को ढूंढो और उसे आगे बढ़ाओ: एक आशा के साथ भरा हुआ व्यवहार और कोशिश करते रहने कि इच्छा इस काम कि आवश्यकताएं हैं. कोई भी व्यक्ति, समुदाय और समाज पूर्ण नहीं है. हम सब लोग गलती करते हैं. जब भी तुम अपनी ऊर्जा लान्क्षण लगाने में करते हो, तुम केवल गलती पर जोर दोगे लेकिन उसके सुधारने के प्रयासों को छुपाओगे. तुम लोगों से मिलोगे जो वादा करते हैं और असमर्थ होते है, लोग जो सहमति पर अपना विचार नहीं देते, लोग जो झूठ बोलते हैं, धोखा देता हैं, लोग जो अयोग्य हैं, अपरिपक्व और सही नहीं हैं, लोग जो बेईमान हैं और छलने वाले हैं. जब से तुमने जन्म लिया है, किसी ने भी तुमको वादा नहीं किया कि जीवन आसान होगा. ये वैसा है जैसा वो है. इस तरीके के काम में सफल होने के लिए, तुमको एक सकारात्मक व्यवहार चाहिए, और तुमको मानना होगा कि असफलताएं तो अपरिहार्य है, और तुम असफलताओ के बाद भी लगातार काम करते रहोगे. लोगों से सबसे उचित पाने के लिए, तुमको उनकी कमजोरियां और असफलताएं देखनी चाहिए लेकिन उनको नहीं बताना चाहिए, तुमको उनकी मजबूती और उपलब्धियां पता लगानी चाहिए और तुमको उनको बताना भी चाहिए. मजबूतियों पर निर्माण करो न कि कमजोरियों पर. निष्कर्ष: समुदायों को मजबूत बनाने के लिए सहायता क्यूँ? संसार एक अच्छी जगह होगी; गरीबी कम हो जायेगी; ये सोचकर काम करना एक अर्थपूर्ण प्रयास है. विकास के तरीके क्या हैं? दान (वस्तुएं मुफ्त में देना) समुदाय को कमजोर बनाता है. समुदाय मजबूत होंगे जब वो ये जानें कि उनको क्या चाहिए और उसको कैसे प्राप्त करना है. तुमको किन समुदायों को स्वावलंबी बनाने के लिए चुनना है? जो सबसे ज्यादा जरूरत में हों, सबसे गरीब, वो जो सबसे कम क्षमतावान हों, जिसके पास सबसे कम शक्ति है. गरीबी और विकास व्यक्तिगत पर लागू क्यूँ नहीं होतीं हैं? गरीबी एक सामाजिक समस्या है और इसको सामाजिक हल चाहिए. विकास तब तक संभव नहीं है जब तक कि ये पूरे समुदाय को प्रभावित न करे. समुदाय के लोग विकास में भाग क्यूँ लें? उनकी भागीदारी के बिना, कोई विकास संभव नहीं है और कोई भी विकास स्थायी नहीं होगा. राष्ट्रीय विकास के लिए कार्य क्यूँ नहीं? जैसे ही समुदाय मजबूत बनता है, वो राष्ट्रीय विकाह में योगदान करता है. एक यंत्रक कि तरह तुमको समुदाय को मजबूत करने के लिए काम करने हैं, जबकि देश के लिए सीधे काम करना कम प्रायोगिक है. हतोत्साहन, बेईमान लोगों और छली लोगों के बारे में क्या? एक सकारात्मक तरीका ही सामुदायिक काम के लिए जरूरी है; असफलताओं को कबूल करो और उनके पार जाओ; ये मान कर चलो कि सब गलती करते हैं और आलोचनाओं से बचते हुए मजबूती पर काम करो. तुम्हारे काम को बताया न जाये फिर भी सम्माननीय और कीमती है. ––»«––एक कार्यशाला: © कॉपीराइट १९६७, १९८७, २००७ फिल बार्टले
––»«–– |
मुख्य पृष्ठ |
समुदाय शक्तिकरण |