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एक समाज सेवा कार्यक्रम का प्रबंध करनाएक समाज सेवा कार्यक्रम चलानाके द्वारा फिल बार्टले, पीएच.डी.
अनुवाद आरज़ू बहारानीगर्ट लुडेकिंग को समर्पितमॉड्यूल समीक्षाएक सशक्तिकरण कार्यक्रम का प्रबंध करने के लिए क्या चाहिए?परिचय: शायद तुम एक ज़िला आयोजक हो, जिसके क्षेत्र में दो या टीन समाज सेवक हैं. हो सकता है तुम एक सरकारी मंत्रालय या एक एन जी ओ ( अंतरराष्ट्रीय या राष्ट्रीय ) के लिए काम करते हो. हो सकता है तुम ज़िला के एक अकेले समाज सेवक हो, जो खुद ही सब संभालता है और केवल एक प्रशासक को रिपोर्ट करता है जिसको सशक्तिकरण के बारे में कुछ नहीं मालूम. शायद तुम एक द्विपक्षीय या बहुपक्षीय अंतरराष्ट्रीय सहायता परियोजना के लिए काम कर रहे हो, और तुम इस परियोजना के सामुदायिक भागीदारी पहलुओं के ज़िम्मेदार हो. आम तौर पर, तुम बीच में हो, और तुम्हारे उपर जो पर्यवेक्षक हैं, जो संभावना है की सामाजिक सशक्तिकरण के बारे में तोड़ा ही जानते हैं ( सिवाय इसके कि, शायद कुछ छोटे मोटे आदर्श ना की व्यवहारिक ठोस कार्यवाई का संग्रह जानते हों ). अगर तुम्हारे पास फील्ड स्टाफ है, तो यह मुमकिन है कि उन्होने कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं लिया है, और वे मार्गदर्शन और निर्देशन के लिए तुम्हारी तरफ देखेंगे. अगर ऐसा है तो, इस वेबसाइट के लगभग सभी मॉड्यूल अलग अलग तरीकों से तुम्हारी मदद करेंगे. इस मॉड्यूल में प्रबंधन के मुद्दों की कुछ ऐसी बातें हैं जो केवल सामाजिक सशक्तिकरण कार्यक्रम चलाने में काम आएँगी. वे सामान्य प्रबंधन के बारे में नहीं हैं, क्यूंकी उन मुद्दों के बारे में दो अन्य मॉड्यूल में लिखा गया है (भागीदारी प्रबंधन, प्रबंधन प्रशिक्षण ). तुम्हे प्रबंधन निर्णय लेने में अपने फील्ड स्टाफ को शामिल करना ज़रूरी है, और यह तुम निम्नलिखित द्वारा कर सकते हो नौकरी विवरण, बैठक, वार्षिक समीक्षा और एक प्रबंधन का भागीदारी दृष्टिकोण. तुम्हे इनके लिए अपने डिपार्टमेंट को संगठित करने की ज़रूरत है, कार्रवाई, और चार मुख्य प्रश्न इस योजना में तुम्हारी और तुम्हारे स्टाफ की मदद कर सकते हैं. समाज सेवा के बारे में जानो किसी भी मॅनेजर को अपने कर्मचारियों के व्यवसायों से परिचित होना चाहिए. यह विशेष रूप से तब लागू होता है जब व्यवसाय सामाजिक सशक्तिकरण हो. अगर तुमने पहले से ही नहीं किया हो, तो तुम्हे समाज सेवा के तरीके और सीधांत सीखने चाहिए. अगर तुम एक समाज सेवक की तरह सोचोगे, तो तुम समाज सेवा का कार्यक्रम बेहतर संभाल सकोगे. इन डॉक्युमेंट्स के इस्तेमाल से तुम अपना पाठ्यक्रम बनाओ.
कुछ
बुनियादी सिद्धांतों को जानो:
इस वेबसाइट का लगातार प्रशिक्षण तुम्हे सामाजिक सशक्तिकरण प्रक्रिया और क्षमता विकास को समझने में मार्गदर्शन दे सकता है. अगर तुम्हारे पास पहले से ही जानकारी है, तो उसकी समीक्षा करो. अगर तुम इस व्यवसाय में नये हो, तो अध्ययन करो. समर्थन दो और प्रोत्साहित करो: याद रखो की मॅनेजर के पास एक ही उपकरण है; जनता. एक टाइपिस्ट शायद टाइपराइटर पर, एक ड्राइवर गाड़ी पर, एक खोदनेवाला फावड़ा पर निर्भर हो सकता है, लेकिन प्रबंधक पूरी तरह से लोगों पर निर्भर होता है. अगर तुम उन लोगों का काम करते हो, तो तुम अब से प्रबंधक नहीं हो. जिस तरह से ड्राइवर को गाड़ी को बनाए रखने की ज़रूरत है, और एक टाइपिस्ट को टाइपराइटर को अच्छी हालत में रखने की, तुम्हे अपने लोगों की सहयता और सेवा करनी चाहिए, वे लोग जिनके बिना तुम अपने काम में सफलता नहीं पा सकते हो. " पूरी तरह से शक्तिहीन" होने की समस्या समाज सेवकों में आम बीमारी है. यह तब होती है, जब एक समाज सेवक अकेला हो, या कुछ ज़्यादा ही करने की कोशिश करे, और शुरुआती उत्साह निराशा बन जाता है. समाज सेवा के काम में, नाकामयाबी तो जीवन की सच्चाई है, और क्षेत्र में काम करने वाले को प्रोत्साहित और गतिमान होने की ज़रूरत है. तुम्हारे पर्यवेक्षण और समर्थन की मदद से पूरी तरह शक्तिहीन होने की रोकथाम हो सकती है, और उसके बारे में जल्दी पता करके और सुधार लाकर तुम उसे कम कर सकते हो. तुम काई तरीकों से अपने समाज सेवकों का समर्थन कर सकते हो. क्षेत्र यात्रा के रूप में ज़्यादा से ज़्यादा बार समुदाय में समाज सेवकों से मिलो. अगर तुम अक्सर क्षेत्र में हो, तो तुम पूरी प्रक्रिया को बेहतर समझ सकते हो. कयी स्थितियाँ और घटनायें तुम तक घूमने से पहुचेंगी ना की कुर्सी मेज़ पर बैठने से. क्षत्र में जो तुम देखो, उसके आधार पर इन क्षेत्र यात्राओं का इस्तेमाल तुम समाज सेवकों को समर्थन, सलाह, मार्गदर्शन और प्रोत्साहन देने के लिए करो. इसके अलावा, हमेशा समाज के सदस्यों को दिखाई दो. इससे उनको यह पता चलेगा की उनकी बातें और चर्चायें केवल समाज सेवक तक ही नहीं रह जातीं, पर तुम तक पहुँचती हैं. उनका समाज सेवक और इस प्रक्रिया में बढ़ता विश्वास तुम्हारे समाज सेवक को समर्थन देने का एक और तरीका है. इस पेशे में प्रशिक्षण केवल एक और अंतिम बार ही नहीं होता है. इस बात को सुनिश्चित करो की तुम्हारे समाज सेवकों को सेवा में प्रशिक्षण एक नियमित आधार पर मिले. प्रशिक्षण के साथ "आपातकाल में बदले का रूप", प्रोत्साहन, पर्यवेक्षण और मार्गदर्शन भी दो. कार्यशालाओं, सम्मेलनों, सेमिनारों और फील्ड ट्रिप का आयोजन करो. कोशिश करके अपने समाज सेवकों को महीने में या दो महीनों में एक बार इकट्ठा करके 2 दिन का सम्मेलन आयोजित करो. उन बैठकों के दौरान, उन्हे एक दूसरे को रिपोर्ट करने और कठिनाई बनते मुद्दों को उठाने के लिए समय निर्धारित करो. समाज सेवकों के बीच प्रतिक्रिया की अनुमति दो, और अगर उचित हो, तो विशेषज्ञों को लाओ या फिर अस्थिरचित्त मुद्दों पर अपनी प्रस्तुतियां तय्यार करो, जो की आगे होने वाली नियमित बैठकों में प्रस्तुत हों. तरीके का समर्थन करो: पेशे के बाहर सशक्तिकरण पद्धति ठीक से नहीं समझी गयी है. ज़्यादातर लोग दान दृष्टिकोण के ख़तरों को नहीं समझते, और यह नहीं देख पाते की समाज का सशक्तिकरण किसी स्कूल या पानी की उपयोगिता के साधन के जल्द निर्माण से ज़्यादा ज़रूरी है. जब कोई वरिष्ठ कर्मचारी, या नेता, या पत्रकार, समाज सेवक से यह पूछते हैं, की कोई स्कूल अभी तक क्यूँ नहीं खड़ा हुआ, तो समाज सेवक अपने कार्य से भटक जाता है. तब उसका मन कर सकता है की वह अनावश्यक समय अपने तरीके का समर्थन करने में लगा दे ( सशक्तिकरण के काम से कीमती वक्त निकालकर ) ; ऐसा करना तुम्हारा काम होना चाहिए. विधि का समर्थन करने और बचाव करने के हर अवसर लो; वी आई पी आने वालों के लिए छ्होटे अंश लिखो, समाचार विज्ञप्ति, दिनचर्या और प्रगति की छोटी रिपोर्ट, स्थानीय रेडियो स्टेशन पर बातचीत, और प्रभावशाली लोगों के साथ चर्चा. विधि के बारे में लेख लिखे के लिए और यह समझने के लिए की सामाजिक सशक्तिकरण, उनके अपने स्कूल बनाने में लगने वाले वक्त से ज़्यादा ज़रूरी है, एक स्थानीय या राष्ट्रीय पत्रकार को वेतन दो, और फील्ड ट्रिप का खर्चा भी दो. अपने पर्यवेक्षक को खबर देते रहो. इस अवसर का इस्तेमाल, लेख और रिपोर्ट बनाने में करो, जो की तुम्हारे पर्यवेक्षक और उनके उपर के पर्यवेक्षक को तुम्हारे सिद्धांत और विधि समझायें. "पर्यटकों" पर नज़र रखो. इनमें शामिल हैं वी आई पी आगंतुक, पत्रकार, और दाता अगेन्सियों के प्रतिनिधि. उन्हे अपने लक्ष्यों के बारे में बताओ ( सामाजिक सशक्तिकरण, ना की शौचालय ). क्षमता विकास के उद्देश्यों को ध्यान में रखो ( उनके और तुम्हारे ) ; भटको मत. "हस्तक्षेप के चलन" में हिस्सा लो, समाज सेवकों के लिए, अज्ञानता और झूठी मान्यताओं पर आधारित सवालों से अपने फील्ड स्टाफ को बचाओ. योजना: अच्छे प्रबंधन के लिए अच्छी योजना की ज़रूरत है. हलकी अधिकतर प्रबंधन स्थितियों के लिए यही लागू होता ही, समाज सेवकों के प्रबंधक के रूप में तुम्हारे काम की कुछ ख़ास योजना संबंधित विशेषतायें हैं. तुम्हारे पास योजना दृष्टि के 2 अलग स्त्रोत हैं, और इस बात की कोई गॅरेंटी नहीं है की या दोनो एक हो सकते हैं. समाज सेवा के कार्यक्रम के प्रबंधन में तुम्हारा काम है की जितना संभव हो उनके मेल खाने में सुविखा लाओ. एक तरफ, तुम्हारे पास ज़िला, क्षेत्रीय या राष्ट्रीय नियोजन प्रक्रिया है. परंपरागत रूप से, इस तरह की योजना बनाने को केंद्रीकृत किया गया है या जिसको "उपर से नीचे" कहते हैं. तुम्हारे पास योजनायें उपर से आती हैं, तुम्हारे पर्यवेक्षक या ज़िला अधिकारियों से. दूसरी तरफ, तुम्हारे पास समाज के सदस्यों के सपने और इच्छायें हैं. नीचे से उपर. ये तुम्हारे समाज सेवकों द्वारा प्राथमिकता मुद्दों, समस्याओं और समाधानों के लिए किए जा रहे बुद्धिशीलता सत्रों और सामाजिक बैठकों में तय्यार किए जेया रहे हैं. सौभग्य से, उन के बीच का अंतर इतनी बड़ी समस्या नहीं है, जितनी की पहले प्रदर्शित होती है. राष्ट्रीय और क्षेत्रीय कार्यशाओं में तेज़ी से सरकारी नियोजक सामान्य आबादी से और समाजों से निवेश करने में रूचि रखते हैं. जब तक तुम अपने आप को उनके सामने नीचे से उपर निर्णय लेने में एक अच्छा और वैध स्त्रोत दिखा साकतो हो, वे तुम्हारी जानकारी अपने राष्ट्रीय और क्षेत्रीय योजनाओं में शामिल करने की कोशिश करेंगे. आइक अलावा, अक्सर पहले से ही, तुम्हारे समाज सेवक जिन समाजों में काम करते हैं, उनके सदस्यों की इच्छायें राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के समान ही होती हैं. यह विशेष रूप से इन लक्ष्यों के लिए स्पष्ट है : भौतिक निर्माण ( पानी की आपूर्ति, क्लिनिक, स्कूल, फीडरर सड़कें ) . यह मानव समाज संबंधी और वकालत लक्ष्यों के लिए कम स्पष्ट है, जिनमे अक्सर सरकारी अधिकारियों के साथ, ज़मींदारों के साथ या अन्य शक्तिशाली लोग या जिनके निहित स्वार्थ हैं, उनके साथ अनबन होती है. एक विशेष ज़िम्मेदारी के रूप में क्षेत्रीय या ज़िला नियोजन को अपने समाज सेवा कार्यक्रम के साथ एकीकृत करो. इसका मतलब है क्षेत्रीय या ज़िला अधिकारियों के साथ अच्छा संचार ( तुम्हारी ज़िम्मेदारी के क्षेत्र पर निर्भर ). यह मुमकिन है की वे अधिकारी तुम्हारी समाज के सदस्यों की प्राथमिकताओं को सुनना चाहेंगे, जिसको तुम अपने समाज सेवकों द्वारा हासिल कर सकते हो. इसका मतलब है की तुम्हे अपने समाज सेवकों से अच्छा संपर्क रखना है और यह बात सुनिश्चित करने की आवश्यकता है की उनका रिपोर्ट लेखन प्रभावी है. इस बीच तुम्हे यह बात सुनिश्चित करनी है की , तुम्हारी नियमित ( हर या हर दो महीने में ) समाज सेवकों के साथ बैठकों में, तुम उन्हें निर्णय लेने, ज़िला या क्षेत्रीय स्तर पर दृष्टि, प्राथमिकतायें और इच्छयों के बारे में जानकारी दो. देखें: एक कार्य योजना तैयार करने के लिए दिशानिर्देश पेपर ट्रेल: मेरे पास ना तो वैज्ञानिक साक्ष्य हैं और ना ही आंकड़े, लेकिन मेरे अनुभव में, मैने यह जाना है की क्षेत्र कार्यकर्ताओं और रिपोर्ट लेखन को साथ में लाना आसान नहीं है. ऐसा लगता है की समाज सेवकों में रेकॉर्ड और रिपोर्ट बनाने के खिलाफ एक सकारात्मक घृणा है. एक स्वयं सहायता कार्यक्रम ही करने के लिए समाज के आयोजन में रिपोर्ट लेखन की आवश्यकता नहीं है. समाज सेवक काम में व्यस्त हो जाता है, और अक्सर रेकॉर्ड और रिपोर्ट लिखने की ज़रूरत को नज़रअंदाज़ कर देता है. इसकी समस्या यह है की समाज सेवक समय के साथ जी रहे हैं, और पीछे खड़े होकर बड़ा चित्र नहीं देख रहे. वे भूल जाते हैं या यह स्वीकार नहीं करना चाहते की अंततः वे चले जाएँगे या फिर उनकी बदली कर दी जाएगी. हस्तक्षेप की निरंतरता और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए, नये समाज सेवक को यह जानने की ज़रूरत है की पहले क्या हुआ है, क्या ठीक से चला है, क्या नहीं चला है, और क्या सीख मिली है. अनुसंधान ( रिसर्च ) को दोहराया नहीं जाना चाहिए. यह सुनिश्चित करो की समाज सेवक रेकॉर्ड और रिपोर्ट लिखें. अगर तुम इस वेबसाइट की प्रशिक्षण सामग्री इस्तेमाल करते हो, और मुझे लगता है की तुम्हे करना चाहिए, तो प्रारंभिक परिचयात्मिक डॉक्युमेंट आग्रह करते हैं की समाज सेवक को जर्नल लिखना आरंभ करना चाहिए. रेकॉर्ड रखना बाद में रिपोर्ट बनाने में काम आता है, सारी गतिविधियों और परिणामों के लिए और सीख मिलने के लिए ज़रूरी है. इस बात पर ज़ोर दो की वे रेकॉर्ड रखें और रिपोर्ट लिखें. बाद में अपने समाज सेवकों के लिए एक रिपोर्ट लेखन कार्यशाला का आयोजन करो, और इस वेबसाइट में उपलब्ध सामग्री का इस्तेमाल करो. एक पूरा मॉड्यूल रिपोर्ट लेखन को समर्पित है. जब एक समाज सेवक चला जाता है, तो उससे कहो की उन रेकॉर्ड को कार्यक्रम के पास छोड़ दे. कार्यक्रम के प्रबंधक की हैसियत से, तुम्हे समाज सेवक रिपोर्ट रखने से परे जाना है. तुम्हे एक " एम आई एस " ( मॅनेज्मेंट इन्फर्मेशन सिस्टम: प्रबंधन की जानकारी की प्रणाली ) स्थापित करना है. तुम्हे यह समझाना है की वह कैसे काम करता है, और तुम्हारे समाज सेवक कैसे उसके कार्य में योगदान दे सकते हैं. तुम्हे उन्हे उसका उद्देश्य दिखाना है और वह क्या कर सकता है. देखें: प्रबंधन की जानकारी. यह जानकारी ऐसे संग्रहित करनी चाहिए की उसे आवश्यकतानुसार आसानी से पहचाना और पुनः प्राप्त किया जा सके. निष्कर्ष: अन्य मॉड्यूल तुम्हे प्रबंधन के बारे में सामान्य रूप से कुछ मार्गदर्शन देंगे. (प्रबंधन प्रशिक्षण , भागीदारी प्रबंधन). समाज सेवा कार्यक्रम का प्रबंधन करने में कुछ ख़ास मुद्दों के बारे में लिखे गये इस मॉड्यूल के साथ उन बाकी प्रबंधन मॉड्यूल का इस्तेमाल करो. समाज सेवा के उसूलों और विधियों को जानो; इस वेबसाइट की प्रशिक्षण सामग्री का इस्तेमाल करके उनको सीखो और उनकी समीक्षा करो. तुम अपने समाज सेवकों को बेहतर समझ सकते हो, और उनकी गतिविधियों का सबसे अधिक इस्तेमाल कार्यक्रम के विकास में कर सकते हो. अपने क्षेत्र में और अपने पर्यवेक्षकों के साथ, नेताओं और पत्रकारों के सामने अपने समाज सेवकों का प्रोत्साहन के साथ, मार्गदर्शन और सलाह के साथ समर्थन करो. पद्धति का समर्थन करो क्यूंकी उसको अच्छी तरह से नहीं समझा गया है, और इसका विरोध उन लोगों द्वारा किया गया है जिनके कुछ निहित स्वार्थ हैं, और स्थिति को वैसा का वैसा ही रखा गया है. अपने कार्यक्रम की योजना बनाओ, और क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अधिकारियों के बीच अपनी स्थिति को उन दोनो नियोजन दृष्टि के स्त्रोतों को एकीकृत करने में इस्तेमाल करो. या सुनिश्चित करो की एक पेपर ट्रेल है क्यूंकी रेकॉर्ड और रिपोर्ट इस बात के लिए बहुत ज़रूरी हैं की तुम्हारा सशक्तिकरण कार्यक्रम सफल, सतत, स्थाई हो और लगातार चले. यह याद रखो की प्रबंधन केवल प्रबंधकों के पास ही छोड़े जाने से काफ़ी ज़्यादा ज़रूरी है. ––»«––एक कार्यशाला: © कॉपीराइट: 1967, 1987, 2007 Phil Bartle
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