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'العربية / al-ʿarabīyah |
प्रयोजन रूप-रेखा, प्रस्ताव, बाहरी साधनकिसी योजना की रूप-रेखा बनाना और उसके लिये साधन जुटानाके द्वारा फिल बार्टले, पीएच.डी.
translated by Parveen Rattanप्रशिक्षण लेखजब आप समाज की कोई योजना बनाने में मदद कर रहे हों, तब आप को संतुलन रखना पड़ेगा कि बहुत अधिक बाहर की सहायता न ली जाय जिससे समाज दूसरों पर ही आश्रित रहे और गरीबी जारी रहे, बनिस्बत इसके कि वह खुद अपने साधन जुटायें (जो मुश्किल है), और खुद सशक्त और स्वाव्लंबित हो सकेंयाद रहे आपका कार्य है संघर्ष निर्भता से, आश्र्य की अवस्था से, जहां समाज के सद्स्य किसी भी सुधार के लिये बाहर से मदद की ओर देखते हैं, उसी पर निर्भर रह्ते हैं. आपका ज़ोर होना चाहिये स्वाव्लंबी होने पर (जहां समाज अपने ही साधनों पर भरोसा करे). अगर सद्स्य कोई ऐसी योजना चुनें जो बहुत महंगी हो, और जिसके लिये उन्हें औरों के आगे हाथ फ़ैलाने पड़ें तो उन्हें सलह दीजिये कि उन्हें हालात को देखते हुए व्यवहारिक होना चाहिये (किसी के दान पर निर्भर नहीं ). कोई भी प्रस्ताव एक अनुरोध होता है साधनों के लिये. सबसे अच्छे प्रस्तावों की रूप-रेखा , इस तरह बनायी जाती है जिससे साफ़ हो कि देने वाली संस्था को क्यों धन या साधन का दान करना उचित है. इसी योजना और उसकी कार्य-प्रणाली को आधार बनाकर सरकार के सम्मुख प्रस्तुत करना चाहिये उनसे धन और साधन की मांग के लिये. अपको कितना भी लगे आप समिति का कार्य न करें. समिति को खुद ही सब कर के सीखना है समिति में जो अनपढ़ लोग हैं, उन्हें भी इस कार्य में पूरी तरह सम्मिलित करना होगा, भले ही इसके लिये एक एक पंक्ति क्यों न पढ़्नी पड़े. योजना की रूप-रेखा के आधार पर बाहर से धन राशि के लिये प्रस्ताव तैयार किये जा सकते हैं. योजना शुरु करने से पहले पूरे समाज की सहमति लेना ज़रूरी है. इस अर्थ में रूप-रेखा एक प्रस्ताव ही है. वर्ग के अधिकारी इसकी प्रतिलिपि मांग सकते हैं. उन्हें यह देना उचित होगा योजना रूप-रेखा का मूल तत्व, ब्रेन-स्टौर्म (बौद्दिक योगदान) की ही तरह, क्रम से चार मुख्य प्रश्नों का उत्तर देना है, (हमें क्या चाहिये, हमारे पास क्या है, जो है उसका उपयोग हम कैसे कर सकते हैं अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिये, और अगर हमने ऐसा किया तो क्या होगा). समाज सेवक की भूमिका में आपका कर्तव्य बनता है कि आप अधिकारी समिति के साथ इन चारों प्रश्नों में विस्तार से जायें, उन्हें सही संदर्भ में रखें, और फ़िर उनके उत्तर एक ओपचारिक तौर पर लिखवा कर रखें. जब साधनों की चर्चा होगी, तब अक्सर सद्स्य कहेंगे कि उनके पास उपयोक्त धन या साधन नही हैं. उनकी अनायस रुचि होगी कि बाहर से दान लिया जाय. किसी भी एक स्त्रोत (दाता) पर निर्भर होने से खतरा अधिक होता है, और समाज की शक्ति कम होती है. थोड़ी कोशिश कर के सद्स्य अलग अलग सूत्रों से साधन एकत्र कर सकते हैं. देखिये साधन एकत्र करना . समाज सेवक यह नही कहता कि सभी साधन उनके अपने ही होने चाहिये. किन्तु आप इन सब मार्गों का उल्लेख कर सकते हैं, और फ़िर सद्स्यों से कहिये कि वह पहले उन साधनों को चुनें जो उनके समाज में मौजूद हैं.
सहायता के अनेक मार्ग हो सकते हैं, जैसे:
यह सूची पूरी नही है. इसके लिये आप समाज के सभी सद्स्यों की राय भी लीजिये (सिर्फ़ अधिकारियों की नहीं). देखिये पूंजी- (धन-राशि) अधिक जानकारी के लिये सामाजिक योजनायों के लिये साधन एकत्र करना. ––»«––समाज का योगदान; निर्माण: अगर
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