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बुनियादी विचारो को जानइन विचारो के पीछे के सिद्धान्त और कारणके द्वारा फिल बार्टले, पीएच.डी.
translated by Shilpa Sharmaफिल बार्ट्ले द्वारा सर्जितशिक्षणहेन्ड्आऊटविचार और सिद्धान्त जो एक समाज सेवक को समझने चाहियेक्याहैः विकास? समाज का विकास? समाज की हिस्सेदारी? गरीबी? समाज? अधिकारिकरण? पारदर्शीता? निरंतरता? (इन सब शब्दो की चर्चा "मुख्य शब्दो " मे की गई है.) एक सफल समाज सेवक बनने के लिये आपको सार्वजनिक संवाद की पारिभाषिक विद्या और समूहो को कार्य के लिये इन्द्रिययुक्त करने के साथ अधिक ज्ञान की आवश्यकता है आपके लिये जानना आवश्यक है की आप यह विद्या का उपयोग क्यो कर रहे है. आपको इसके सिद्धान्तो को जानना आवश्यक है. यदि आपका निशाना समुदाय है तो आपको इस समुदाय के स्वभाव के समाज शास्त्रीय मनोभावो को और इस समुदाय मे किस प्रकार का बदलाव (विकास सम्मिलित) आया है यह दोनो जानना जरूरी है. इसका अर्थ है के आपको सामाजिक बनावट, समाज-शास्त्र, मानव-शास्त्र, अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र के विशयो की, और इनके पीछे की शक्तियों और व्यवहारो की थोडी समज होनी चहिये. देखिये "संस्कृति". इस समय कोई यूनिर्वसिटी की डिग्री होना जरूरी नहि है मगर आपको अपने आप को इन विषयो के सिद्धान्तो और ज्ञान के बारे मे सिखाना चाहिये. यदि आप कम आमदनी वाले समाज को बलवान (समर्थ) बनाना चाहते है तो आपको निर्भरता संलक्षण को समझना होगा जो आपका दुश्मन है. (देखिये: "निर्भरता"). अगर आपका उद्देश्य गरीबी का उन्मूलन या निवारण है, तो आपके लिये केवल गरीबी के लक्षण और परिणाम जानना काफ़ी नहि है. आपको गरीबी के कारण जानने होगें ताकि आप उन परिवर्तनो का समर्थन और वृद्धि कर सकें जो इन कारणो का प्रतिकार कर सकें आपको समझना होगा के गरीबी का घटाव कष्ट को केवल थोड़े समय के लिये कम कर सकता है, मगर यह गरीबी के उन्मूलन मे कोई योगदान नहि दे सकता. गरीबी सिर्फ पैसे का सवाल नहि है, और कवल पैसा गरीबी मिटा नहि सकता. (देखिये गरीबी घटाने के सिद्धान्त"). अगर आप "मुख्य शब्द" देखें तो आपको समाज सेवको के लिये मूल विचारो की विस्तृत लिस्ट मिलेगी. इस लिस्ट मे आपको मूल विचारो की शब्द्कोष परिभाषा नहि किन्तु नोट्स मिलेंगे जो इस हन्ड्बूक के उद्देश्यो के लिये योग्य है और आपको एक समाज सेवक बनना सिखलायेगे. एक बाद का मोड्युल, समाज के अधिकारिकरण के सिद्धान्त आपको विस्तारपुरवक बतायेगा के इस वेबसाईट् पे उपलब्ध पद्धतियो और गुणो के पीछे कौनसे सिद्धान्त है. इन नोट्स को रटे मत. इन विचारो के बारे मे सोचें. इनके बारे मे अपनी जर्नल मे लिखें. उन्की चर्चा अपने सहयोगीयो के साथ बैठको मे, सम्मेलनो मे और कार्यशालाओ मे करें. जब आप काम के बाद अपने मित्रो के साथ आराम कर रहे हो तो थोडा समय क्रिकेट के स्कोर की बात ना करके इनमे से एक दो विचारो के बारे मे बात करे. कुछ नया सिखने की कोशिश "केवल एक बार" करना, खाने की कोशिश "केवल एक बार" करने के समान है. समाज विकास की तरह विद्या प्राप्ति का अंत कभी नहि होना चाहिये. अगर आप सिखना बंद कर देंगे तो आप मृत समान है. ––»«––अगर तुम इस साइट से मूलशब्द नकल करते हो, कृपया लेखक को अंगीकार करो |
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